लखनऊ
टीले वाली मस्जिद पर हिंदू पक्ष द्वारा दर्ज वाद पर निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध सत्र अदालत में दाखिल रिवीजन अर्जी पर सुनवाई 30 मई को होगी। यह वाद वर्ष 2013 में दाखिल किया गया था। निचली अदालत में मूलवाद पर अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी। वकील हरिशंकर जैन के मुताबिक निचली अदालत में दाखिल इस वाद में मस्जिद को हटाकर कब्जा हिंदुओं को देने की मांग की गई है।
वाद में कहा गया है कि यह पूरा परिसर शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेव का स्थान है। इस पर हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए। अदालत ने इसे प्रतिनिधिक वाद के रूप में स्वीकार करके प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया था। निचली अदालत में यह वाद लार्ड शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेव विराजमान, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीर्थ भूमि, डॉ. वीके श्रीवास्तव, रामरतन मौर्य, वेदप्रकाश त्रिवेदी, दिलीप साहू, स्वतंत्र कुमार त्रिपाठी व धनवीर सिंह की ओर से दाखिल किया गया था।
जिसमें गृह मंत्रालय, आर्कियोलाजी सर्वे आफ इंडिया की लखनऊ सर्किल, स्टेट आफ यूपी जरिये प्रमुख सचिव गृह, जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ, पुलिस अधीक्षक पश्चिम लखनऊ, इंसपेक्टर चौक व सुन्नी सेंट्रल बोर्ड आफ वक्फ जरिये चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के साथ ही मौलाना फजुर्लरहमान को प्रतिवादी बनाया गया था। 18 जुलाई 2017 को अदालत ने मौलाना फजुर्लरहमान की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी मौलाना फजलुल मन्नान को प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया था। निचली अदालत में प्रतिवादी की ओर से इस वाद को खारिज करने की मांग की गई थी। निचली अदालत ने इस मांग को नामंजूर कर दिया था।