नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने देश के 2174 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसा है। इन दलों पर वित्तीय अनियमितता बरतने, सालाना आडिट रिपोर्ट पेश नहीं करने और चुनाव खर्च का ब्यौरा नहीं देने जैसे गंभीर आरोप हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसी पार्टियां भी हैं जिन्होंने 2019 का चुनाव भी नहीं लड़ा है मगर इसके बावजूद उन्होंने करोड़ों रुपये की टैक्स छूट हासिल की है। आयोग ने फिलहाल सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को ऐसे राजनीतिक दलों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक मौजूदा समय में देश में 2796 पंजीकृत गैर- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं। वर्ष 2001 के बाद से इनकी संख्या में तीन सौ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2001 तक इनकी संख्या सिर्फ 694 थी। आयोग ने राजनीतिक दलों के कामकाज में पारदर्शिता रखने के उद्देश्य से कुछ नियम भी बनाए हैं। सभी दलों को चुनावी चंदे, खर्च सहित पार्टी के आयकर पैन खाते और आडिट रिपोर्ट आयोग के सामने पेश करने जरूरी हैं।
खास बात यह है कि आयोग के इन नियमों के बाद भी 2174 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की ओर से किसी तरह की कोई जानकारी आयोग को नहीं दी गई। यही नहीं वित्त वर्ष 2018-19 में 199 दलों ने 445 करोड़ और 2019-20 में 219 दलों ने 608 करोड़ की टैक्स छूट का लाभ भी लिया मगर किसी दल ने टैक्स छूट की जानकारी आयोग को नहीं दी।
आयोग को ब्यौरा न देने वाले राजनीतिक दलों से टैक्स छूट का लाभ छीना जा सकता है। चुनाव चिह्न यानि सिंबल को भी जब्त किया जा सकता है। इसके अलावा और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। हालांकि यह तय आरोपों के आधार पर अलग-अलग निर्धारित होगा। आयोग के मुताबिक 2019 के आम चुनाव के समय देश में 2354 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल थे। इनमें से सिर्फ 623 ने ही आम चुनाव लड़ा था। 1731 दल ऐसे थे जिन्होंने एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। इनमें से जो दल चुनाव लड़े भी, उन्होंने चुनावी खर्च का ब्यौरा भी नहीं दिया। नियमों के मुताबिक चुनाव खत्म होने के 90 दिनों के भीतर चुनावी खर्च का ब्यौरा देना जरूरी है।