नई दिल्ली । लोकसभा ने बुधवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और अन्य विषयों से जुड़ा विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा ने 12 दिसंबर को इसे पारित कर दिया था। इसके साथ ही विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई।
केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 पारित किए जाने के लिए निचले सदन में पेश किया। कानून बनने के बाद यह चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य) कानून 1991 का स्थान लेगा। विधेयक पर कुल 12 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 324 देश में चुनाव कराने से जुड़ा है। इसके दूसरे भाग में कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए संसद एक कानून बनाएगी लेकिन कांग्रेस सरकारों ने ऐसा नहीं किया। 1991 में वे कानून लेकर आए लेकिन उसमें भी इस बात को शामिल नहीं किया गया। 2 मार्च को इस संबंध में फैसला आया और सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनने तक एक समिति बना दी। सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ही आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कानून लायी है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने बाबा साहेब का सपना अधूरा छोड़ दिया था, हमने उसे पूरा करने जा रहे हैं।”
उन्होंने कुछ सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि चुनाव आयुक्त बनने की योग्यता तय की गई है। केन्द्र सरकार में सचिव या उससे ऊपर के पद पर रह चुके व्यक्ति चुनाव आयुक्त बन सकते हैं। चुनाव आयुक्त से जुड़ी खोज समिति की अध्यक्षता कानून मंत्री करेंगे।
विधेयक के प्रावधानों के तहत सीईसी और ईसी की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। चयन समिति में प्रधान मंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता/सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे। चयन समिति केन्द्रीय कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली खोज समिति की ओर से दिए गए पांच नामों पर विचार करेगी।
विपक्ष के कुछ नेताओं ने चर्चा के दौरान विधेयक का विरोध किया और कहा कि इससे सरकार मनमाने ढंग से नियुक्ति करेगी। विपक्ष के नेताओं ने इसे संविधान निर्माताओं की सोच और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया। कांग्रेस भी इसका विरोध करती रही है। राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार चुनाव आयोग पर पूर्ण नियंत्रण करना चाहती है। इससे हमारी चुनावी व्यवस्था कमजोर हो जाएगी।
ARJUN MEGHWAL
नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) सर्वसम्मति से पास हो गया है। बिल के खिलाफ किसी ने वोट नहीं दिया। हाउस में मौजूद सभी 215 सांसदों ने बिल का समर्थन किया। अब यह बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। यह बिल लोकसभा में कल (बुधवार को) पास हुआ था। प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।
राज्यसभा में बिल पर चल रही चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ”इस बिल से देश के लोगों में एक नया विश्वास पैदा होगा। सभी सदस्यों और राजनीतिक दलों ने महिलाओं को सशक्त बनाने और ‘नारी शक्ति’ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- हमने बिल पर सार्थक चर्चा की है, भविष्य में इस चर्चा का एक-एक शब्द काम आने वाला है। हर शब्द का अपना मूल्य है, महत्व है।आइए देश को एक मजबूत संदेश दें। ”
बिल पर चर्चा के दौरान जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच हुई बहस
वहीं इससे पहले इस बिल पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख जेपी नड्डा और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी बहस हो गई। दरअसल जेपी नड्डा ने राज्यसभा में महिला आरक्षण पर कहा कि इसका असर 2029 के चुनाव में देखने को मिलेगा। जेपी नड्डा ने कहा कि यदि आज यह बिल पास किया जाता है तो 2029 में महिलाएं, आरक्षित सीटों पर सांसद बनकर आ जाएंगी। इस पर खरगे ने कहा मैं कबीर का एक दोहा पढ़ता हूं “कल करे सो, आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होगी तो कार्य करोगे कब।” खरगे ने कहा कि जब पंचायत, जिला पंचायत एक्ट से महिलाओं को आरक्षण मिला तो फिर केंद्र सरकार द्वारा लाया गया महिला आरक्षण तुरंत लागू क्यों नहीं हो रहा।
