लखनऊ। तीन राज्यों में भाजपा की प्रचंड जीत का असर आने वाले समय में उप्र की राजनीति पर भी पड़ेगा। चुनाव नतीजे आते ही समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पर ताने मारना शुरू कर दिया है। दो दिसम्बर को चार राज्यों में कांग्रेस की जीत का दावा करने वाले प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मौन हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस परिणाम से भाजपा ही नहीं, आईएनडीआईए के समाजवादी पार्टी को भी खुशी हुई है। इससे आईएनडीआईए के अन्य दल कांग्रेस पर अब दबाव बनाने में सफल होंगे।
वर्तमान में समाजवादी नेता कांग्रेस को लेकर ही कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं। विशेषकर कमलनाथ का बयान ‘अखिलेश-वोखिलेश कौन हैं।’ को लेकर समाजवादी पार्टी नेता विशेष रूप से बातें कर रहे हैं। अब समाजवादी पार्टी हमलावर है। कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हर्ष वर्धन त्रिपाठी का कहना है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच विचारों का गठबंधन नहीं है। ऐसे में टकराव तो होना ही है। दोनों पार्टियां यूपी में अधिकतम सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहेंगी। समाजवादी पार्टी की सोच है कि कांग्रेस कमजोर होगी तो उसे सीट बंटवारे में फायदा होगा।
राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि विशेष तौर से मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती थी। उसके लिए कई दौर की बात भी हुई लेकिन कांग्रेस ने खुद को बड़ी पार्टी मानकर सपा से दूरी बनाकर रखी। उसने समाजवादी पार्टी को किनारे कर दिया और कहा कि हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है।
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ही दोनों पार्टियों में टकराव शुरू हो गया था। यहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने ही घोसी विधानसभा के उपचुनाव के बाद टकराव की बातें शुरू कर दी थीं, जब उन्होंने कहा था कि घोसी में सपा की ही नहीं, आईएनडीआईए गठबंधन की जीत है। उत्तराचंल में सपा ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया। आमतौर पर देखा जाता है कि कांग्रेस हमेशा अहम में रहती है और हार के कई कारणों में एक प्रमुख कारण उसका अहम भी होता है।