बैंकाक। थाईलैंड में बच्चों के एक डे केयर सेंटर में ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार से हड़कंप मच गया। घटना में कम से कम 38 लोगों की मौत हुई है, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं। हत्यारे ने इस सामूहिक हत्याकांड को अंजाम देने के बाद अपनी पत्नी और बच्चे के साथ खुद को भी गोली मार ली।
जानकारी के मुताबिक थाईलैंड के पूर्वोत्तर प्रांत में एक बाल देखभाल केंद्र (डे केयर सेंटर) में अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग की घटना से हड़कंप मच गया। थाईलैंड पुलिस प्रवक्ता अचयों क्रैथोंग के मुताबिक थाईलैंड के नोंग बुआ लाम्फू प्रांत में एक बंदूकधारी ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर घटना को अंजाम दिया। वारदात के बाद हमलावर फरार हो गया। घटमा में 38 लोगों के मारे जाने की जानकारी सामने आई है। इनमें ज्यादार बच्चे हैं। देखभाल केंद्र में बच्चों की देखभाल करने वाले कुछ वयस्क भी गोलियों का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
बताया गया कि एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने इस गोलीबारी एवं वीभत्स हत्याकांड को अंजाम दिया है। हत्या करने के बाद बंदूकधारी पूर्व पुलिस अधिकारी मौके से गायब हो गया। पुलिस ने कहा कि हमलावर ने बच्चों और वयस्कों पर गोलियां बरसाईं और कुछ पर चाकू से भी हमला किया। इसके बाद वह मौके पर से भाग गया। हमलावर बैंकाक लाइसेंस की नंबर प्लेट की सफेद पिकअप में भाग गया था। अब पुलिस उक्त गाड़ी की तलाश कर रही है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लोगों की हत्या करने के बाद आरोपी शख्स ने अपने बच्चे और पत्नी को भी गोली मार दी और उसके बाद खुद को गोली मार ली। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री प्रयुत चन ओचा ने सभी एजेंसियों को कार्रवाई करने और अपराधी को पकड़ने के लिए आदेश जारी कर दिया है।
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बच्चों को सही दिशा देने की शुरुआत बचपन से ही कर दी जाती हैं, क्योंकि कहते हैं बचपन से ही बच्चों में जो आदत डाली जाती है उसके परिणाम बड़े होते बच्चों में अपने आप दिखने लगते हैं। ऐसा ही जिंदगी का एक सबक हैं पैसों की बचत जो आदत बचपन में ही विकसित हो जानी चाहिए। हमें बचपन से बच्चे को फिजूल खर्च और बचत में अंतर बताना चाहिए। पैसे की अहमियत का पता होना बहुत जरूरी हैं अन्यथा लापरवाही उनके भविष्य को बिगाड़ सकती हैं। आप उन्हें थोड़ी जानकारी देंगे और बचत के बारे में समझाएंगे तो आने वाले समय में उनके लिए यह एक बेहतर समय लाएगा।
आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह बच्चों में बचपन से ही पैसों के बचत की आदत विकसित की जाए। आइये जानते हैं इनके बारे में… जरूरत और चाहत में अंतर बताए बच्चों को पैसों की बचत की वैल्यू बताने का पहला स्टेप है कि आप उन्हें जरूरत और चाहत के बीच फर्क करने में मदद करें। उसे बताएं कि खाने, घर, कपड़े, सेहत और पढ़ाई, ये सब उसकी मूलभूत जरूरते हैं और मूवी की टिकट, चॉकलेट, साइकिल या स्मार्टफोन उसकी चाहत है। आप एक लिस्ट बनाकर उसे दिखाएं कि किस तरह पहले जरूरत और फिर चाहत को पूरा करने पर पैसे खर्च करने हैं।
