नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ बीती देर रात बदसलूकी का मामला सामने आया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि मालीवाल को कार से 10-15 मीटर तक घसीटा गया। यह घटना करीब बीती रात 3.11 बजे एम्स गेट 2 के सामने हुई। दिल्ली के दक्षिण जिले की डीसीपी चंदन सिंह ने कहा कि आज हौज खास थाने में एक कॉल आई, एक महिला को एक कार वाले ने गलत इशारे किए और 10-15 मीटर तक घसीटा।
पुलिस ने बताया कि गरुणा वैन की मदद से आरोपी को पकड़ लिया है। उन्होंने बताया कि आरोपित की उम्र 47 साल है और उसने शराब का सेवन कर रखा था। वहीं डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा कि- “कल देर रात मैं दिल्ली में महिला सुरक्षा के हालात का जायजा ले रही थी। एक गाड़ी वाले ने नशे की हालत में मुझसे छेड़छाड़ की और जब मैंने उसे पकड़ा तो गाड़ी के शीशे से मेरा हाथ बंद कर मुझे घसीटा। भगवान ने जान बचाई। यदि दिल्ली में महिला आयोग की अध्यक्ष सुरक्षित नहीं, तो हाल सोच लीजिए।”
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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने दिल्ली के प्रीत विहार इलाके में एक स्पा में एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में दिल्ली पुलिस को समन जारी किया है। मृतका ने 04 सितंबर को बतौर थेरेपिस्ट स्पा में नौकरी शुरू की थी। कथित तौर पर, नौकरी के पहले ही दिन स्पा में कुछ पीने के बाद उसे उल्टी होने लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। उक्त स्पा को भी करीब नौ महीने पूर्व दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर सील कर दिया गया था लेकिन फिर से खोल दिया गया था।
इस संबंध में थाना प्रभारी प्रीत विहार से दिनांक 06.09.2022 को कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई, जिन्होंने बताया कि इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद आयोग ने अरुणा आसफ अली अस्पताल को एक नोटिस जारी किया, जिसने बताया कि मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पहले ही दिल्ली पुलिस को सौंपी जा चुकी है और मृतका की मृत्यु का कारण जानने के लिए फोरेंसिक से राय लेने के लिए विसरा नमूना भी संरक्षित किया गया है।
इसके बाद डीसीडब्ल्यू ने दिल्ली पुलिस को एक और नोटिस जारी कर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। पुलिस की ओर से फिर से एक जवाब मिला जिसमें बताया कि इस मामले में अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। यह भी पता चला कि मृतका का विसरा नमूना अब तक फॉरेंसिक को नहीं भेजा गया है।
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त को समन जारी किया है। आयोग ने प्राथमिकी दर्ज करने, विसरा नमूना फोरेंसिक को नहीं भेजने के कारणों, लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी (अधिकारियों) का विवरण, प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने और समय पर नमूना नहीं भेजने के लिए उनके खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण मांगा है। इसके अलावा, आयोग ने मामले में स्पा के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण मांगा है।
नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने बाहरी उत्तरी जिले के नरेला इलाके में आठ साल की बच्ची के अपहरण और हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। लड़की की बड़ी बहन ने आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी। लड़की की बहन ने अपनी शिकायत में आयोग को बताया कि वे पांच भाई-बहन हैं और उनके पिता नहीं हैं।
आठ साल की बच्ची नरेला में अपनी मां और भाई-बहनों के साथ रहती थी। उसने बताया कि उसकी मां घरों में काम करती है। शुक्रवार को उनका एक पड़ोसी उसकी आठ साल की बहन को खाने का सामान दिलाने के बहाने से ले गया और उसे अगवा कर लिया।
शिकायतकर्ता ने बताया कि जब बच्ची नहीं लौटी तो दिल्ली पुलिस में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई। उसने बताया कि जब पुलिस ने आरोपित को पकड़ा तो उसने बताया कि उसने बच्चे की हत्या कर दी है। इसके बाद लड़की का शव एक लाल बत्ती के पास कुछ झाड़ियों से बरामद किया गया। शिकायतकर्ता ने अपनी बहन के साथ बलात्कार और मामले में अन्य आरोपितों की संलिप्तता का आरोप लगाया है।
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने मामले का संज्ञान लिया है और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। फिलहाल मामले में आईपीसी की धारा 363 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। आयोग ने पुलिस से पूछा है कि एफआईआर में बलात्कार और हत्या की संबंधित धाराओं को जोड़ा गया है या नहीं।
आयोग ने शिकायतकर्ता द्वारा आरोपित सभी आरोपितों की गिरफ्तारी की जानकारी के साथ बच्ची के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की कॉपी भी मांगी है। दिल्ली पुलिस को इस मामले में 11.10.2022 तक रिपोर्ट देने को कहा गया है।
