झुंझुनू। भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के दुनिया में सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। देश में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा से जुड़े सरकारी एवं स्वयंसेवी संस्थानों के लिए यह अत्यंत चिंताजनक समस्या है। राजस्थान में झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे में कार्यरत केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध एवं विकास प्रयासों से इस समस्या का समाधान ढूंढ़ लिया है। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सत्यम श्रीवास्तव एवं उनकी टीम ने सर्वाइकल कैंसर जांच के लिए आईओटी सक्षम स्मार्टफोन आधारित हैंडहेल्ड कोल्पोस्कोप विकसित किया है। पिलानी स्थित सीरी संस्थान के निदेशक डॉ. पीसी पंचारिया ने शोधकर्ता टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
हमारे देश में हर साल पश्चिमी देशों से बड़ी संख्या में कॉल्पोस्कोप उपकरणों का आयात किया जाता है। जिसमें बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा का व्यय होता है। इन महत्वपूर्ण कॉल्पोस्कोप में से अधिकांश बहुत महंगे एवं प्रकृति में भारी हैं और इनमें सीमित विशेषताएं भी हैं। कॉल्पोस्कोपी एक चिकित्सा प्रक्रिया है। जिसे गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की स्थिति का पता लगाने और गर्भाशय ग्रीवा अर्थात सर्विक्स कैंसर का निदान करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। कॉल्पोस्कोप वह उपकरण है। जो स्त्री रोग विशेषज्ञ को कॉल्पोस्कोपी प्रक्रिया के माध्यम से उपचार करने की सुविधा प्रदान करता है। सीरी द्वारा इसी प्रौद्योगिकी की तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से मेसर्स डिवाइन मेडिटेक प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा से किया गया है।
सीरी पिलानी के वैज्ञानिक डॉ. सत्यम श्रीवास्तव के नेतृत्व में संस्थान के शोधकर्ताओं की टीम ने सीएसआईआर द्वारा प्रायोजित मेक इन इंडिया मेडिकल मिशन परियोजना के अंतर्गत गर्भाशय ग्रीवा अर्थात सर्विक्स की स्थिति का पता लगाने के लिए और सर्वाइकल कैंसर के निदान के लिए एक स्वदेशी आईओटी सक्षम हैंडहेल्ड कोल्पोस्कोप प्रणाली विकसित की है। संस्थान द्वारा विकसित कोल्पोस्कोप प्रणाली में अत्याधुनिक विशेषताएं हैं। जैसे – जल्द डेटा विजुअलाइजेशन और विश्लेषण के लिए स्मार्टफोन आधारित ऐप से कनेक्टिविटी, रोगियों और डॉक्टरों के बीच सीधे संचार अथवा संपर्क के लिए क्लाउड कनेक्टिविटी, सर्वाइकल कैंसर का समय से पूर्व पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर आधारित प्रक्रिया, ग्रामीण क्षेत्रों में लगाए जाने वाले शिविरों में प्रणाली के अनवरत एवं निर्बाध संचालन के लिए ऑन-डिवाइस रिचार्जेबल बैटरी सपोर्ट के अलावा इसकी कीमत भी कम होगी।
इस प्रणाली को गहन परीक्षण के उद्देश्य के लिए विभिन्न अस्पतालों में टेस्ट किया गया है, जिसके परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। इसके बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए और भारतीय बाजार में इस तकनीक को लॉन्च करने के लिए इसे मैसर्स डिवाइन मेडिटेक, नोएडा को हस्तांतरित किया गया है। डिवाइन मेडिटेक के निदेशक राजीव शर्मा के अनुसार कंपनी अगले 3-6 महीनों में स्वदेशी मेक इन इंडिया तकनीक को बाजार में लाएगी।
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अक्सर हम दांतों की समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन अगर इसे लंबे समय तक छोड़ दिया जाए तो यह कैंसर जैसी घातक समस्या को भी जन्म दे सकता है। दांतों में गंदगी की समस्या आमतौर पर साफ-सफाई का ध्यान न रखने के कारण होती है। हम ठीक से ब्रश नहीं करते और दांतों के बीच में जब गंदगी फंस जाती है तो हम उस पर ध्यान नहीं देते। इससे सड़ांध पैदा होती है और हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया है कि मसूड़ों से खून बहने, मुंह के छालों और दांतों की सडऩ की समस्या से पीडि़त व्यक्तियों में हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा का खतरा 75 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। हेपेटोकेल्युलर कार्सिनोमा यकृत कैंसर का सबसे आम रूप है। कैंसर रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, यूके में हर साल लिवर कैंसर के 6200 नए मामले सामने आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, लीवर कैंसर से होने वाली मौतों का 8वां सबसे आम कारण लीवर कैंसर है। एक अध्ययन के अनुसार क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में 4,69,628 प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया। इन लोगों में ऐसे लोग शामिल थे जिन्हें मुंह के छालों, मसूड़ों में दर्द, मसूड़ों से खून आना, दांत टूटना आदि की शिकायत थी।
शोधकर्ताओं ने कई वर्षों तक उनके मौखिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया। अध्ययन के अंत में, यह पाया गया कि इनमें से 4069 में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर विकसित हुआ। इन कैंसर के मामलों में, 531 (13 प्रतिशत) प्रतिभागियों ने किसी न किसी रूप में खराब मौखिक स्वास्थ्य की सूचना दी। क्वीन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. हेइडी जोर्डो ने कहा कि अतीत में, कई प्रकार की पुरानी बीमारियां, हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह खराब मौखिक स्वास्थ्य से जुड़े थे, लेकिन पहली बार यह पाया गया है कि यकृत कैंसर खराब होने के कारण भी हो सकता है।
जानकारों के मुताबिक रात को सोते समय ब्रश जरूर करना चाहिए। जब दांतों में ज्यादा गंदगी हो तो बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर इससे दांत साफ करें। इसके अलावा पीले दांतों को साफ करने के लिए सरसों के तेल में नमक मिलाकर दांतों पर मलें। इससे दांतों के अंदर फंसे बैक्टीरिया मर जाएंगे। घरेलू नुस्खों के बावजूद अगर दांतों में किसी भी तरह का दर्द हो या मसूड़ों से खून बह रहा हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।