नई दिल्ली, । इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क हटाने से घरेलू उद्योग में वृद्धि के नए युग की शुरुआत होगी। इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। केंद्रीय इस्पात और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के तीसरे सम्मेलन में सोमवार को यह बात कही।
सिंधिया ने यहां आईएसए के सम्मेलन में कहा कि घरेलू इस्पात उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पैठ जमाने में कई साल लगे हैं। हमारे उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में महीनों नहीं, बल्कि कई साल लगे हैं। इससे इस्पात उद्योग में वृद्धि का एक नया युग शुरू हो गया है। इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क हटाने का निर्णय सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सोच समझकर लिया गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने 21 मई को कर लगाने के छह महीने बाद 19 नवंबर 2022 से इस्पात उत्पादों और लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया है।
cuts export duty
नई दिल्ली । सरकार ने इस्पात इंडस्ट्रीज को बड़ी राहत देते हुए स्टील उत्पादों और लौह अयस्क पर लगने वाला निर्यात शुल्क घटा दिया है। इससे इस्पात उत्पादों और लौह अयस्क का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्रालय ने देर रात इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है, जो 19 नवंबर से लागू हो गया है।
वित्त मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी बयान के मुताबिक सरकार ने इस्पात पर निर्यात शुल्क के मामले में 22 मई, 2022 से पहले की यथास्थिति को बहाल कर दिया है। सरकार ने पिग आयरन और स्टील उत्पादों के साथ-साथ लौह अयस्क पेलेट्स पर निर्यात शुल्क शून्य करने का फैसला किया है। इसके साथ ही 58 फीसदी से कम लौह वाले लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स पर निर्यात शुल्क शून्य किया गया है जबकि 58 फीसदी से अधिक लौह वाले लौह अयस्क लम्प्स और फाइन्स पर अब निर्यात शुल्क घटाकर 30 फीसदी कर दिया गया है।
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक स्टील इंडस्ट्री में कच्चे माल के रूप में उपयोग होने वाले एन्थ्रेसाइट/पीसीआई, कोकिंग कोल और फेरोनिकेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 2.50 फीसदी कर दिया गया है जबकि कोक और सेमी-कोक के लिए इसे बढ़ाकर 5 फीसदी कर दिया गया है, जो कि पहले शून्य था। गौरतलब है कि सरकार ने इस साल मई में देश में लौह की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए निर्यात शुल्क लगाने का फैसला किया था। उस समय पिग आयरन और स्टील प्रोडक्ट्स और निर्यात शुल्क बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया था।