गुल्लक लाकर दें : बच्चों में बचपन से बचत की आदत डालने का सबसे अच्छा तरीका है गुल्लक या पिगी बैंक। आप अपने बच्चे को उसके पसंदीदा कार्टून करैक्टर का गुल्लक खरीद कर गिफ्ट कर सकते हैं और उसे समझा सकते हैं कि मेहमानों, दादा, दादी, नानी, नाना या फिर आपकी तरफ से जो जेब खर्च उन्हें मिलता है, उसका कुछ हिस्सा गुल्लक में डालें। उनकी बचत करने की आदत बन सकती है। किसी भी बच्चे को ये शायद ही पता हो कि पैसा कमाना कितना मुश्किल और मेहनत भरा काम होता है। तो बच्चे को पैसों का मोल समझाने के लिए जरूरी है कि उसे यह बताएं कि पैसा कितनी मेहनत से कमाया जा रहा है। इसके लिए आपको बच्चे को कहीं बाहर नहीं भेजना है बल्कि उससे घर के ही कुछ काम करवाएं और उसके बदले में उसे कुछ पैसे दें। इससे बच्चे को समझ आएगा कि पैसा किस तरह मेहनत कर के कमाया जाता है और उसकी कितनी अहमियत है।
जगाएं सेविंग इंट्रेस्ट: हर बैंक सेविंग पर कुछ न कुछ इंट्रेस्ट देता है। ऐसे में माता-पिता भी बच्चों के पिगी बैंक में जमा पैसों पर अपनी तरफ से कुछ इंट्रेस्ट दे सकते है। ऐसा करने से बच्चों को पैसे की कीमत समझ आएगी।
हिसाब से दें पॉकेट मनी: बच्चे को हमेशा हिसाब से ही पॉकेट मनी दें। अगर आप उन्हें ज्यादा पॉकेट मनी देते हैं, तो इससे उनमें फिजूलखर्च की आदत पड़ सकती है। जब आप हिसाब से पॉकेट मनी देंगे, तो बच्चा बचत करना सीखेगा। बच्चों को बस इतना कह दिया जाता है कि उन्हें सेविंग करनी है जबकि ये नहीं समझाया जाता कि उन्हें ये सेविंग क्यों करनी है। अगर आप बच्चे को बचत करने का कारण बताएंगे और उसके लिए कोई सेविंग गोल तैयार करेंगे, तो इससे बच्चे को मोटिवेशन मिलेगी। अपने सेविंग गोल को पूरा करने में आप उसकी मदद भी करें। प्राथमिकता तय करना सिखाएं: बच्चे को छोटी सी उम्र से ही ये बताएं कि हम जो चाहते हैं, वो सब कुछ खरीदा नहीं जा सकता है। कभी-कभी हमें अपनी जरूरतों और जरूरी चीजों में चुनाव करना पड़ता है, प्राथमिकताएं तय करनी पड़ती हैं।
गलतियों से भी सिखाएं: जब बच्चों के हाथ में पैसे होते हैं तो उन्हें खर्च करने को लेकर वो कुछ गलतियां भी कर बैठते हैं। आपको इन्हीं गलतियों का फायदा उठाना है। उसे बताएं कि कैसे और कहां खर्च कर के उसने गलती है की है और अब उसे किस तरह उस गलती को करने से बचना है। इसमें आप उसकी मदद करें और उसे सही रास्ता दिखाएं।
वित्तीय निर्णय में बच्चों की भी साझेदारी: यदि आप अपने घर में कोई कीमती सामान मंगवा रहे हैं या शॉपिंग पर जा रहे हैं तो उस दौरान आप अपने बच्चों से भी उनकी राय पूछ सकते हैं। ऐसे में ना केवल बच्चे वित्तीय निर्णय के प्रति जागरूक बनेंगे बल्कि वह भविष्य में खुद भी बेहद सोच समझकर खर्च करेंगे।