राजनीतिक लाभ लेना हमारी नीयत नहीं-नड्डा
जेपी नड्डा ने कहा कि मैं यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि बीजेपी की नियत यहां कोई राजनीतिक लाभ लेना नहीं है। हमारा उद्देश्य महिलाओं का सही मायने में सशक्तीकरण करना है। अगर हमको राजनीतिक लाभ लेना होता तो हम कह देते कि इसे हम अभी कर लेंगे। नड्डा ने कहा कि यही एकमात्र रास्ता है और यही सबसे छोटा रास्ता भी है। इस पर विपक्ष ने ‘नो-नो’ कहना शुरू कर दिया।
उपराष्ट्रपति से खड़गे बोले- आपको पहले से पता था बिल आने वाला है, हमें नहीं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- मैं और मेरी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। यह बिल आने वाला है हमें इसकी जानकारी पहले से नहीं थी। लेकिन उपराष्ट्रपति जी को पहले से पता था कि बिल आने वाला है। आपने 4 सितंबर को जयपुर में कहा था- वो दिन दूर नहीं जब देश की संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलेगा।
उन्होंने कहा- अमित शाह ने पहले कहा था- 2 करोड़ नौकरियां देंगे, 15-15 लाख सबके खाते में देंगे। बाद में उनसे पूछा गया कब देंगे तो कहा- ये तो चुनावी जुमला था। मैं चाहता हूं कि महिला आरक्षण बिल जुमला न बने, इसे लागू किया जाए। जैसे आपने नोटबंदी का निर्णय तुरंत लिया था, वैसे ही आरक्षण लागू करने का फैसला भी तुरंत लीजिए।
वित्त मंत्री ने नरसिंहाराव सरकार को क्रेडिट दी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- मैं पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को श्रेय देना चाहती हूं, उन्होंने महिलाओं को पंचायत राज में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इससे हमने पंचायत स्तर पर प्रगति देखी है। आज कई राज्यों में 33% आरक्षण को बढ़ाकर 50% किया गया है।
मेघवाल ने बिल पेश किया
गुरुवार को कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने राज्यसभा में बिल पेश किया। इसके बाद कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने बिल के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि महिलाओं को वंदन नहीं, समानता चाहिए।
जया बच्चन स्पीकर से बोलीं- आपकी कुर्सी पर दोबारा बैठना चाहूंगी
सपा की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने कहा- आखिरी में बोलने का नुकसान ये है कि बोलने को कुछ बचता ही नहीं। इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- इतने हिस्सों में बंट गया मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं।
इस पर जया बच्चन ने उनकी कुर्सी की तरीफ करते हुए कहा- आपकी कुर्सी झूले की तरह है, मैं इस पर दोबारा बैठना चाहूंगी। जया बच्चन को कुछ देर राज्यसभा की कार्यवाही चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
मोदी ने लोकसभा में कहा- इस बिल के लिए सभी हकदार हैं
लोकसभा में गुरुवार सुबह 11 बजे जब कार्यवाही शुरू हुई तो सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने कहा कि कल भारत की संसदीय यात्रा का एक स्वर्णिम पल था। उस पल के हकदार इस सदन के सभी सदस्य हैं। सभी दल के सदस्य हैं। सभी दल के नेता भी हैं। सदन हों या सदन के बाहर हों, वे भी उतने ही हकदार हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं आज इस बहुत महत्वपूर्ण निर्णय में और देश की मातृशक्ति में एक नई ऊर्जा भरने में कल का निर्णय और आज राज्यसभा के बाद जब हम अंतिम पड़ाव भी पूरा कर लेंगे। यह पवित्र कार्य को करने के लिए आप सबने जो योगदान दिया है, समर्थन दिया है, सार्थक चर्चा की है। सदन के नेता के रूप में मैं आज आप सबका सच्चे दिल से आदरपूर्वक अभिनंदन करता हूं।
नयी दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में पारित होने के बाद आज राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बिल पास करने के लिए सभी सांसदों का आभार जताया।
राज्यसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पेश करते हुए कहा, सदन में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करना बहुत बड़ा कदम है। कौन सी सीट महिलाओं को दी जाएगी, ये आयोग फैसला करेगा.
