वाशिंगटन । भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगले महीने होने वाली अमेरिका की यात्रा से पहले अमेरिका ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत को हिदायत दी गयी है। अमेरिकी विदेश विभाग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारतीय मुस्लिमों के घरों पर बुलडोजर चलाने और मध्य प्रदेश के खरगोन में मुस्लिमों के घरों पर हमले का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की सद्भाव की पहल व इस दिशा में दिए उनके बयानों की भी चर्चा हुई है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट 2022’ जारी करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य उन क्षेत्रों को उजागर करना है, जहां जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है। रिपोर्ट के भारत खंड में कहा गया है कि इस वर्ष के दौरान कई राज्यों में धार्मिक अल्पसंख्यक सदस्यों के खिलाफ हिंसा की कई रिपोर्ट सामने आई, जिसमें गुजरात में सादी वर्दी में पुलिस द्वारा अक्टूबर में एक त्योहार के दौरान हिंदू उपासकों को घायल करने के आरोपित चार मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल में खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा के बाद मुस्लिमों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने का मामला भी शामिल है।
हालांकि, अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के विशेष राजदूत रशद हुसैन ने कहा कि भारत भर में विविध धार्मिक समुदाय से जुड़े कानून के हिमायती और धार्मिक नेताओं ने हरिद्वार शहर में मुस्लिमों के खिलाफ नफरती भाषा के मामलों की निंदा की और देश का आह्वान किया कि उसके ऐतिहासिक बहुलवाद एवं सहिष्णुता की परंपरा को बनाए रखा जाए।
रिपोर्ट में जानकारी दी गयी है कि सितंबर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम समुदाय के पांच प्रमुख सदस्यों से उनकी चिंताओं को सुनने और मुसलमानों एवं हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के बारे में चर्चा करने के लिए मुलाकात की। रिपोर्ट के अनुसार, ‘2021 में भागवत ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि देश में हिंदुओं और मुस्लिमों के साथ धर्म के आधार पर अलग-अलग व्यवहार नहीं करना चाहिए और गोकशी के लिए गैर-हिंदुओं की हत्या हिंदुत्व के खिलाफ है।’
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