लखनऊ । बिहार सरकार के जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद अब पूरे देश में भी जातीय जनगणना कराये जाने की मांग उठने लगी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराना चाहिए।
मायावती ने एक्स पोस्ट में कहा कि बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में हैं। उस पर गहन चर्चाएं जारी हैं। कुछ पार्टियां इससे असहज ज़रूर हैं, लेकिन बसपा के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लंबे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है। बसपा को खुशी है कि देश की राजनीति उपेक्षित ‘बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नया करवट ले रही है। इसका नतीजा है कि एससी, एसटी आरक्षण को निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बनाने तथा घोर ओबीसी एवं मंडल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नजर आने लगे हैं। यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जनभावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार करके जातीय जनगणना अविलंब शुरू करा देना चाहिए, लेकिन इसका सही समाधान तभी होगा जब केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी।
CAST BASED CENSUS
पटना । हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने वाली सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार जातीय जनगणना करवा सकती है। लेकिन यह काम उसे जनगणना की तरह नहीं, सर्वे की तरह करना है। कोई दबिश नहीं।
जातिगत जनगणना का काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था, लेकिन हाई कोर्ट की रोक के बाद फिलहाल यह 80 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने लगातार 3 से 7 जुलाई तक इस मामले में याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अब कोर्ट ने इस मामले में अपना बड़ा फैसला सुनाया है।
पटना हाईकोर्ट ने करीब 100 पन्नों का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने उन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है, जिनमें यह दलील देते हुए रोक लगाने की मांग की गई थी कि जनगणना का काम सिर्फ केंद्र का है, राज्य का नहीं। इसके बाद अब राज्य में एक बार फिर से जातिगत जनगणना का काम शुरू किया जाएगा।
बिहार में जाति आधारित गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी। पहले चरण का काम पूरा होने के बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से किया जा रहा था। जाति आधारित गणना का काम पूरा होने से पहले चार मई को पटना हाईकोर्ट ने अपने एक अंतरिम आदेश में जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। इसका करीब 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
अंतिम फैसला आए बिना सुप्रीम कोर्ट में नहीं होगी सुनवाई
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को तीसरी बार बिहार की जाति आधारित जन-गणना के केस को पटना हाईकोर्ट के पास भेजा था। दो बार जनहित के नाम पर याचिका पहुंचने पर सुप्रीम न्यायालय ने इसे हाईकोर्ट का केस बताते हुए वापस किया था।
बेगूसराय (बिहार)। राज्य में जातिगत आधारित गणना का कार्य सात जनवरी से शुरू होग। जातिगत गणना का पहला चरण 21 जनवरी तक चलेगा तथा गणना का कार्य 31 मई तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए डीएम-सह-प्रधान गणना पदाधिकारी की उपस्थिति में यहाँ प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
मौके पर डीएम रोशन कुशवाहा ने कहा कि बिहार जाति आधारित गणना का समयबद्ध एवं त्रुटिरहित तरीके से सफल क्रियान्वयन जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए आवश्यक है कि सभी स्टेकहोल्डर्स बिहार जाति आधारित गणना के संबंध में प्राप्त अनुदेशों का अक्षरशः पालन करते हुए सजग, तत्पर एवं सतर्क रहकर कार्य का संपादन सुनिश्चित करें।
डीएम ने कहा कि जाति आधारित गणना सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, इसलिए इसकी समयबद्धता, महत्ता एवं अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए सभी कार्यों को समय पर एवं सफलतापूर्वक निष्पादन करना आवश्यक है। सभी गणना कर्मियों को अपने उत्तरदायित्व को पूरी लगन और सत्यनिष्ठा से निर्धारित समय अवधि में पूरा करना होगा। गणना कार्य के दौरान प्रत्येक व्यक्ति के साथ आदर और सम्मान से वार्ता कर उनके पूर्ण सहयोग प्राप्त करते हुए गणना कार्यों को सफल बनाएं।
डीएम ने अनुमंडल गणना अधिकारी, चार्ज अधिकारी एवं वरीय प्रभारी पदाधिकारियों आदि की भूमिका तथा उत्तरदायित्वों के साथ ही गणना की बारीकियों को समझाते हुए कहा कि सरकार द्वारा जातियों से संबंधित वास्तविक आंकड़े प्राप्त करने के उद्देश्य से बिहार में निवास करने वाली सभी जातियों की गणना का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार जाति आधारित गणना, दो चरणों में सम्पन्न होगी। प्रथम चरण में मकान सूचीकरण तथा द्वितीय चरण में वास्तविक गणना कार्य किए जाएंगे। मकान गणना कार्य के दौरान सात से 21 जनवरी तक घर-घर जाकर गणना किया जाएगा, ताकि कोई परिवार या घर गणना के कार्य में छूटे नहीं।
जाति आधारित गणना के दौरान राज्य के सभी व्यक्तियों का जाति का गणना किया जाना है, बाहर रहने वाले लोगों की भी गणना की जाएगी। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना की ईकाई ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में वार्ड स्तर पर होगी। यदि वार्ड की जनसंख्या सात सौ या उससे कम होगी तो प्रत्येक वार्ड पर एक गणना ब्लॉक के रूप में निर्धारित किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में एक प्रगणक को दो वार्ड का क्षेत्र नहीं दिया गया है।
प्रगणक और पर्यवेक्षक गणना के दौरान आंकड़े संग्रहण के लिए जिम्मेदार प्राथमिक गणना कर्मी हैं। प्रत्येक छह प्रगणकों के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। जाति आधारित गणना के दौरान आर्थिक स्थिति के सर्वेक्षण का भी प्रयास किया जायेगा। गणना के हर एक पहलू को सूक्ष्मता से समझाते हुए उन्होंने कहा कि सभी संबद्ध पदाधिकारियों एवं कर्मियों को जाति आधारित गणना के विभिन्न आयामों एवं अवयवों से पूरी तरह अवगत होना आवश्यक है। सभी चार्ज पदाधिकारी, सहायक चार्ज पदाधिकारी एवं फिल्ड ट्रेनर्स प्रश्नों की प्रकृति सहित सभी बिन्दुओं को अच्छी तरह समझ लें तथा किसी प्रकार की दुविधा की स्थिति में वरीय पदाधिकारियों से जानकारी लेकर समाधान प्राप्त कर लें।
डीएम ने बताया कि जिले में जाति आधारित गणना के सफल संपादन के लिए जिला स्तर पर गठित कार्मिक प्रबंधन, प्रिंटिंग, प्रशिक्षण, गणना किट प्रबंधन एवं सामग्री, आई.टी., विधि-व्यवस्था प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, अनुश्रवण तथा प्रचार-प्रसार कोषांग के सभी नोडल पदाधिकारी एवं संबंधित पदाधिकारियों को अपने-अपने उत्तरदायित्वों का गंभीरतापूर्वक निष्पादन करने का निर्देश दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान संबंधित विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारी देने के साथ-साथ जाति आधारित गणना के क्रियान्वयन में क्या करें, क्या नहीं करें के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है।