सीतापुर: कांग्रेस सांसद राकेश राठौर को पुलिस ने गुरुवार को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब वह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। राठौर पर एक महिला से रेप का आरोप है और हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोतवाली नगर पुलिस ने राठौर को उनके आवास से गिरफ्तार किया। उस समय वह मामले पर प्रेस के सामने बयान दे रहे थे।
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‘मोदी सरकार ने किया अपमान’, मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर हुआ अंतिम संस्कार तो भड़के राहुल गांधी
आर्थिक सुधारों के जनक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शनिवार (28 दिसंबर 2024) को निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उनके अंतिम संस्कार वाली जगह और स्मारक स्थल को लेकर राजनीति जोरों पर है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर अपमान करने का आरोप लगाया है.
‘केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह का अपमान किया’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट कहा, “भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार आज निगम बोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार ने उनका सरासर अपमान किया गया है. एक दशक के लिए वह भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनके दौर में देश आर्थिक महाशक्ति बना और उनकी नीतियां आज भी देश के गरीब और पिछड़े वर्गों का सहारा हैं.”
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‘सर्वोच्च सम्मान के हकदार हैं पूर्व पीएम’
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की गरिमा का आदर करते हुए उनके अंतिम संस्कार अधिकृत समाधि स्थलों में किए गए, ताकि हर व्यक्ति बिना किसी असुविधा के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दे पाए. डॉ. मनमोहन सिंह हमारे सर्वोच्च सम्मान (भारत रत्न) और समाधि स्थल के हकदार हैं. सरकार को देश के इस महान पुत्र और उनकी गौरवशाली कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए था.”
इससे पहले शुक्रवार (27 दिसंबर 2024) को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार को चिट्ठी लिखकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए अलग जमीन देने की मांग की थी. कांग्रेस अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह ही मनमोहन सिंह के लिए भी अलग से स्मारक बनावाने की मांग कर रही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे लेकर गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की थी.
कांग्रेस को मिला अकाली दल और AAP का साथ
कांग्रेस की इस मांग में अकाली दल भी उनके साथ आ गई है. वहीं दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने निगम बोध घाट पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार होने पर हैरानी जताई है. एक्स पर पोस्ट कर उन्होंने कहा, मैं स्तब्ध हूं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया गया. इसके पहले भारत के सभी प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाता था. डॉ मनमोहन सिंह जी के अंतिम संस्कार और समाधि के लिए बीजेपी सरकार 1000 गज़ जमीन भी न दे सकी.
मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बेटी ने दी मुखाग्नि दी
10 साल रहे देश के प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष देश के प्रधानमंत्री रहे और उससे पहले उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने में मदद की. उनके नेतृत्व वाली सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआई), शिक्षा का अधिकार (आरटीई) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी युग परिवर्तनकारी योजनाओं की शुरूआत की. मनमोहन सिंह 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में भारत का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था.
Manmohan Singh Funeral: आर्थिक सुधारों के जनक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए. पूर्व पीएम की बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी. उनका निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. तीनों सेनाओं ने उन्हें सलामी दी. इससे पहले निगम बोध घाट पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने उन्हें श्रद्धांजली दी. राहुल गांधी ने उन्हें कंधा भी दिया.
इससे पहले आम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया. यहां मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत तमाम कांग्रेसी नेताओं ने उनके अंतिम दर्शन किए.
कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था शव
पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर उनके आवास से सुबह करीब नौ बजे कांग्रेस मुख्यालय लाया गया, जहां पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन के लिए पहले से ही इंतजार कर रहे थे. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर रखे जाने के बाद सोनिया गांधी, खरगे, राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा तथा पार्टी के कई अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर और उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद थे. गुरशरण कौर ने भी पुष्प अर्पित करके अपने पति को अंतिम विदाई दी. राहुल गांधी मनमोहन सिंह के परिवार को ढांढस बंधाते हुए उनके साथ पार्टी मुख्यालय के भीतर दाखिल हुए थे.
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10 साल रहे देश के प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष देश के प्रधानमंत्री रहे और उससे पहले उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने में मदद की. उनके नेतृत्व वाली सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआई), शिक्षा का अधिकार (आरटीई) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जैसी युग परिवर्तनकारी योजनाओं की शुरूआत की. मनमोहन सिंह 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में भारत का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में देहांत हो गया है. वे एक राजनीतिज्ञ के तौर पर कम एक अर्थशास्त्री के तौर पर अधिक जाने जाते रहे थे. यही वजह थी की तमाम राजनैतिक विरोधों के बावजूद विपक्षी नेता भी उन्हें भरपूर सम्मान देते थे. उनके व्यक्तित्व की सबसे खास बात उनका धीमे बात करने का अंदाज और सादगी थी. वे हमेशा ही आसमानी नीले रंग की पगड़ी पहनते थे. लेकिन मनमोहन सिंह हमेशा ही केवल और केवल नीले रंग की पगड़ी में दिखे. इसके पीछे एक खास वजह और एक खास कहानी थी.
