टेरर फंडिंग केस में एनआईए कोर्ट से उम्रकैद की सजा पाए अलगाववादी नेता यासीन मलिक की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सबसे सुरक्षित माने जाने वाली तिहाड़ जेल में रात बड़ी मुश्किल और बेचैन से कटी। जेल सूत्रों के मुताबिक, सजा होने के बाद यासीन मलिक अपनी बैरक में परेशान दिखाई दिया। उसके हाव भाव बदल गए थे और वो बैचेन नजर आ रहा था। जेल में भी वी कुछ बेचैन था। तिहाड़ जेल की 7 नंबर बैरक में यासीन मलिक को रखा गया है। पिछले करीब डेढ़ महीने से मलिक इसी बैरक में बंद है। सुरक्षा की लिहाज से उसकी बैरक में यासीन मलिक के अलावा और कोई भी नहीं है।
तिहाड़ जेल में पहुंचकर उसने जेल से मिलने वाला खाना थोड़ी देर से खाया। हालांकि, यासीन अपने समय पर ही सो गया था। यासीन ने अभी तक किसी तरह की कोई खास डिमांड नही की है। जेल मैन्युअल के हिसाब से ही नाश्ता भी दिया गया है। जेल अधिकारियों का कहना है कि उसकी सुरक्षा उनके लिए प्राइमरी कंसर्न है। यासीन मलिक के जेल के करीब कोई न जाए और वो जेल में खुद को कोई नुकसान न पहुंचाए इसके लिए भी सख्त इंतेज़ाम किए गए है
एनआईए कोर्ट से सज़ा पाने के बाद यासीन मलिज जब जेल पहुंचा तो बाकी दिनों के मुकाबले काफी कम बात की। उसने खाना भी अनमने अंदाज में ही खाया। आज सुबह अपने टाइम पर उठा और जेल का दिया हुआ नाश्ता किया। सीसीटीवी से नजर तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने अलगाववादी नेता के बारे में बताया कि जेल में यासीन मलिक की सुरक्षा बेहद कड़ी रखी गई है। उन्होंने कहा कि सीसीटीव कैमरों से लगातार उसके सेल पर नजर रखी जा रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के सबसे अग्रणी अलगाववादी नेताओं में से एक यासीन मलिक को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि इन अपराधों का मकसद ‘भारत के विचार की आत्मा पर हमला करना’ और भारत संघ से जम्मू-कश्मीर को जबरदस्ती अलग करने का था। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने विधि विरुद्ध क्रियाकलाप रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं।
न्यायाधीश ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की तरफ से की गई मृत्युदंड की मांग को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि इन अपराधों का उद्देश्य भारत के विचार की आत्मा पर प्रहार करना था और इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत संघ से जबरदस्ती अलग करना था। अपराध अधिक गंभीर हो जाता है क्योंकि यह विदेशी शक्तियों और आतंकवादियों की सहायता से किया गया था।
अपराध की गंभीरता इस तथ्य से और बढ़ जाती है कि यह एक कथित शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन के पर्दे के पीछे किया गया था। ऐसे अपराध के लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड है। अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) नेता मलिक को दो अपराधों-आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना)- के लिए दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई।