भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता ज्वाला के दो और शावकों की मौत हो गई है। ज्वाला के चार शावक थे। इनमें से अब तीन शावक की मौत हो चुकी है। कूनो पार्क में कुछ ही महीने में तीन बड़े चीते की भी मौत हो चुकी है।
पिछले साल 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक-एक कर अब तक 3 चीतों और उनके तीन शावकों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को कूनो नेशनल पार्क में ज्वाला नाम की मादा चीते के दो और शावकों की मौत हो गई। इससे दो दिन पहले ही ज्वाला चीते के एक शावक की मौत हुई थी। बीते दो महीने के भीतर ही 3 शावकों समेत 6 चीतों की मौत हो चुकी है।
20 चीते साउथ अफ्रीका से लाए गए थे
17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद इसी साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे। यानी 20 चीते साउथ अफ्रीका से लाए गए थे।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम भगतसिंह के नाम पर रखने का फैसला किया गया है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने बताया कि लोग कब चीतों को देख सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीतों की बात करने लिए बहुत सारे मैसेज आए हैं। देश के कोने कोने से लोगों ने चीतों के लौटने पर खुशी जताई। 130 करोड़ भारत वासी खुश हैं, गर्व से भरे हैं। यह है भारत का प्रकृति प्रेम। इस बारे में लोगों का एक कॉमन सवाल है कि मोदीजी हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा?
भोपाल। मध्य प्रदेश अब देश और दुनिया में चीता स्टेट के तौर पर पहचाना जाएगा, ऐसी उम्मीद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जताई है। चौहान ने कहा है, मध्य प्रदेश (एमपी) गजब है, सबसे अजब है। टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट, वल्चर स्टेट, घड़ियाल स्टेट के बाद यह अब चीता स्टेट होगा। उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ 526, सबसे ज्यादा तेंदुए 3421 है। प्रदेश में जंगल 30 फीसदी से अधिक है। राज्य में राष्ट्रीय उद्यान 10, टाइगर रिजर्व छह और वन्य जीव अभ्यारण 25 है। इसके साथ ही घड़ियाल और वल्चर भी मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा।
चौहान का कहना है कि नामीबिया से चीते आए हैं। चीतों को लाया जाना एक असाधारण घटना है। मैं असाधारण इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि लगभग 1952 के आस-पास हमारे देश में चीतों का अस्तित्व समाप्त हो गया। अब दूसरे महाद्वीप से चीते लाकर उनको यहां पुनर्स्थापित कर रहे हैं। शायद यह इस सदी की सबसे बड़ी घटना है। दूसरे महाद्वीप से विशेष वन्यजीवों को लाकर हम यहां बसाएंगे। कोशिश यह करेंगे कि चीते का परिवार स्वाभाविक रूप से बढ़ता रहे।
उन्होंने कहा, चीता आना एक विलुप्त होती हुई प्रजाति को फिर से पुनर्स्थापित करने का काम तो है ही, लेकिन यह पर्यावरण का संतुलन भी बनाएंगे। इससे वाइल्ड लाइफ समृद्ध होगी। केवल इतना ही नहीं, श्योपुर जिले और उसके आस-पास रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर बने एतिहासिक क्षण के गवाह
ग्वालियर/ श्योपुर। भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से लाए गए आठ चीते शनिवार को भारत में अपने नए बसेरे कुनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंच गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं, ने मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में बनाए गए विशेष बाड़ों में पूर्वाह्न सुबह करीब 11.30 बजे चीतों को छोड़ा।
मालवाहक बोइंग विमान से सुबह 7.47 बजे ग्वालियर एयरबेस पर उतरने के बाद वायु सेना के दो हेलीकॉप्टरों से इन चीतों को केएनपी के पास पालपुर ले जाया गया। एक वायरल वीडियो में चीतों के बक्सों ग्वालियर हवाई अड्डे पर बोइंग विमान से उतारते और फिर हेलीकॉप्टरों में स्थानांतरित करते हुए देखा गया। मालवाहक बोइंग विमान ने शुक्रवार रात को नामीबिया से उड़ान भरी थी और लगभग 10 घंटे की लगातार यात्रा के दौरान चीतों को लकड़ी के बने विशेष पिंजरों में पहले ग्वालियर फिर यहां लाया गया।
नामीबिया से उड़ान भरने से पहले दुनिया में जमीन पर सबसे तेज दौडऩे वाले वन्यजीव को एक ‘ट्रैंक्विलाइजऱ दिया गया जिसका असर तीन से पांच दिनों तक रहता है। भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद इस प्रजाति को देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष मालवाहक विमान शनिवार सुबह ग्वालियर के हवाई अड्डे पर उतरा था। इसके बाद इन्हें 20 से 25 मिनट की यात्रा के बाद 165 किलोमीटर दूर हेलीकॉप्टर से पालपुर फिर कुनो लाया गया। एक अधिकारी ने कहा कि यात्रा के दौरान चीते बिना भोजन के रहे और उन्हें बाड़े में छोड़े जाने के बाद खाने के लिए दिया गया। राष्ट्रीय उद्यान में एक मंच स्थापित किया गया जिसके नीचे चीतों को विशेष पिंजरे में रखा गया और शनिवार को 72 वर्ष के हो चुके मोदी ने लीवर चलाकर चीतों को बाड़े में छोड़ दिया, जो धीरे धीरे बाहर आते दिखे।
इस मौके पर मोदी अपने कैमरे से चीतों की तस्वीरें लेते हुए भी दिखाई दिए।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान विंध्याचल पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित है और 344 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। अधिकारियों ने भारी बारिश, खराब मौसम और कुछ सड़कें अवरुद्ध होने के बावजूद कुनो में चीतों को अपने नए बसेरे में छोड़ने के मोदी के कार्यक्रम की तैयारियां पूरी की। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम से दो दिन पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल इलाके में भारी बारिश हुई है
भोपाल। समूचे भारत वर्ष के लिए कल का दिन ऐतिहासिक होने वाला है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के दौरान अपने जन्मदिन के अवसर पर करीब 75 वर्ष बाद मध्य प्रदेश की धरती से भारत को एक बार फिर दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले प्राणी चीतों की सौगात देंगे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी कल इन चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्स्थापित करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पहली खेप में नामीबिया से तीन चीते, जिसमें दो नर और एक मादा लाये जा रहे हैं। बाकी चीते बाद में यहां लाकर बाड़े में छोड़े जाने की योजना को मंजूरी मिली है। कूनो नेशनल पार्क में कुल बीस चीते, जिसमें 12 दक्षिण अफ्रीका और आठ नामीबिया से लाकर बसाए जाने की खबरें हैं।
अधिकृत जानकारी के अनुसार पांच सौ वर्ग किलोमीटर का चीतों के लिये बनाया गया विशेष बाड़ा पूरी तरह से तैयार है। इसी बाड़े के पास चार हेलीपेड बनाकर तैयार किये गए हैं, जिन पर चीतों को लाने वाला चॉपर उतरेगा। यहीं पर ही प्रधानमंत्री और अन्य विशेष अतिथियों के हेलीकॉप्टर उतरेंगे। हेलीपेड से तीन सौ मीटर की दूरी पर बाड़े का मुख्यद्वार है, जिससे प्रधानमंत्री श्री मोदी चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार कूनो राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से लगे हुए गांवों में पशुओं के टीकाकरण का कार्य पूरा किया जा चुका है। क्षेत्र के समस्त गांवों में जागरूकता शिविर लगाए गए हैं तथा कूनो से लगे आसपास के ग्रामों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है। यहाँ चीतों के रहवास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का विकास किया गया है। पानी की व्यवस्था के साथ आवश्यक सिविल कार्य भी पूरे किए गए हैं।
कूनो में वन्य-प्राणियों का घनत्व बढ़ाने के लिए नरसिंहगढ़ से चीतल लाकर छोड़े गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में शिकार का घनत्व चीतों के लिए पर्याप्त है। नर चीते दो या दो से अधिक के समूह में साथ रहते हैं। सबसे पहले चीतों को दो-तीन सप्ताह के लिए छोटे-छोटे पृथक बाड़ों में रखा जाएगा। एक माह के बाद इन्हें बड़े बाड़ों में स्थानांतरित किया जाएगा। विशेषज्ञों द्वारा बड़े बाडों में चीतों के अनुकूलन संबंधी आकलन के बाद पहले नर चीतों को और उसके पश्चात मादा चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। इस संबंध में आवश्यक प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
धरती के सबसे तेज दौड़ने वाले वन्य प्राणी चीते की आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भारत की धरती पर करीब 75 वर्ष बाद ही वापसी हो रही है। माना जाता है कि मध्य भारत के कोरिया (वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्थित) के पूर्व महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव द्वारा 1948 में भारत में अंतिम चीते का शिकार किया गया था। अंग्रेज सरकार के अधिकारियों एवं भारत के राजाओं द्वारा किये गये अत्यधिक शिकार से 19वीं शताब्दी में इनकी संख्या में अत्यधिक गिरावट आई। अंततः 1952 में भारत सरकार ने अधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया।
भारत में चीतों का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। मध्य प्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य के चतुर्भुज नाला एवं खरबई, जिला रायसेन में मिले शैल चित्रों में चीतों के चित्र पाये गये हैं। भारत में चीतों के पुनर्स्थापना हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार के साथ अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों की बैठक वर्ष 2009 में आयोजित की गई। वर्ष 2010 में भारतीय वन्य-जीव संस्थान द्वारा चीता पुनर्स्थापना हेतु संपूर्ण भारत में संभावित 10 क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया। इन संभावित 10 स्थलों में से कूनो अभयारण्य (वर्तमान कूनो राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर) को सबसे उपयुक्त पाया गया। चीतों की पुनर्स्थापना के संबंध में पर्याप्त अध्ययन न होने से वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चीता को भारत लाये जाने पर रोक लगा दी गई। चीतों के पुनर्स्थापना हेतु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 28 जनवरी 2020 को अनुमति प्रदान की गई एवं चीता परियोजना हेतु मॉनीटरिंग के लिये 3 सदस्यीय विशेषज्ञ दल का गठन किया गया।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के आस-पास स्थित श्योपुर, मुरैना एवं शिवपुरी जिले की जनता भी पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि से अतिरिक्त लाभ अर्जित कर बेहतर जीवन यापन कर सकेगी। पर्यटन में वृद्धि होने से स्थानीय समुदाय के लिये रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के दिन मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान का दौरा करेंगे, जहां नामीबिया से चीतों को छोड़ा जाएगा। जंगली चीतों को भारत में लाने से वन्य जीवन और उनके विकास को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।
1952 में चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। चीतों को साल की शुरूआत में एक समझौता ज्ञापन के तहत लाया गया है। बाद में प्रधानमंत्री कराहल, श्योपुर में महिला एसएचजी सदस्यों और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के साथ स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में भाग लेंगे।