नई दिल्ली। दिल्ली के मणिपाल अस्पताल में डॉक्टरों ने वो कर दिया जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा। डॉक्टरों ने काफी मशक्कत कर एक मासूम की जान बचाई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आठ वर्षीय बच्चे के गले में तीन दिनों से एक सिक्का अटका हुआ था। इससे बच्चे के शरीर में कई जटिल समस्याएं आ गई थीं। वहीं पश्चिमी दिल्ली में स्थित मणिपाल अस्पताल के डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन कर बच्चे को नई जिंदगी दी। बता दें कि बच्चे को खांसी और लगातार लार निकलने की परेशानी के लिए परिजन अस्पताल लेकर आए थे।
इस दौरान जांच में सामने आया कि बच्चे के गले में सिक्का अटका हुआ है, जिसके कारण वह एसोफेजियल परफोरेशन (आहार नलिका में छेद) नामक एक दुर्लभ और जटिल समस्या से पीड़ित है। उसकी आहार नलिका में छेद होने के कारण फेफड़ों में भी रिसाव हो रहा था। डॉक्टरों के अनुसार तीन दिनों में कई तरह की समस्याओं के चलते उसे ब्रोंकियल निमोनिया हो गया था।
इस बाबत मणिपाल अस्पताल में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट और हेपेटोलॉजी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सुफला सक्सेना ने बताया कि बच्चे की आहार नली में छेद होने और फेफड़ों में रिसाव की वजह से यह मामला क्रिटिकल हो गया था। अगर बच्चे का तत्काल इलाज नहीं किया जाता, तो उसकी मौत भी हो सकती थी या फिर उसकी आहार नली हमेशा के लिए खराब हो जाती।
डॉक्टर सुफल सक्सेना ने बताया कि बच्चे के गले से सिक्के को निकालने के बाद उसे एनजी ट्यूब से खाना दिया जा रहा है। हालांकि जब उसकी आहार नली ठीक होने लगी, तो हमने जांच के बाद एनजी ट्यूब हटा दिया है। वहीं अब बच्चे ने मुंह से खाना खाना शुरू कर दिया, जिसके बाद उसे अस्पताल से घर भेज दिया गया।
नई दिल्ली। बाल यौन शोषण से जुड़ी चीजों की ऑनलाइ शेयरिंग के खिलाफ सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने आज बड़ी कार्रवाई की। जांच एजेंसी ने शनिवार को 20 राज्यों में 56 ठिकानों पर दबिश दी है। सीबीआई की तरफ से इसे ‘ऑपरेशन मेघचक्र’ नाम दिया गया है। खबर है कि इंटरपोल सिंगापुर से मिले इनपुट और बीते साल अंजाम दिए गए ऑपरेशन कार्बन के दौरान हासिल की गई जानकारी के आधार पर छापे मारे गए हैं।
सीबीआई ने सर्क्युलेशन ऑफ चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन मटेरियल के दो मामलों को लेकर एक्शन लिया गया है। खबर है कि अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कथित तौर पर सीएसईएम शेयर करने में शामिल लोगों की शुरुआती जानकारी इंटरपोल न्यूजीलैंड से मिली थी।
सीबीआई ने सिंगापुर के जरिए यह खुफिया जानकारी हासिल की। इससे पहले साल 2021 में सीबीआई ने ऑपरेशन कार्बन को अंजाम दिया था। उस दौरान देशभर में 83 लोगों के खिलाफ 76 ठिकानों पर रेड की गई थी और कई गिरफ्तारियां की गई थीं।
ऑपरेशन मेघचक्र के जरिए जांच एजेंसी सीएसईएम को ऑनलाइन शेयर करने में शामिल लोगों का पता लगा रही है। खबर है कि इस तरह के रैकेट को एक व्यक्ति या एक संगठन के स्तर पर भी चलाया जाता है। ऑपरेशन का खास निशाना क्लाउट स्टोरेज फैसेलिटी है, जिनकी मदद से पैडलर नाबालिगों से जुड़ी यौन सामग्री को सर्क्युलेट करते हैं।