मालीवाल ने कहा, “एक आठ साल की बच्ची की हत्या कर दी गई और उसके सिर को पत्थरों से बेरहमी से कुचल दिया गया। उसके परिवार का आरोप है कि उसके साथ रेप किया गया। हमने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। यह घटना बहुत परेशान करने वाली है। हर दिन एक जघन्य अपराध की सूचना मिलती है और राजधानी बच्चों के लिए असुरक्षित होती जा रही है। सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द कड़ी सजा दी जानी चाहिए।”
नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने दिल्ली सरकार के डिविजनल कमिश्नर को नोटिस जारी कर उस एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जो अपने अधिकार क्षेत्र में तेजाब बिक्री के प्रावधानों एवं नियमों को सुचारु रुप से लागू करने में विफल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने ‘लक्ष्मी बनाम भारत संघ और अन्य’ के मामले में देश में तेजाब हमलों को रोकने के लिए तेजाब की बिक्री को विनियमित करने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इस संबंध में दिल्ली सरकार ने एसिड की बिक्री को नियंत्रण करने के लिए एक आदेश पारित किया था, जिसमे क्षेत्र के सम्बन्धित उपजिलाधिकारी को नियमों के उल्लंघन पाए जाने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार दिया था।
इसके उपरान्त भी यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी में खुलेआम तेजाब की बिक्री जारी है। दिल्ली में पता लगाने के लिए आयोग द्वारा अगस्त 2022 में सभी जिलाधिकारियों को तेजाब बिक्री से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने हेतु नोटिस जारी किए गए थे। साथ ही एसडीएम द्वारा किए गए निरीक्षणों की संख्या, लगाए गए जुर्माने की संख्या के साथ जुर्माने की राशि के संबंध में भी जानकारी मांगी गई थी।
इसके अतिरिक्त, एकत्र की गई जुर्माने की राशि के उपयोग के संबंध में दिशा-निर्देश और इस संबंध में व्यय का विवरण भी मांगा गया था। दिल्ली के सभी जिलों से मिली जानकारी बेहद डराने वाली हैं।
संबंधित विभाग से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह देखने में आया है कि जिलों में एसिड बिक्री को नियंत्रण करने के लिए तय प्रावधानों के अनुसार निरीक्षण नहीं किए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, वर्ष 2017 में शाहदरा और उत्तरी जिले में एसडीएम द्वारा आज तक कोई भी निरीक्षण नहीं किया गया है। नई दिल्ली जिले के अलावा, जहां 554 निरीक्षण किए गए थे, अधिकांश जिलों में निरीक्षण नहीं किए जा रहे हैं।
इसके अलावा जिलों में तेजाब की अनियमित बिक्री के खिलाफ शायद ही कोई दंडात्मक या वैधानिक कार्यवाही को अमल में लाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, पूर्वी, उत्तरी, नई दिल्ली, उत्तर पूर्वी और शाहदरा जिले के कई एसडीएम ने 2017 के बाद से अपने जिलों में अनियमित एसिड बिक्री पर एक भी जुर्माना नहीं लगाया है।
आयोग को प्राप्त सूचना के अनुसार पश्चिमी जिले में पिछले छह वर्षों में सबसे ज्यादा दंड राशि – 9,90,000 रुपये एकत्र की। इसके बाद दक्षिणी जिला था जिसने रु/- 8,15,000 और सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट जिसने रु0 7,85,000/-, उत्तर पश्चिम जिले ने पिछले 6 वर्षों में 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। स्पष्ट रूप से, यह राशि वास्तविक रुप से संज्ञान में आए अवैध रुप से एसिड बिक्री के मामलों के मुकाबले काफी कम है। दुर्भाग्य की बात यह भी है कि, वर्ष 2017 के बाद से एकत्र किए गए 36.5 लाख रुपये के जुर्माने की राशि का उपयोग एसिड अटैक पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए नहीं किया जा रहा है, जैसा कि अनिवार्य था।
आयोग ने डिविजनल कमिश्नर को यह बताया है कि राजधानी में खुलेआम तेजाब बिकता है और राजधानी में कई एसिड अटैक के मामले आए दिन संज्ञान में आते हैं। आयोग ने दिल्ली में एसिड की बिक्री के नियंत्रण के लिए उठाये गए कदमो के साथ साथ शाहदरा और उत्तर जिले के सम्बन्धित विभागाधिकारियों के खिलाफ पिछले 6 साल में एक भी निरीक्षण नहीं करने पर की गई कार्रवाई की जानकारी देने को भी कहा गया है।
इसके अलावा, पांच जिलों – पूर्वी दिल्ली, उत्तर दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर पूर्वी और शाहदरा जिलों के एसडीएम के खिलाफ 2017 के बाद से अनियमित एसिड बिक्री पर एक भी जुर्माना नहीं लगाने के लिए कार्रवाई की मांग की गई है। आयोग ने एसिड अटैक पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए जुर्माने के रूप में 2017 से एकत्र 36.5 लाख रुपये की राशि के उपयोग पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, “राजधानी में एसिड की बिक्री खुलेआम जारी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिले के सम्बन्धित अधिकारी एसिड की अनियंत्रित बिक्री की ठीक से जांच नहीं कर रहे हैं। हमने इस मामले में अभी तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है और मुझे उम्मीद है कि इस संबंध में जल्द ही सकारात्मक बदलाव किए जाएंगे।”