दिल्ली विकास प्राधिकरण ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में भूमि की कमी के मद्देनजर पड़ोसी राज्यों में शुरू की गई सभी परियोजनाओं के लिए प्रतिपूरक वनीकरण की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसी ने कहा कि मंत्रालय को कम से कम वन संरक्षण अधिनियम के तहत जारी दिशा-निर्देशों में ढील देनी चाहिए, ताकि पड़ोसी राज्यों में निम्नीकृत वन भूमि पर केंद्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा कार्यान्वित परियोजनाओं के लिए प्रतिपूरक वनीकरण की अनुमति दी जा सके।
मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में डीडीए ने वन संरक्षण अधिनियम की पुस्तिका के अध्याय 2 के पैराग्राफ 2.3 का हवाला दिया। इस पैराग्राफ के मुताबिक, असाधारण मामलों में जहां गैर-वन भूमि/निम्नीकृत वन भूमि जैसा भी मामला हो, विशेष प्रावधान हैं।
इसमें कहा गया है, यदि उस राज्य-केंद्र शासित प्रदेश में प्रतिपूरक वनीकरण उपलब्ध नहीं कराया जाता, जहां कि वन भूमि के उपयोग में बदलाव प्रस्तावित है, तो प्रतिपूरक वनीकरण के लिए किसी अन्य राज्य-केंद्रशासित प्रदेश की भूमि की पहचान की जा सकती है, हो सके तो पड़ोसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में ही भूमि की पहचान की जाए।