चंडीगढ़ । कट्टर अलगाववादी और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की खतरनाक ‘तमन्ना’ अधूरी रह गई। आज सुबह गिरफ्तार किया गया अमृतपाल चाहता था पंजाब का युवा उसके खालिस्तान की मांग के अभियान से जुड़े। इसके लिए अमृतपाल ने आनंदपुर खालसा फोर्स का गठन भी किया। अमृतसर के गांव जल्लुपुर खेड़ा में अमृतपाल के ठिकानों से पुलिस एकेएफ लिखी जैकेट व हथियार बरामद कर चुकी है। इस गांव में अमृतपाल व उसके करीबियों के घरों के बाहर बाकायदा एकेएफ भी लिखा हुआ था।
अमृतपाल सबसे पहले 23 फरवरी को चर्चा में आया, जब उसने अजनाला में अपने करीबी तूफान सिंह को छुड़ाने के लिए हजारों समर्थकों के साथ थाने पर हमला किया। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी जख्मी हुए। इसके बाद उसने इंटरव्यू में अलग खालिस्तान की मांग कर डाली। इतना ही नहीं अमृतपाल ने देश के गृहमंत्री को भी धमकी दी।
अमृतपाल के समर्थक उसकी तुलना खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले से करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिले थे कि अमृतपाल सिंह नशामुक्ति केंद्रों और गुरुद्वारे का इस्तेमाल हथियार जमा करने और युवाओं को आत्मघाती हमले के लिए तैयार करने के लिए कर रहा है।
AMRITPAL SINGH
चंडीगढ़ । आखिरकार 36 दिन की लुकाछिपी के बाद खालिस्तान समर्थक वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने मोगा से रविवार को तड़के सवेरे पौने सात बजे गिरफ्तार कर लिया। मोगा के गांव रोड़े के गुरुद्वारा में गिरफ़्तारी से पहले उसने गुरुद्वारा साहिब से संबोधित किया था। यह जरनैल सिंह भिंडरावाला का गांव है। यही उसकी दस्तारबंदी हुई थी। अमृतपाल सिंह की गिरफ़्तारी रासुका के तहत की गयी है। अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है । उसके पहले बठिंडा एयरपोर्ट पर ही अमृतपाल सिंह का मेडिकल किया गया।
18 मार्च से फरार खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने में पंजाब पुलिस को सफलता मिल गई। पंजाब पुलिस और काउंटर इंटेलिजेंस के संयुक्त अभियान में उसे दबोचा गया। पंजाब पुलिस ने आज (रविवार) सुबह ट्वीट किया है कि मोगा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। अमृतपाल पिछले 36 दिनों से पुलिस को चकमा दे रहा था। पंजाब पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
अमृतपाल के दुबई से लौटने पर रोडे़ गांव मे ही उसकी दस्तारबंदी की गई थी। रोडे़ जरनैल सिंह भिंडरावाला का पैतृक गांव है। यहीं पर अमृतपाल ने खुद को भिंडरावाला-2 घोषित किया था। 18 मार्च को पुलिस को चकमा देकर फरार अमृतपाल चुनौती बना हुआ था। पुलिस अब तक उसके नौ करीबियों को एनएसए के तहत गिरफ्तार करके असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज चुकी है।
अमृतपाल के खिलाफ पंजाब में एनएसए समेत कई धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। इस बीच भिंडरावाला के भतीजे जसबीर सिंह रोडे़ ने दावा किया है कि अमृतपाल को गिरफ्तार नहीं किया गया, उसने सरेंडर किया है। वह रात से ही रोडे़ गांव के गुरुद्वारे में था। सुबह पाठ के बाद अरदास की गई। इसके बाद अमृतपाल ने संगत को संबोधित किया। इसके बाद अमृतपाल ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। रोडे ने दावा किया कि पुलिस को रात को ही इस बारे में सूचित कर दिया गया था।
अमृतपाल सिंह 36 दिन बाद पुलिस के हाथ लगा है। पुलिस अमृतपाल को कई दिनों से देश के कई हिस्सों में तलाश कर रही थी। उसने भी अपने समर्पण को लेकर कई बार संदेश भेजे लेकिन वह अब तक गिरफ्त से बाहर रहा।
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख है। इसने करीब पांच महीने पहले ही इस संगठन की बागडोर संभाली थी। अमृतपाल अमृतसर के गांव जंडुपुर खेरा का रहने वाला है। 2012 से पहले ही अमृतपाल का परिवार दुबई चला गया था। वहां परिवार ने ट्रांसपोर्ट का काम शुरू कर दिया। 2013 में दुबई में ट्रांसपोर्ट का कामकाज अमृतपाल देखने लगा।
अगस्त 2022 में अमृतपाल दुबई से अकेला ही पंजाब आया था। अक्तूबर में अमृतपाल ने जरनैल सिंह भिंडरावाला के गांव रोडे में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के नए मुखिया के तौर पर ओहदा संभाला। यह संगठन दिल्ली हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू ने बनाया था। इस दौरान अमृतपाल ने खुद को जरनैल सिंह भिंडरांवाला का अनुयायी बताते हुए सिख युवाओं को अगली जंग के लिए तैयार होने का आह्वान किया था। इसके बाद खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई थी। उसके बारे में जांच शुरू की गई। खालिस्तानी विचारधारा का पाठ उसे दुबई में ही पढ़ाया गया है।
अमृतपाल ने 29 मार्च को एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने दावा किया था कि वह बच निकलने में कामयाब रहा है और अब सुरक्षित है। अमृतपाल ने सशर्त आत्मसमर्पण की बात भी कही थी, लेकिन इस संबंध में भी पुलिस के सारे अनुमान गलत साबित हुए थे।
पुलिस को चकमा देते आ रहा था खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल
बीते एक महीने की जद्दोजहद को लेकर पंजाब पुलिस का दावा किया था कि अमृतपाल दो बार चकमा देकर बच निकलने में कामयाब रहा, लेकिन पुलिस की असफलता पर भी सवाल खड़े होने लगे थे और पूरे घटनाक्रम को पंजाब पुलिस और खुफिया तंत्र की नाकामी करार दिया जा रहा था।
अमृतसर। अमृतसर एयरपोर्ट पर गुरुवार को वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के प्रमुख एवं खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की पत्नी किरनदीप कौर को हिरासत में लिया गया।
बताया जा रहा है कि किरनदीप कौर विदेश जाने की तैयारी में थी और उसे एयरपोर्ट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों एवं एजेंसियों द्वारा रोका गया है। अब उससे पूछताछ की जा रही है।
गत 18 मार्च से अमृतपाल सिंह के विरुद्ध पंजाब पुलिस द्वारा शुरू की गई मुहिम के बाद लगातार वह फरार चल रहा है। उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार पंजाब पुलिस द्वारा छापेमारी की जा रही है। कुछ दिन पहले पुलिस ने अमृतपाल सिंह के खास एवं बेहद नजदीकी पप्पलप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया था।
काठमांडू । नेपाली गृह मंत्रालय ने खालिस्तान समर्थक भगोड़े अलगाववादी अमृतपाल सिंह के नेपाल में घुसने की आशंका के मद्देनजर भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की आशंकाओं के मद्देनजर नेपाल सरकार ने यह फैसला किया है।
नेपाल के गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा में तैनात सशस्त्र पुलिस बल के अलावा आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को भी अमृतपाल पर नजर रखने को कहा गया है। इसके मद्देनजर नेपाल पुलिस के विशेष ब्यूरो और सशस्त्र पुलिस के इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों को भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में तैनात किया गया है।
नेपाली गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारतीय सुरक्षा अधिकारियों के अनुरोध पर हाई अलर्ट के निर्देश दिए गए हैं। भारत से सटी सीमा पर सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिया गया है कि अमृतपाल के प्रवेश करने या प्रवेश करने की संभावना को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा कड़ी कर दी जाए।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल पुलिस के विशेष ब्यूरो और सशस्त्र पुलिस के इंटेलिजेंस ब्यूरो को सूचित किया कि अमृतपाल इस समय उत्तराखंड में है। वह नेपाल में प्रवेश कर सकता है। काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने नेपाल के वाणिज्य दूतावास सेवा विभाग को इस संदर्भ में एक पत्र भी भेजा है।
वाशिंगटन। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावास पर एक बार फिर खालिस्तान समर्थक पहुंचे। उन्हें पुलिस ने दूतावास की ओर बढ़ने नहीं दिया। पुलिस ने दूतावास की सुरक्षा बढ़ाते हुए यहां बैरिकेडिंग कर दी है।
भारत में वारिस पंजाब दे संगठन के जत्थेदार अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। इससे परेशान खालिस्तान समर्थकों ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के भारतीय दूतावासों पर हमला किया था। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर रविवार को कुछ खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने इमारत के बाहर खालिस्तानी झंडे लहराए थे। तब दूतावास के बाहर कोई सुरक्षा नहीं थी।
जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार के सामने नाराजगी जताई थी। अमेरिकी सरकार अब हरकत में आ गई है। सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर सरकार ने भारी सुरक्षा बल तैनात कर वहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। पुलिस ने दूतावास के चारों तरफ बैरिकेडिंग कर दी है। बुधवार को एक बार फिर कुछ खालिस्तान समर्थक दूतावास पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग के आगे बढ़ने नहीं दिया।
सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तानी समर्थकों के हमले के बाद व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी का बयान आया था। उन्होंने कहा था कि सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ ‘बिल्कुल अस्वीकार्य’ है और अमेरिका द्वारा इसकी निंदा की जाती है। अमेरिका में रहने वाले सिख समुदाय के नेताओं ने भी इसे लेकर विरोध जताया है। सिख नेताओं ने इन घटनाओं की निंदा की और कहा कि खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
वाशिंगटन में रहने वाले सिख नेता जसदीप सिंह ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास के बाहर हुई किसी भी हिंसा या लंदन में भारतीय ध्वज के अपमान की निंदा करते हुए कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए और कोई हिंसा या तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आप मीडिया में जो कुछ भी देख रहे हैं कि अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान आंदोलन चल रहा है, वह सब बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उत्तरी अमेरिका में दस लाख से अधिक सिख रहते हैं और उनमें से केवल 50 भारतीय दूतावास के बाहर विरोध करने के लिए दिखाई देते हैं।
सैन फ्रांसिस्को (कैलिफोर्निया) । खालिस्तान समर्थकों का हौसला बढ़ता जा रहा है। लंदन के बाद अब इन लोगों अमेरिका में भारतीय दूतावास को निशाना बनाया है। खालिस्तान आंदोलन को हवा देने वाले कट्टरपंथी और अलगाववादी अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने इंग्लैंड के बाद यहां भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कर तोड़फोड़ की है। सैन फ्रांसिस्को की गिनती संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख सांस्कृतिक, वाणिज्यिक और वित्तीय केंद्र के रूप में होती है। अमृतपाल सिंह भारत में पंजाब पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए दिन-रात एक किए हुए है।
सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ करने से पहले अलगाववादी समर्थकों ने प्रदर्शन कर खालिस्तान के झंडे लहराए। भारतीय अधिकारियों ने इन झंडों को हटाया, तो उन पर हमला कर दिया। इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। इन लोगों ने दूतावास में घुसकर दरवाजे तोड़ते हुए नारेबाजी की। साथ ही दूतावास की दीवार पर फ्री अमृतपाल नारा भी लिख दिया।
इससे पहले ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भी अमृतपाल सिंह के समर्थकों का एक समूह भारतीय उच्चायोग में हंगामा कर भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का अपमान कर चुके हैं। लंदन की घटना पर भारत कड़ी आपत्ति जता चुका है।
चंडीगढ़ । अमृतपाल की तलाश में पुलिस ने पिछले दो दिन से जालंधर व अमृतसर के गांवों को घेर रखा है। पहले यह खबर आयी थी की पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया है , लेकिन बाद पता चला किउसके कुछ समर्थक तो पकड़े गए लेकिन वह चकमा देकर फरार हो गया था। इसी बीच मिली जानकारी के अनुसार पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल के चाचा को जालंधर में गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने अमृतपाल की वह कार बरामद कर ली है जिसमें वह फरार हुआ था।
पंजाब पुलिस अब तक अमृतपाल के 112 समर्थकों को गिरफ्तार कर चुकी है। रविवार रात अमृतपाल के खिलाफ जालंधर में एक और मामला दर्ज किया गया है। अमृतपाल के खिलाफ अब तक पंजाब के अलग-अलग पुलिस थानों में सात मामले दर्ज हो चुके हैं।
पुलिस अभी भी जालंधर के गांव सरी को घेरे हुए है। यहां अमृतपाल का चाचा हरजीत सिंह छिपा हुआ था। रविवार रात करीब दो बजे हरजीत सिंह ने सरेंडर करने का इशारा किया। इसके बाद जिस घर मे हरजीत सिंह छिपा था उस घर को चारों तरफ से घेरकर पुलिस व पैरा मिलिट्री के जवान भीतर गए। उन्होंने हरजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के अनुसार हरजीत सिंह हर समय अमृतपाल के साथ रहता था। अमृतपाल जिस गाड़ी से भागा उसे हरजीत सिंह चला रहा था। पुलिस ने हरजीत सिंह की निशानदेही पर आज सुबह अमृतपाल की पसंदीदा चर्चित मर्सीडीज कार को बरामद कर लिया। पुलिस का कहना है कि वह इसी कार से फरार हुआ।
डिब्रूगढ़ (असम)। संगठन वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल सिंह के बेहद करीबी माने जाने वाले चार खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों को गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा कारणों के चलते पंजाब से डिब्रूगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया है। यह चारो कड़ी सुरक्षा में रविवार को डिब्रूगढ़ की सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की योजना के अनुसार पंजाब से गिरफ्तारी खालिस्तानी समर्थक चारो अलगाववादियों को कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को डिब्रूगढ़ लाया गया है। सुबह करीब 11 बजे पंजाब पुलिस की टीम चारो खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों के साथ एक विशेष विमान से डिब्रूगढ़ के मोहनबाड़ी हवाई अड्डे पर पहुंची। वहां से कड़ी सुरक्षा के बीच चारो खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों को लंबे काफिले के साथ डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल लाया गया। इस दौरान यहां जेल महानिरीक्षक जीपी सिंह की देखरेख में 27 पुलिसकर्मी कड़ी सुरक्षा में तैनात रहे। पुलिस और खुफिया बल खालिस्तानी कट्टरपंथियों को इस जेल में रखकर उनसे खुफिया इनपुट हासिल करने की कोशिश करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गिरफ्तार खालिस्तानी कट्टरपंथियों को डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में स्थानांतरित करने की योजना की रूपरेखा पहले ही तैयार कर ली थी। राज्य के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह हाईस्कूल परीक्षा के प्रश्नपत्रों के दौरान 14 मार्च को डिब्रूगढ़ गए थे। उस दिन डीजीपी सिंह ने डिब्रूगढ़ सहित छह पुलिस जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ छह घंटे तक मैराथन बैठक की थी। डीजीपी सिंह ने डिब्रूगढ़ के अपने दौरे के दौरान डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल का भी दौरा किया था।
इस मामले में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम में भी एक समय गिरफ़्तारी हुई थी, सुरक्षा के मद्देनज़र बिहार के भागलपुर जेल तक लोगों को भेजा था। शायद पंजाब पुलिस के मन में है कि थोड़े दिन असम में रहे, यह तो पुलिस से पुलिस के सहयोग की बात है।
चंडीगढ़ । पंजाब से एक बड़ी खबर आ रही है। पंजाब पुलिस ने राज्य में खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ बड़े पैमाने पार कार्यवाई शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के छह साथियों को जालंधर के महतपुर इलाके के पास से हिरासत में लिया गया। इस दौरान अमृतपाल खुद पुलिस से बचकर भागब गया । पुलिस ने अमृतपाल का पीछा किया और सूत्रों के अनुसार, मोगा जिले से उसे पकड़ लिया गया। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
पुलिस थाने पर हमले के मामले में शनिवार को पंजाब पुलिस ने वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के छह साथी हिरासत में लिए। वहीं अमृतपाल की भी गिरफ्तारी की चर्चा है , लेकिन इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पा रही है। अफवाहों पार रोक लगाने के लिए पंजाब के कई जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, अमृतपाल की गिरफ्तारी से माहौल न बिगड़े, इसलिए नेट सेवाएं बंद की गई हैं।
हालांकि मोगा के एसएसपी जे इलेनचेलियन का कहना है कि अभी तक अमृतपाल को गिरफ्तार नहीं किया गया है, उसकी तलाश में ऑपरेशन जरूर चल रहा है। इससे पहले अमृतपाल सिंह के छह साथियों को जालंधर के महतपुर इलाके के पास से हिरासत में लिया गया। इस दौरान अमृतपाल खुद पुलिस से बचकर निकला । पुलिस ने अमृतपाल का पीछा किया और सूत्रों के अनुसार, मोगा जिले से उसे पकड़ लिया गया। वहीं अमृतपाल के साथी भगवंत सिंह बाजेके उर्फ प्रधानमंत्री के पीछे भी पुलिस लगी हुई है। सूत्रों ने बताया कि उसकी थोड़ी देर में गिरफ्तारी हो सकती है।
इससे पहले बठिंडा के रामपुरा फूल में रखा गया अमृतपाल का समागम भी कैंसल कर दिया गया था। अमृतपाल को वहां सवेरे साढ़े नौ बजे पहुंचना था लेकिन वह नहीं पहुंचा तो स्टेज से कार्यक्रम रद्द करने का एलान कर दिया गया।
यह है मामला
रूपनगर जिले के चमकौर साहिब के वरिंदर सिंह ने लवप्रीत सिंह व अमृतपाल समेत उसके 30 समर्थकों पर अपहरण व मारपीट की शिकायत दर्ज करवाई गयी थी, जिसके बाद लवप्रीत व एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। एक आरोपी को तो पुलिस ने पहले ही रिहा कर दिया था लेकिन लवप्रीत को रिहा करने के लिए अमृतपाल ने थाने के बाहर धरने की चेतावनी दी थी। अमृतपाल श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप के साथ अपने समर्थकों सहित थाने पहुंचा। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की तो उग्र भीड़ ने बैरिकेड तोड़ डाले और तलवारों व बंदूकों के साथ थाने पर हमला कर दिया, जिसमें एसपी समेत छह पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।