पटना। बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर नीतीश कुमार की कैबिनेट ने मंगलवार की शाम मुहर लगा दी। राज्य में 75 फीसदी आरक्षण लागू करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो गया। नीतीश सरकार ने फैसला किया है कि वो 9 नवंबर को बिहार विधानसभा में आरक्षण बढ़ाए जाने का बिल लाएगी। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार के इस फैसले को बड़े दांव की तरह देखा जा रहा है।
दरअसल, मंगलवार को ही विधानसभा में सीएम नीतीश ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने का प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव के कुछ घंटों के बाद बिहार कैबिनेट की बैठक हुई और इस पर मुहर लगा दी गई।
क्या है आरक्षण बढ़ाने का गणित?
नीतीश कुमार की कैबिनेट ने अनुसूचित जाति को पहले से मिल रहे 16 फीसदी के बजाय 20 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास किया है। अनुसूचित जनजाति को पहले से मिल रहे एक फीसदी आरक्षण के बजाय दो फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव पास किया गया। अति पिछड़े को 25 फीसदी आरक्षण, ओबीसी को 18 फीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़े यानि ईडब्ल्यूएस वर्ग को 10 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा। कुल मिलाकर आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 फीसदी करना है।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने पांच दिवसीय बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कहा, “एससी और एसटी के लिए मिलाकर आरक्षण कुल 17 बीजेपी है। इसे बढ़ाकर 22 फीसदी किया जाना चाहिए. इसी तरह ओबीसी के लिए आरक्षण भी मौजूदा 50 बीजेपी से बढ़ाकर 65 बीजेपी किया जाना चाहिए। हम उचित परामर्श के बाद आवश्यक कदम उठाएंगे. हमारा चालू सत्र में इस संबंध में आवश्यक कानून लाने का इरादा है। ”
जातिगत सर्वेक्षण के मुताबिक, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) उपसमूह सहित ओबीसी, राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है जबकि एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं।
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