नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को यहां विज्ञान भवन में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया।
उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती का समारोह बदलते भारत की तस्वीर है। एक समय था, जब लगता था हमारे यहां महापुरुष हैं ही नहीं, संस्थाओं का जो नामकरण होता था वो बहुत सीमित हो गया था। उसमें खुलापन आ रहा है, हमारा इतिहास पूरी तरह दिखाया जा रहा है, यह बहुत सुखद परिवर्तन है।
उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में आज का दिन महत्वपूर्ण है, 07 अप्रैल को, आज ही के दिन 148 वर्ष पूर्व, स्वामी दयानंद ने मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी। इस अवसर पर केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री देवूसिंह चौहान, स्मारक डाक टिकट के प्रस्तावक लोक सभा सांसद डॉ सत्य पाल सिंह, लोक सभा सांसद स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार से स्वामी रामदेव, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से स्वामी चिदानंद सरस्वती, संचार मंत्रालय एवं डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं आर्य समाज के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी, 1824 को हुआ था। वे एक अद्वितीय समाज सुधारक थे, जिनका देश के स्वाधीनता संग्राम में भी विशेष योगदान था। उन्होंने 1875 में सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ऋग्वेद की उक्ति, “कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” को अपने जीवन का आदर्श बनाया और समाज में तत्समय व्याप्त जाति एवं लिंग आधारित असमानताओं के विरुद्ध आवाज उठाई। उन्होंने वेदों की ओर लौट चलने का आह्वान किया और वेद पठन-पाठन को भारतीय परंपरा के अनुसार सुलभ बनाने के उद्देश्य से देश भर में गुरुकुलों की स्थापना करवाई, जिनमें महिलाओं और वंचित वर्गों के लोगों को निशुल्क शिक्षा का समान अधिकार दिलवाया।
डॉ. सत्यपाल सिंह ने बताया कि आज से 148 साल पहले, 7 अप्रैल को ही स्वामी दयानंद सरस्वती ने काकडवाडी, मुंबई में आर्य समाज की स्थापना कर आर्य समाज के गठन की नींव रखी थी। अतः उपराष्ट्रपति से इस ऐतिहासिक डाक टिकट का विमोचन आज ही के दिन करने का निवेदन किया गया था।
उन्होंने बताया कि आर्य समाज ने दो वर्ष तक चलने वाले महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती के कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों द्वारा करवाई और इसी क्रम में, स्मारक डाक टिकट का विमोचन उपराष्ट्रपति द्वारा किया जाना यह स्पष्ट करता है कि भारत सरकार आर्य समाज और उसके प्रणेता, स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रति आदर और सम्मान से भरी है। डॉ सत्य पाल सिंह ने केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान का कार्यक्रम के लिए अपना बहुमूल्य समय देने पर आभार जताया। साथ ही, उन्होंने इस आयोजन के लिए भारत सरकार के संचार मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय का आभार व्यक्त किया।
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मुरादाबाद। सिर्फ आर्य समाज ही एकमात्र ऐसा संगठन, जो भेदभाव नहीं करता। यहां सभी जातियां एक समान हैं। आर्य समाज देश को जातिमुक्त और समानतायुक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा हैं। यह बातें शनिवार को मुरादाबाद में दिल्ली रोड सर्किट हाउस के पीछे आर्यवीर महासम्मेलन कार्यक्रम में प्रख्यात योग गुरु बाबा रामदेव ने कहीं।
आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में 14 अक्टूबर से प्रारंभ हुए तीन दिवसीय आर्यवीर महासम्मेलन कार्यक्रम में दूसरे दिन पहुंचे योग गुरु बाबा रामदेव ने आगे कहा कि आर्य समाज लोगों को आचरण और चरित्र से लेकर हर तरह की दिव्यता प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आते ही बहुत से राजनैतिक दल समाज को जातियों और पंथों में बांटने की कोशिश शुरू कर देते हैं। ऐसे राजनैतिक दल कभी अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगे। ड्रग्स पर हमला बोलते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि बॉलीवुड के बड़े-बड़े फिल्म स्टार ड्रग्स ले रहे हैं। बालीवुड के कई फिल्मी सितारें नशे की गिरफ्त में है। पिछले दिनों ड्रग्स लेते हुए शाहरुख खान का बेटा पकड़ा गया, वो जेल भी गया। बाबा रामदेव ने कहा कि सलमान खान भी ड्रग्स लेता है।
प्रयागराज । आर्य समाज समाजों द्वारा जारी किए गए मैरिज सर्टिफिकेट के बार-बार उपयोग को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वे दस्तावेजों की वास्तविकता पर विचार किए बिना विवाह के आयोजन में विश्वास का दुरुपयोग कर रहे हैं। दरअसल, इस मामले पर एक शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की मदद से उसकी पत्नी को अदालत के सामने पेश करने के संबंध में आदेश जारी हो, लेकिन अदालत ने यह कहकर उसकी इस याचिका को खारिज कर दिया कि सिर्फ आर्य समाज के प्रमाणपत्र को साक्ष्य नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा, आर्य समाज सोसायटी द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाणपत्रों की बाढ़ आ गई है, जिन पर इस अदालत और अन्य उच्च न्यायालयों ने गंभीरता से सवाल उठाया है। संस्था ने दस्तावेजों की वास्तविकता पर विचार किए बिना विवाह आयोजित करने में अपने विश्वास का दुरुपयोग किया है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक भोला सिंह द्वारा दायर की गई थी, जिसने गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें दावा किया गया कि उसने याचिकाकर्ता संख्या 2 से कानूनी रूप से शादी की थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा, चूंकि शादी का पंजीकरण नहीं हुआ है, इसलिए यह केवल उस प्रमाणपत्र के आधार पर नहीं माना जा सकता है कि दोनों पक्षों में रिश्ता हुआ है।