रामपुर
सपा विधायक आजम खां भले ही सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन उनकी चुप्पी ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। लखनऊ जाने के बाद भी उनकी सपा मुखिया अखिलेश यादव व संरक्षक मुलायम सिंह से मुलाकात नहीं हुई है। इससे पहले वह सपा विधानमंडल दल की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। इससे तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
पांच दिन पहले जेल से छूटने के बाद आजम खां ने सपा मुखिया के खिलाफ सीधे तौर पर कोई टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन उन्होंने इशारों में काफी कुछ कह दिया है। अपनी बर्बादी के पीछे अपनों का हाथ बताने के उनके बयान को भी सपा मुखिया से नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। बीते दिवस वह लखनऊ गए भी तो अखिलेश व मुलायम सिंह से दूरी बनाए रखी।
इसके विपरीत अखिलेश यादव से खफा चल रहे उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव पिछले माह आजम खां से जेल में मिलने भी गए और जेल से छूटने के वक्त भी वह मौजूद रहे। आजम सीधे तौर पर भले ही नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, लेकिन राजनीति के गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। संभावना तो उनके सपा को अलविदा कहने तक की जताई जाने लगी है। जानकार बताते हैं कि आजम हर सियासी कदम सोच समझकर उठा रहे हैं।
काबिलेगौर है कि उनके जेल में रहते वक्त राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत सिंह उनके घर आकर स्वजन से मिले, कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम उनसे जेल में भी मिले और उनके घर पर भी आए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उनके समर्थन में बयान दिया। जाहिर है विरोधी पार्टियों की निगाह भी उनपर लगी हैं। सपा के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल कहते हैं कि आजम खां वरिष्ठ नेता हैं। रामपुर शहर से 10 बार विधायक रह चुके हैं। उनपर फर्जी मुकदमे लगाए गए हैं, इसीलिए दूसरे दलों के नेता भी उनके समर्थन में बयान दे रहे हैं।
आजम खां के समर्थकों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनके परिवार पर बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज होते रहे। आजम खां के खिलाफ 89, पत्नी डा. तजीन फात्मा पर 34 और विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ पर 43 मुकदमे दर्ज करा दिए गए, लेकिन पार्टी ने मजबूती से विरोध नहीं जताया। अखिलेश आजम खां से जेल में मिलने भी केवल एक बार गए जबकि मुलायम सिंह तो मिले ही नहीं।