निकोसिया । पूर्व विदेश मंत्री निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स को साइप्रस का नया राष्ट्रपति चुना गया है। निकोस ने राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद एंड्रियास मावरोयनिस को हराया ।
साइप्रस में इस बार का चुनाव खासा संघर्ष भरा माना जा रहा था। इस बार पिछली बार की तुलना में अधिक वोट पड़े। साइप्रस के कुल मतदाताओं में से 72.4 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें से 51.9 प्रतिशत ने पूर्व विदेश मंत्री निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के पक्ष में मतदान किया। उनके प्रतिद्वंद्वी एंड्रियास मावरोयनिस को 48.1 प्रतिशत वोट मिले हैं। चुनाव में हार स्वीकार करते हुए एंड्रियास मावरोयनिस ने चुनाव परिणामों के बाद एक यात्रा समाप्त होने की बात कही।
उन्होंने अपने चुनाव अभियान को एक शानदार यात्रा करार देते हुए कहा कि उन्होंने इस यात्रा को हजारों लोगों के साथ साझा किया। उन्होंने दुख जाहिर किया कि वे साइप्रस के लिए जरूरी बदलाव को हासिल नहीं कर सके। उधर मतगणना से पहले ही क्रिस्टोडौलाइड्स ने अपनी जीत पर भरोसा जताया था। उन्होंने कहा था कि साइप्रस के लोग जानते और समझते हैं कि दांव पर क्या लगा है। उन्होंने साइप्रस की जनता के फैसले पर पूरा भरोसा जताया था। अंतत: उन्हें चुनाव जिताकर जनता ने भी निराश नहीं किया।
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निकोसिया (साइप्रस ) । राजधानी निकोसिया के दौरे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारतीय समुदाय समेत अन्य लोगों से भी मिले। भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात को सुखद बताते हुए प्रवास के दौरान हुए आधिकारिक समझौतों पर बात की। विदेश मंत्री ने भारत-साइप्रस के मध्य वित्त, शिपिंग, आईटी, सर्विस आदि पर चर्चा की।
विदेश मंत्री ने भारतीय समुदाय से मुलाकात के बारे में अपने ट्वीट में कहा कि विदेशों में बसे भारतीय मातृभूमि के लिए शक्ति का एक बड़ा स्रोत हैं। मोदी सरकार जरूरत के समय उनके साथ खड़े होने के अपने आवश्यक कर्तव्य को पूरा करती है।
इससे पहले एक बिजनेस इवेंट को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का दबदबा बढ़ रहा है। भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए महत्वपूर्ण स्थान बनाने में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों व सुधारों ने योगदान दिया। जयशंकर ने कहा कि हम अपने इतिहास में सर्वाधिक एफडीआई प्रवाह प्राप्त कर रहे हैं। पिछले साल हमें एफडीआई के रूप में 81 अरब डॉलर मिले। हमारे व्यापार का काफी विस्तार हुआ है। वर्ष 2021-22 के लिए पहली बार हमारा निर्यात 400 अरब डॉलर के पार गया और इस साल हमने 470 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा है। हम दुनिया के सबसे बड़े स्टार्टअप इको सिस्टम में से एक का घर बन गए हैं। अब हम करीब 100 यूनिकॉर्न की मेजबानी कर रहे हैं। वर्तमान में हमारे पास यूनिकॉर्न्स की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
विदेश मंत्री ने कहा, हमारा लक्ष्य भारत को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र (मैन्युफैक्चरिंग हब) बनाना है। इसके साथ देश को 2025 तक पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के रूप में उभारना है।
जयशंकर ने आगे कहा कि कोविड महामारी के दौरान हम टीकों के निर्माण के सबसे बड़े वैश्विक केंद्रों में से एक थे और हमने 100 देशों को टीकों की आपूर्ति की। जी20 के लिए हमारा आदर्श वाक्य वसुधैव कुटुंबकम है। इसे हमने कोविड महामारी के दौरान व्यवहार में लाया है।
निकोसिया । साइप्रस और भारत के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग समेत तीन समझौते किये गए। समझौते पर हस्ताक्षर भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर और साइप्रस के के विदेश मंत्री लोआनिस कासोउलिडेस ने किये। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों तथा यूक्रेन संकट जैसे परस्पर व वैश्विक हितों के मुद्दों पर सार्थक चर्चा की।
जयशंकर साइप्रस की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर बृहस्पतिवार को यहां पहुंचे हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों के 60 साल पूरे हो गए हैं। जयशंकर ने यात्रा के दौरान साइप्रस के अपने समकक्ष कासोउलिडेस से मुलाकात की और रक्षा तथा सैन्य सहयोग से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। साथ ही आव्रजन और गतिशीलता पर आशय पत्र के साथ ही साइप्रस के अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में शामिल होने पर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों नेताओं ने विश्व शांति, स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर भी अपने विचार साझा किए।
कासोउलिडेस ने कहा कि भारत और साइप्रस लोगों के संपर्क में विविधता लाने तथा उसे गहरा के लिए प्रतिबद्ध हैं। जयशंकर और कासोउलिडेस ने यूक्रेन संघर्ष तथा अफगानिस्तान में स्थिति जैसे कई वैश्विक मुद्दों के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की।
जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्री के तौर पर आधिकारिक यात्रा पर यहां आना खुशी की बात है और यह यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब हमारे कूटनीतिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे हो गए हैं। यह खासतौर से गर्व की बात है और खुशी है कि इस मौके पर मैं यहां हूं।
उन्होंने कहा कि साइप्रस के समकक्ष से मुलाकात करना यह दिखाता है कि भारत अपने द्विपक्षीय सहयोग को गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, भारत-साइप्रस की साझेदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह लोकतंत्र, विविधता, बहुलवाद और कानून के लिए सम्मान के हमारे साझा मूल्यों में निहित हैं।
उन्होंने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने आ रही विभिन्न अहम चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान खासतौर से उपयोगी है। अपने संबंध मजबूत करने तथा अन्य साझेदारों के साथ काम करते हुए हम दोनों साझा मूल्यों तथा साझा सिद्धांतों से मार्गदर्शित हैं।
जयशंकर ने पत्रकारों से कहा, हमारी द्विपक्षीय संबंधों, बहुपक्षीय सहयोग, भू-राजनीतिक और क्षेत्रीय चुनौतियों पर बहुत रचनात्मक चर्चा हुई। हमने अपने-अपने पड़ोसियों, हिंद-प्रशांत, पश्चिम एशिया, यूरोप, भारत-यूरोपीय संघ संबंधों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। समझौतों को महत्वपूर्ण बताते हुए जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों ने रक्षा और सैन्य सहयोग पर समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि दोनों देशों ने भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने और कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर बृहस्पतिवार को स्मारक टिकट जारी किए।
जयशंकर ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग सभी को दिखाई दे रहा है और वे कोविड-19 महामारी के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने आ रही अहम चुनौतियों पर सहयोग करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और साइप्रस खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा के साथ ही सतत विकास जैसे अहम मुद्दों पर मिलकर काम कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का जिम्मेदार सदस्य होने के नाते भारत मानवीय सहायता, औषधि, टीके, अनाज और अन्य प्रकार की सहायता देने के लिए काम करने में अपने अन्य साझेदारों के साथ है।
जयशंकर ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का भी जिक्र किया और कहा कि नई दिल्ली का प्रयास अधिक से अधिक देशों को बातचीत में शामिल करना है। साइप्रस की तीन दिवसीय यात्रा पर विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष अन्निता डेमेट्रियू से भी मुलाकात की।