नई दिल्ली । कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दो हजार रुपये के नोट को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के वापस लेने के फैसले समर्थन करते हुए इसे सही कदम बताया है है। कैट ने कहा कि आरबीआई का आदेश नागरिकों को अपनी दैनिक खरीदारी में डिजिटल भुगतान को स्वीकारने, अपनाने और प्रोत्साहित करने की दिशा में उठाया गया सहरानीय कदम है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने शनिवार को कहा कि आरबीआई के इस कदम से छोटे व्यापारियों के व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन निश्चित रूप से बड़े और संपन्न वर्ग को झटका लगेगा, जिन्होंने बड़ी मात्रा में दो हजार रुपये के नोटों का स्टॉक किया होगा।
खंडेलवाल ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से कारोबारियों के व्यापार में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। डिजिटल लेन-देन के बढ़ने से 2000 रुपये के नोट का उपयोग कम हुआ है। ऐसे में आरबीआई ने इसे चलन से बाहर घोषित कर छोटे मूल्यवर्ग के नोटों के साथ इसे बदलने के लिए चार महीने का वक्त देकर व्यापार में सुचारू लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाया है।
कैट महामंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए कैट पिछले कई वर्षों से व्यापारिक समुदाय के बीच डिजिटल भुगतान की स्वीकृति की सक्रिय रूप से वकालत कर रहा है और आगे भी करता रहेगा।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का ऐलान किया है, जिसे 30 सितंबर, 2023 तक बैंकों में जमा कराना होगा।
CAIT
नई दिल्ली । भारत की अध्यक्षता में जी-20 के दिल्ली में होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) दिल्ली उत्सव का आयोजन करेगा। कैट ने व्यापारियों को जी-20 के दिल्ली में होने वाले कार्यक्रमों में सहभागिता के लिए दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात कर इसकी पेशकश की। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शनिवार को यह जानकारी दी।
खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने राजधानी के व्यापारियों को जी-20 के विभिन्न आयोजनों के साथ जोड़ने की कैट की पहल का स्वागत किया है। वीके सक्सेना ने कैट प्रतिनिधिमंडल से कहा कि इन आयोजनों में व्यापारियों की बड़ी भूमिका रहेगी। उप-राज्यपाल ने कैट प्रतिनिधिमंडल से कहा कि दिल्ली में जी-20 के आयोजित कार्यक्रम में एक लाख से ज्यादा विदेशी एवं अन्य लोग शामिल होंगे, जो निश्चित रूप से राजधानी दिल्ली के बाजारों में खरीदारी के लिए जाएंगे। ऐसे में दिल्ली के सभी बाजारों में स्वच्छता का होना बेहद जरूरी है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन देते हुए कहा है कि जी-20 के आयोजनों में निश्चित रूप से व्यापारियों को भी शामिल किया जाएगा। वहीं, दिल्ली के सभी व्यापारी संगठन भी अपने स्तर पर दिल्ली को बेहतर बनाने और देखने में जो भी सार्थक कदम उठाए जा सकते हैं, अवश्य उठाएं। खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली के व्यापारी जी-20 के लिए दिल्ली में होने वाले विभिन्न आयोजनों के प्रति बेहद उत्साहित हैं। इसके लिए कैट ने तय किया है कि मार्च 2023 और सितंबर 2023 में जब दिल्ली में जी-20 के दो बड़े आयोजन होंगे। कैट “दिल्ली उत्सव” आयोजित करेगा, जिसमें दिल्ली की समृद्ध सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत के दर्शन होंगे। इसके अलावा अनेक प्रकार के सांस्कृतिक एवं लोक लुभावन आयोजन होंगे।
खंडेलवाल ने बताया कि कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने दिल्ली उत्सव के लिए कैट के प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा की अध्यक्षता में 21 सदस्यीय “दिल्ली उत्सव आयोजन कमेटी” का गठन है, जो दिल्ली उत्सव में होने वाले सभी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेगी। वहीं, इसको आयोजित करने के लिए अन्य विभिन्न कमेटियों के गठन का अधिकार भी आहूजा को दिया गया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री खंडेलवाल के नेतृत्व में उप-राज्यपाल से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में कैट के प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा, प्रदेश महामंत्री देवराज बवेजा, आशीष ग्रोवर एवं प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत खारी भी शामिल थे।
- व्यापारी वर्ग डिजिटल बनने को उत्सुक लेकिन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी बाधा
- -ई-कॉमर्स व्यापार के लि जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता बन रही है बड़ी रुकावट
नई दिल्ली । भारत के बाजार में ई-कॉमर्स का तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार और दुकानों पर मिलने वाला लोकल समान ऑनलाइन मिलने में अभी मुश्किलें आ रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा ने रविवार को अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।
कैट के रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के व्यापारियों ने ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों को लगता है कि ऑनलाइन माल बेचने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रुकावट है। दरअसल, वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई-कॉमर्स व्यापार हुआ, जिसका वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।
कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के टियर-2 और टियर-3 जैसे 40 शहरों में एक ऑनलाइन सर्वे किया है। इस सर्वे में करीब 5 हजार व्यापारियों को शामिल किया गया, जिसमें यह बात निकल कर सामने आई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 78 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने मौजूदा कारोबार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी है, जबकि 80 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। वहीं, 92 फीसदी छोटे व्यापारियों ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन कारोबार के जरिए देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों को भरमा रही हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 92 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि देश में ई- कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता क़ानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना जरूरी है, जबकि 94 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन अत्यंत जरूरी है। वहीं, 72 फीसदी व्यापारियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है, ताकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमानी पर तुरंत रोक लग सके। उन्होंने कह कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां व्यापारियों के कारोबार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए है।
कैट महामंत्री ने कहा कि यह बेहद ही अफसोस की बात है कि जहां रिटेल ट्रेड पर अनेक प्रकार के क़ानून लागू हैं। वहीँ, ई-कॉमर्स व्यापार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है, जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि एक बेहद सोची समझी साजिश के तहत विदेश धन प्राप्त कंपनियां न केवल सामान, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र जिनमें ट्रेवल, टूरिज्म, पैक्ड खाद्य सामान, किराना, मोबाइल, कंप्यूटर, गिफ्ट आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, कैब सर्विस, लॉजिस्टिक्स आदि सेक्टर में अपना वर्चस्व बनाकर भारतीय व्यापारियों के कारोबार पर कब्जा कर उसको नष्ट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उनका कोई व्यापार का मॉडल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से वैल्यूएशन मॉडल है, जो देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए बेहद घातक है। खंडेलवाल ने कि कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद भी विदेश धन पोषित कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने और स्वीकार करने पर जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की जरूरत है। इस संबंध में कैट शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, जो स्वयं छोटे व्यापारियों के बड़े पैरोकार हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा। क्योंकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों का व्यापार का यह कौन सा मॉडल है, यह समझना बहुत जरूरी है।