राज्यसभा में जेपी नड्डा बोले- आज बिल पास हो गया तो 2029 में 33 फीसदी महिलाएं सांसद बनकर आ जाएंगी। विपक्ष के तमाम सवालों पर राज्यसभा में बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने जवाब देते हुए कहा, ‘महिलाओं को किस सीट पर रिजर्वेशन मिले, किस सीट पर नहीं मिलना चाहिए? ये फैसला सरकार नहीं कर सकती। यह फैसला आयोग करेगा। इससे पहले जरूरी है कि पहले जनगणना होनी चाहिए, परिसीमन आए। इसलिए आज बिल पास होने के बाद 2029 में 33 फीसदी महिलाएं सांसद बन कर आ जाएंगी और अगर ये बिल आज पास नहीं होता है तो 2029 में भी 33 फीसदी महिलाएं सांसद नहीं बन पाएंगी। ‘
राज्यसभा में बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने अपने संबोधन में कहा, ’21वीं सदी महिलाओं की है। हमें खुशी है कि भारत की महिलाएं खुद को लीडिंग रोल में लेकर आई हैं। बहुत से ऐसे देश हैं जिन्होंने महिलाओं को वोटिंग राइट्स देने के लिए लंबा संघर्ष किया था। हमारा नजरिए बेचारा, अबला नारी जैसा कभी नहीं रहा। हमने हमेशा महिलाओं को सम्मान दिया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाकर हम महिलाओं को सम्मान देने का काम कर रहे हैं। रिसर्च ने ये बताया है कि महिलाओं में डिसीजन मेकिंग कैपेसिटी ज्यादा होती है। रिसर्च ये भी बताती है कि नशा के खिलाफ महिलाओं ने आवाज उठाई है। जहां महिलाएं लीड रोल में हैं वहां करप्शन कम होता है। ऐसा नहीं है कि मैं पुरुषों के खिलाफ बोल रहा हूं। ‘
राज्यसभा में नड्डा बोले- हमने नारी को शक्ति के रूप में देखा है, देवी के रूप में देखा
राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने कहा, 9 साल में महिलाओं के लिए किए गए कार्यों के लिए सरकार को धन्यवाद देता हूं। नारी शक्ति वंदन ये शब्दावलि महिलाओं को समाज देखने के दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं का बहुत बड़ा स्थान रहा है हमने नारी को शक्ति के रूप में देखा है, देवी के रूप में देखा है।
महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लोकसभा से पास होने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा हो रही है। चर्चा की शुरुआत कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने की। उन्होंने कहा कि आपने इसे नारी शक्ति वंदन विधेयक नाम दिया है। महिलाओं को वंदन नहीं, समानता का अधिकार चाहिए। उन्होंने कहा कि आपकी सरकार में महिलाओं की कितनी वंदना होती है, यह हमको मालूम है। जब आपको सत्ता पाने की जरूरत होती है, तब आप महिलाओं को देवी बनाकर उसकी पूजा करने लगते हैं।
यह बिल 20 सितंबर को लोकसभा में पास हो चुका है। बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि 2 वोट इसके खिलाफ पड़े। पर्ची के जरिए हुई वोटिंग में दो सांसदों असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी के इम्तियाज जलील ने विरोध में वोट डाले।
पीएम ने लोकसभा में कहा- इस बिल के लिए सभी हकदार हैं
लोकसभा में सुबह 11 बजे जब कार्यवाही शुरू हुई तो सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने कहा कि कल भारत की संसदीय यात्रा का एक स्वर्णिम पल था। उस पल के हकदार इस सदन के सभी सदस्य हैं। सभी दल के सदस्य हैं। सभी दल के नेता भी हैं। सदन हों या सदन के बाहर हों, वे भी उतने ही हकदार हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं आज इस बहुत महत्वपूर्ण निर्णय में और देश की मातृशक्ति में एक नई ऊर्जा भरने में कल का निर्णय और आज राज्यसभा के बाद जब हम अंतिम पड़ाव भी पूरा कर लेंगे, देश की मातृशक्ति का मिजाज बदलेगा जो विश्वास पैदा होगा। मैं अनुभव करता हूं। यह पवित्र कार्य को करने के लिए आप सबने जो योगदान दिया है, समर्थन दिया है, सार्थक चर्चा की है। सदन के नेता के रूप में मैं आज आप सबका सच्चे दिल से आदरपूर्वक अभिनंदन करता हूं।