कोलंबो। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की श्रीलंका की प्रस्तावित यात्रा का चीन ने विरोध जताया है। चीन ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक परेशानी से जूझ रहे द्वीप राष्ट्र को द्विपक्षीय संबंधों की रक्षा करनी चाहिए।
दूतावास के एक बयान में कहा गया है कि चीनी दूतावास के एक शीर्ष अधिकारी ने यात्रा का विरोध व्यक्त करने के लिए कैंडी शहर में शक्तिशाली बौद्ध धर्मगुरुओं से मुलाकात की। हालांकि दलाई लामा की श्रीलंका यात्रा के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है।
बयान में प्रभारी राजदूत हू वेई ने कहा कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र सहित चीन की सरकार और लोग किसी भी दूसरे देश के किसी भी नाम पर दलाई लामा की मेजबानी करने का कड़ा विरोध करते हैं। दूतावास की विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्रीलंका को दलाई लामा के प्रस्तावित दौरे पर द्विपक्षीय संबंधों की रक्षा करनी चाहिए।
दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भाग जाने के बाद से भारत में रह रहे हैं। तिब्बत की निर्वासित सरकार भारत से संचालित होती है और देश में 1.60 लाख से अधिक तिब्बती रहते हैं।
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पटना। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा गुरुवार को बोधगया आ रहे हैं। वे एक महीने तक बिहार में ही रहेंगे। बौद्ध धर्मगुरु के प्रवास के दौरान देश-विदेश के करीब 50 हजार से ज्यादा बौद्ध श्रद्धालु जुटेंगे। इसे देखते हुए एयरपोर्ट पर एहतियात बरती जा रही है, क्योंकि चीन में कोरोना से स्थिति भयावह हो चुकी है।
बोधगया टूरिज्म के लिए बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के आगमन को अच्छा कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके आने से एक बार फिर शहर श्रद्धालुओं से गुलजार हो जाएगा। बीते तीन साल से कोविड और लॉकडाउन के कारण टूरिज्म को काफी नुकसान हुआ है।