सिखों में पगड़ियों का रंग
आमतौर पर ऐसा सिखों में किसी तरह का नियम नहीं है कि वे एक ही रंग का पगड़ी पहने. वैसे भी पगड़ियों में पीले रंग या बसंती की पगड़ी को ज्यादा पहना जाता है. कई बार केसरिया रंग की पगड़ी भी खूब देखी जाती है. लेकिन आम सिख कई रंग की पगड़ी पहनता है. इसमें आम लोगों में सफेद रंग की पगड़ी ज्यादा देखी जाती है. वहीं कई लोग अपनी वेशभूषा के रंग के मुताबिक पगड़ी के रंग को चुनते हैं. इसमें काली, पीली, लाल, हरी गुलाबी और नीले रंग की पगड़ी भी देखने को मिलती है.
पर केवल नीले रंग की पगड़ी
मनमोहन सिंह पर भी किसी तरह के रंग की पाबंदी नहीं थी. वे सिख तो थे, लेकिन वे कट्टर सिख भी नहीं ना ही वे केवल धर्म के प्रति समर्पित थे. कई सिख जो केवल अपने ही धर्म का कड़ाई से पालन करते हैं उनमें एक ही रंग की पगड़ी का नियम नहीं है, पर फिर भी वे पीले रंग की पगड़ी ज्यादा पहनते हैं. लेकिन अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह राजनीति में आने से पहले भी हमेशा ही नीली पगड़ी में दिखे.
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उन्होंने खुद किया इसका खुलासा
मनमोहन सिंह ने खुद साल 2006 में एक समारोह में इस बारे में बताया है कि उनकी पगड़ी रंग के पीछे क्या वजह है. यह मौका था जब कैम्ब्रिज ने उन्हें लॉ के डॉक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा था. समारोह में प्रिंस फिलिप ने लोगों का ध्यान उनकी पगड़ी के रंग की तरफ दिलाया था. प्रिस फिलिप ने कहा था इनकी पगड़ी का रंग देखिए. इस पर दर्शकों ने तालियां बजाई थीं. तब सिंह ने इसकी कहानी खुद बताई थी.
तो क्या है उनकी पगड़ी के रंग की कहानी
डॉ सिंह ने पगड़ी के रंग को अपना फेवरेट बताते हुए कहा कि जब वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे, तब भी वे इसी रंग की पगड़ी पहना करते थे और इसलिए उनके साथी उन्हें ब्लू टर्बन निकनेम से यानी नीली पगड़ी वाला बुलाने लगे थे. उन्होंने साफ किया कि यह रंग उनकी व्यक्तिगत पसंद है और इसका किसी पंथ या विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है.
इसमें कोई संदेह नहीं कि मनमोहन सिंह की पगड़ी का रंग उनके व्यक्तित्व को दिखाता है और उनका हिस्सा ही बन गया था. जब भी उनका कभी रंगीन कार्टून बनता था तो उनकी पगड़ी इसी रंग की हो गई थी. बिना इस रंग की पगड़ी के उनके बारे में सोचना असंभव है. जिस तरह से नीला रंग प्रेरणा और ज्ञान का प्रतीक है , वे भी भारत में प्रेरणा और ज्ञान कि प्रतीक होने के साथ एक प्रगतिशील, समावेशी और आर्थिक रूप से जीवंत भारत के नजरिए इस रंग के जरिए जाने जाएंगे.
भाजपा को मिला ₹2600 करोड़ से ज्यादा चंदा, कांग्रेस और अन्य दलों को कितना? यहां जानिए
भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है। ये रिपोर्ट लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 31 मार्च 2024 तक के चंदे को लेकर जारी की गई है। चुनाव आयोग ने रिपोर्ट में बताया है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को साल 2023-24 के दौरान सबसे ज्यादा 2,604.74 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा प्राप्त हुआ है। जानकारी के मुताबिक, भाजपा ने साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले 740 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिलने की घोषणा की थी।
कांग्रेस को कितना चंदा मिला?
