लखनऊ
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने राज्यपाल के अभिभाषण को जन अपेक्षाओं के विपरीत बताते हुए कहा है कि जनहित व विकास आदि के भारी-भरकम सरकारी दावों की सार्थकता व उपयोगिता तभी होती है जब वे जमीनी हकीकत से थोड़ा भी मेल खाते हों। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में भले ही सरकार को क्लीनचिट दी है लेकिन, दावे आम लोगों को दिखाई नहीं पड़ रहे।
बसपा प्रमुख ने कहा कि प्रदेश सरकार यदि राज्यपाल के माध्यम से किए गए जनहित व जनसुरक्षा से जुड़े दावों पर यदि वास्तव में अमल करती तो लोगों को थोड़े अच्छे दिन की उम्मीद बंधती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि वैसे कुछ लोगों के अच्छे दिन जरूर आ गए हैं, उनके लिए कानून के राज का कोई मतलब नहीं है। वे चाहे रेत माफिया हों या थाने में घुसकर पुलिस की पिटाई करने वाले जिनकी खबरें आम हैं। वहीं आम लोगों का हाल बेहद खराब है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में राज्यपाल वापस जाओ का नारा लगाना उचित नहीं है, क्योंकि राज्यपाल को वही लिखा हुआ पढऩा था जो सरकार ने उन्हें पढऩे के लिए दिया था। इस पर चर्चा के दौरान सरकार को सीधे घेरा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार जनहित के फैसले ले साथ ही आरोप लगाया कि इन दिनों राशन कार्डों के सत्यापन की आड़ में मुफ्त राशन देने के लाभार्थियों को कम किया जा रहा है। यह सही नहीं है सरकार इस पर फिर से विचार करे।