ग्वालियर। संवत के वर्ष राजा होंगे बुध और उनके मंत्री रहेंगे शुक्र देव, वहीं सेनापति का कार्यभार देव गुरु बृहस्पति संभालेंगे।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 मार्च बुधवार को हिंदू नव वर्ष प्रारंभ हो रहा है। फाल्गुन मास समाप्त होने के बाद चैत्र माह नववर्ष का पहला माह होता है। इसे विक्रम संवत का नव संवत्सर भी कहते हैं। ब्रह्मा ने सृष्टि का आरंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही किया था। इस बार विक्रम संवत 2080 वर्ष के नाम से जाना जाएगा। इसे गुड़ी पड़वा के नाम से भी जाना जाता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉं. सतीश सोनी के अनुसार हिंदू नव वर्ष हिंदू कैलेंडर और पंचांग प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रारंभ होता है। इस वर्ष आकाशीय मंडल में 2080 संवत की यदि मंत्रिमंडल की बात करें, तो इस 2080 संवत के वर्ष राजा बुध रहेंगे और उनके मंत्री शुक्र होंगे। वही सेनापति का कार्यभार देव गुरु बृहस्पति संभालेंगे। संवत्सर के वाहन गीदड़ और सियार होंगे। इस विक्रम संवत का नाम पिंगल होगा।
क्या रहेगा प्रभाव विक्रम संवत 2080 का
संवत के राजा बुध होने से व्यापारी वर्ग को अपने कारोबार में उन्नति मिलेगी। इस दौरान शिल्पकार, लेखक एवं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ मिलता रहेगा।
संवत का मंत्री इस साल शुक्र के होने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं का प्रभाव बढ़ेगा। साथ ही फैशन, फिल्मी उद्योग, मनोरंजन के क्षेत्र में भारत के साथ दुनिया भर में रुझान देखने को मिलेगा।
संवत का वाहन गीदड़ और सियार होने से इस संवत में कहीं सूखा तो कहीं अतिवृष्टि से जनधन की हानि होगी। देश के कई राज्यों में खासतौर पर दक्षिणी राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल की स्थिति के साथ सत्ता परिवर्तन भी हो सकते हैं। 2080 संवत में 9 राज्यों में से कम से कम 7 राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के योग रहेंगे। मोटे अनाज और खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आएगी।
वर्ष संवत की कुंडली कहती है कि पाकिस्तान, अफगानिस्ता, यमन, टर्की, ईरान इन मुस्लिम देशों में कई विस्फोटक घटनाएं हो सकती हैं। रूस- यूक्रेन युद्ध से एक नया राष्ट्र का उदय होने की संभावना है। राशि गति यदि बात करें, तो संवत 2080 में मिथुन राशि, सिंह राशि, तुला राशि और धनु राशि के जातक विशेष लाभ धन अर्जित करेंगे।
Dev Guru
ग्वालियर। इस माह 14 मार्च तक ही विवाह की शहनाइयां गूंजेगी। इसके बाद मांगलिक कार्यों पर 30 अप्रैल तक विराम लग जाएगा। अप्रैल में शादी के लिए कोई मुहूर्त नहीं होगा।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार 15 मार्च को जब सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब खरमास लग जाएगा, यानी 15 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक खरमास के चलते एक बार फिर शादी विवाह के कार्यक्रम रुक जाएंगे।
अप्रैल के पूरे महीने शादी विवाह बंद रहेंगे, क्योंकि देव गुरु बृहस्पति 1 अप्रैल से 3 मई तक अस्त रहेंगे। इसके बाद ही शादी विवाह के कार्यक्रम होना शुरू हो सकेंगे, लेकिन 23 अप्रैल रविवार को अक्षय तृतीया के मुहूर्त पर शुभ कार्य शादी विवाह अवश्य ही होगा, क्योंकि इस दिन को शास्त्रों में सभी शुभ कार्य करने के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस दिन मुहूर्त निकालने के लिए समय की आवश्यकता नहीं होती। बिना मुहूर्त सभी तरह के शुभ कार्य किया जा सकते हैं।
आगामी विवाह शुभ मुहूर्त इस प्रकार-
मई 4, 7, 11, 12, 17, 21, 22, 26, 29, 31
जून 3,5,7,8,9, 12,14, 18, 22, 23, 25, 28
29 जून से विवाह फिर होंगे बंद
29 जून को देवशयनी एकादशी से चतुर्मास आरंभ हो जाएगा। इसके चलते चार माह के लिए विवाह फिर से बंद हो जाएंगे।
23 नवंबर से फिर से शुरू
अर्थात 23 नवंबर देवउठनी एकादशी से फिर से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।
नवंबर में 23 तारीख, 24 तारीख, 27 तारीख, 28 तारीख, 29 तारीख,
दिसंबर में 3 तारीख, 4 तारीख, 7 तारीख, 8 तारीख, 9 तारीख को विवाह मुहूर्त रहेगा।