साल 2023 से 2024 के बीच विपक्षी दल कांग्रेस को चंदे के तौर पर 281.38 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे पहले कांग्रेस ने साल 2018-19 में 146 करोड़ रुपये से ज्यादा चंदा मिलने की बात कही थी। कांग्रेस को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 150 करोड़ रुपये से ज्यादा चंदा मिला है। ये कांग्रेस को चंदा देने वाला एकमात्र ट्रस्ट है। कांग्रेस को 1.38 लाख रुपये का ऐसा चंदा भी मिला है जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, के सी वेणुगोपाल और दिग्विजय सिंह समेत अन्य शीर्ष नेताओं से प्राप्त चंदा भी शामिल हैं। कांग्रेस को ‘हमारे नेता को हैप्पी बर्थडे–जेकेबी’ के टाइटल से भी कई चंदे मिले हैं
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद योगी सरकार का बड़ा फैसला, सभी अधिकारियों को आदेश जारी, नहीं होंगे ये काम
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता रहे मनमोहन सिंह का गुरुवार, 26 दिसंबर 2025 को निधन हो गया. 92 वर्षीय मनमोहन सिंह 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे. मनमोहन सिंह के निधन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने राजकीय शोक घोषित किया है. इस संबंध में सभी अधिकारियों को आदेश जारी किया है.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि संयुक्त सचिव गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र संख्या-3/2/2024-पब्लिक, दिनांक 26-12-2024 द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि भारत के पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को एम्स अस्पताल, नई दिल्ली में निधन हो गया. दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में, यह निर्णय लिया गया है कि 26 दिसंबर 2024 से 01 जनवरी 2025 तक पूरे भारत में सात दिनों का राजकीय शोक मनाया जाएगा, दोनों दिन सम्मिलित हैं. इस अवधि के दौरान पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहां इसे नियमित रूप से फहराया जाता है और राजकीय शोक की अवधि के दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा.
अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
आदेश में कहा गया कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार के उक्त पत्र दिनांक 26-12-2024 के आलोक में यह कहने का निदेश हुआ है कि दिवंगत आत्मा के सम्मान में दिनांक 26-12-2024 से 01-01-2025 तक राजकीय शोक मनाये जाने का निर्णय लिया गया है. इस अवधि में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा एवं कोई सरकारी मनोरंजन नहीं होगा. तद्नुसार कृपया आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराने का कष्ट करें.
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राज्यपाल और अन्य नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया
बता दें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया. राज्यपाल पटेल ने सिंह के निधन को राजनीति जगत के लिए बड़ी क्षति बताते हुए अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं. अपने बयान में पटेल ने कहा, ‘डॉक्टर मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करती हूं.’
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘सत्य के प्रतीक और सौम्य व्यक्तित्व वाले डॉ. मनमोहन सिंह का निधन एक अपूरणीय अंतरराष्ट्रीय क्षति है. महान अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि.’
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी ‘एक्स’ पर कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन की खबर बेहद दुखद है. भारत की आर्थिक प्रगति में उनके उल्लेखनीय योगदान और उनके सदाचारी स्वभाव को हमेशा याद रखा जाएगा. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.’
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने सोशल मीडिया पर एक मार्मिक पोस्ट के जरिए सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘राजनीति में सादगी के प्रतीक डॉक्टर मनमोहन सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया. यह खबर बेहद दुखद है. आर्थिक सुधार, परमाणु समझौता और मनरेगा समेत उनकी दूरदर्शी पहलों ने भारत को समृद्धि की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया. राष्ट्र उनके योगदान का हमेशा ऋणी रहेगा. भावभीनी श्रद्धांजलि.’
भारत के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक और राजनीति में शालीनता के प्रतीक माने जाने वाले सिंह अपने पीछे परिवर्तनकारी नीतियों की विरासत छोड़ गए हैं जिसने आधुनिक भारत को आकार दिया. मनमोहन सिंह(92) का बृहस्पतिवार रात दिल्ली में निधन हो गया. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स)-दिल्ली ने उनके निधन की घोषणा की. वहां उन्हें गंभीर हालत में रात में आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया था.
दिल्ली-पंजाब में सत्ता छीनने वाली AAP की इस डिमांड ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन, ममता होंगी खुश
INDIA Alliance Split: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस के लिए टेंशन पैदा कर दी है. मुख्य़मंत्री आतिशी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अजय माकन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो उसे इंडिया ब्लॉक से हटाने के लिए गठबंधन के दूसरे दलों से बात की जाएगी.
संजय सिंह ने कहा, “अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को देश विरोधी कहा है, कांग्रेस पार्टी को उनके खिलाफ 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करनी चाहिए. अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करेगी तो आप इंडिया गठबंधन के नेताओं से मांग करेगी कि कांग्रेस को इस गठबंधन से हटाया जाए.” तो वहीं, अजय माकन ने कहा था, “अरविंद केजरीवाल को समर्थन देना और गठबंधन करना एक गलती थी एक भूल थी. उनकी कोई विचारधारा नहीं है, केजरीवाल राष्ट्र विरोधी हैं.”
दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर चुकी आप
अरविंद केजरीवाल की पार्टी भले ही लोकसभा चुनाव में गठबंधन का हिस्सा थी और चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, गोवा और गुजरात में एक साथ चुनाव लड़ा लेकिन पंजाब में पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी वो कांग्रेस के सामने दीवार बनकर खड़ी है. इससे पहले भी आप कांग्रेस को दिल्ली और पंजाब की सत्ता से बेदखल कर चुकी है. 2020 में पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर सत्ता में आई और इसी तरह के नतीजे दिल्ली में भी देखने को मिले थे.
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ममता बनर्जी क्यों होंगी खुश?
आप की तरफ से इस तरह का बयान आना तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए गुड न्यूज साबित हो सकता है क्योंकि टीएमसी गठबंधन की कमान ममता बनर्जी को सौंपने की मांग कर चुकी है. वहीं, आप ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर करने की मांग करके टीएमसी चीफ के लिए रास्ता आसान कर दिया है.
राहुल गांधी के परभणी दौरे के बीच भड़कीं मायावती, बसपा चीफ बोलीं- कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को महाराष्ट्र के परभणी का दौरा करेंगे. वह हिंसा में मारे गए दो लोगों के परिवारों से मिलेंगे. अब इस पर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा- भारतीय संविधान के मूल निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का अनादर/अपमान व उनके करोड़ों अनुयाइयों के प्रति हीन भावना का दुखद परिणाम है परभणी जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं. साबित है कि कांग्रेस व भाजपा आदि कोई इनका सच्चा हितैषी नहीं सबकी नीयत, नीति में खोट है.
मायावती ने कहा कि परभणी घटना को लेकर कांग्रेसी नेता का आज दौरा घड़ियाली आँसू, क्योंकि बाबा साहेब के जीतेजी व उनके देहान्त के बाद भी कांग्रेस का उनके व उनके अनुयाइयों के हित व कल्याण के प्रति रवैया हमेशा जातिवादी व तिरस्कारी रहा है. इनको दलित-पिछड़ों की याद केवल इनके बुरे वक्त में आती है.
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क्या है परभणी का मामला
बसपा चीफ ने कहा कि इसी क्रम में केन्द्रीय गृहमंत्री से संसद में बाबा साहेब विरोधी टिप्पणी को वापस लेने की माँग को लेकर बीएसपी द्वारा कल देश भर में जिला मुख्यालयों पर शान्तिपूर्ण धरना-प्रदर्शन को सफल बनाने की सर्वसमाज से अपील है. बाबा साहेब के नाम पर छलावापूर्ण राजनीति करने वालों से सावधानी जरूरी है.
बता दें मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित परभणी शहर के रेलवे स्टेशन के बाहर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की प्रतिकृति को 10 दिसंबर की शाम को क्षतिग्रस्त किये जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी.
प्रियंका गांधी का संसद में आज पहला भाषण, संविधान दिवस पर चर्चा में विपक्ष की तरफ से सबसे पहले गरजेंगी
संसद के शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच ‘बयानों का संग्राम’ जारी है. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अब तक हंगामेदार रही है. पर आज यानी शुक्रवार का दिन काफी अहम है. लोकसभा में 13 और 14 दिसंबर को संविधान दिवस को लेकर चर्चा होगी. भारत के संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यह दो दिवसीय चर्चा हो रही है. इस दौरान सबकी नजर प्रियंका गांधी पर होगी. प्रियंका गांधी का संसद में एक तरह से डेब्यू होगा. प्रियंका गांधी वाड्रा आज विपक्ष की तरफ से सबसे पहले बोलेंगी. संसद में उनका यह पहला भाषण होगा.
दरअसल, लोकसभा में संविधान दिवस पर यह बहस शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के साथ खत्म होगी. राज्यसभा में इस पर सोमवार और मंगलवार को चर्चा होनी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में भाजपा के पहले वक्ता हो सकते हैं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में बहस शुरू कर सकते हैं. विपक्ष की ओर से लोकसभा में प्रियंका गांधी लीड करेंगी.
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के साथ आक्रामक तेवर दिखाने के संकेत दिए हैं. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी इंडिया गठबंधन की ओर से संविधान दिवस पर बहस की शुरुआत करेंगी. सूत्रों ने कहा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी के शनिवार को लोकसभा में बोलने की संभावना है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष का नेतृत्व करेंगे. सूत्रों ने संकेत दिया है कि सोनिया गांधी भी उच्च सदन में बहस के दौरान बोल सकती हैं, जहां उन्हें सत्ता पक्ष के निशाने पर लिया गया था.
सरकार की ओर से बहस में कौन-कौन होगा शामिल?
- राजनाथ सिंह
- जदयू से राजीव रंजन सिंह
- शिवसेना से श्रीकांत शिंदे
- लोजपा से शांभवी चौधरी
- हम से जीतन राम मांझी
- भाजपा के कम से कम 10 नेता अन्य
विपक्ष की ओर से कौन-कौन
- प्रियंका गांधी (लोकसभा में शुरुआत करेंगी विपक्ष की ओर से)
- राहुल गांधी
- टीएमसी से कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा
- अखिलेश यादव या डिंपल यादव
- कांग्रेस के अन्य कई नेता
11 बजे से शुरू होगी कार्यवाही
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने संविधान सभा द्वारा संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर दोनों सदनों में चर्चा की मांग की थी. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस पर सहमति बनने के बाद संसद का गतिरोध टूटा था. लोकसभा में 13 एवं 14 दिसंबर और राज्यसभा में 16 व 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा के लिए सरकार ने सहमति जताई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राज्यसभा में विपक्ष की ओर से बहस की शुरुआत करेंगे. कांग्रेस ने लोकसभा में संविधान पर प्रस्तावित चर्चा के मद्देनजर बृहस्पतिवार को सदन के अपने सदस्यों को व्हिप जारी कर कहा कि वे सदन में दोनों दिन उपस्थित रहें. आज भी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू होगी.
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पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम को मिली है जूते और जूठे बर्तन साफ करने की सजा, आखिर क्या थी उनकी गलती?
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने कड़ी सजा सुनाई है। बादल के साथ ही शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौरान अन्य कैबिनेट सदस्यों को भी सजा सुनाई गई है। इस सजा के तहत इसके तहत इन सभी लोगों को स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ‘सेवादार’ के रूप में सेवा करने और जूठे बर्तनों और जूतों की सफाई करने का आदेश दिया गया है। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने यह आदेश अकाल तख्त के ‘फसील’ (मंच) से सुनाया है। इस सजा के ऐलान के बाद शिरोमणि अकाली दल की कार्यसमिति से सुखबीर बादल से पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा लेने की मांग की गई।
तनखैया भी घोषित किया गया था
सुखबीर सिंह बादल ने सोमवार को स्वीकार किया था कि अकाली दल की सरकार के दौरान उन्होंने डेरा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलाने में उन्होंने भूमिका निभाई थी। इस मामले को लेकर अकाल तख्त में पांच सिंह साहिबानों की बैठक हुई थी, जिसमें उन्हें और शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौरान अन्य कैबिनेट सदस्यों को धार्मिक दुराचार के आरोपों के लिए सजा सुनाई गई है। बता दें कि इससे पहले सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त ने ‘तनखैया’ (धार्मिक दुराचार का दोषी) भी घोषित किया था।
क्या-क्या मिली सजा, क्या करना होगा काम?
सजा के तहत सुखबीर बादल के पिता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल से ‘फख्र-ए-कौम’ की उपाधि वापस ले ली जाएगी।
सुखबीर बादल और सुखदेव ढिंढसा को एक घंटे तक बर्तनों और जूतों की सफाई करने के साथ-साथ ‘कीर्तन’ सुनने का भी आदेश दिया गया है।
जत्थेदार अन्य अकाली नेताओं जैसे सुचा सिंह लांगा, हीरा सिंह गैब्रिया, बलविंदर सिंह भुंदर, दलजीत सिंह चीमा और गुलजार सिंह को स्वर्ण मंदिर में एक घंटे तक बाथरूम की सफाई करने और इसके बाद गुरु का लंगर सेवा में बर्तनों की सफाई करने का निर्देश दिया गया है।
इन नेताओं को एक घंटे तक कीर्तन सुनने का आदेश भी दिया गया है।अकाली नेताओं जैसे बीबी जगीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रेखड़ा, बिक्रम सिंह मजीठिया, महेश इंदर सिंह ग्रीनवाल, चरणजीत सिंह अटवाल और आदेश प्रताप सिंह कैरों को भी स्वर्ण मंदिर में बाथरूम की सफाई करने के लिए कहा गया है।
क्या थी सुखबीर सहित इन लोगों की गलती
सुखबीर बादल ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया, जिसमें 2007 में ब्लास्फेमी केस में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ़ी देने का मामला भी शामिल था।2015 में हुए पवित्र पुस्तक अपमान मामले में दोषियों को सजा नहीं देना भी शामिल था।