लखनऊ
काशी विश्वनाथ मंदिर पर दिए गए अपने बयान को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत चर्चा में आ गए थे। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत के समर्थन में अब लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) भी आ गया है। रविवार को संगठन ने जारी बयान में कहा है कि विश्वविद्यालय ने सिर्फ एक पक्षीय कार्यवाही के तहत शिक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है। लेकिन उन्हें घेरने और नारेबाजी कर अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने वालों पर अब तक कार्यवाही नहीं की गई। इस तरह की कार्यवाही अनुचित है।
शनिवार को लूटा कार्यकारिणी में लिए गए फैसले के बाद रविवार को लूटा अध्यक्ष डा. विनीत वर्मा और महामंत्री डा. राजेंद्र कुमार वर्मा की ओर से बयान जारी किया गया। कहा गया है कि बीती 10 मई को लखनऊ विश्वविद्यालय के अंदर एक समूह जिसमें भारी संख्या में छात्र एवं अन्य लोग शामिल थे। उन्होंने डा. रविकांत का घेराव कर उनके लिए अमर्यादित तथा उग्र प्रवृत्ति की भाषा में आपत्तिजनक नारेबाजी की है।
उन्होंने आगे कहा कि उस दिन डा. रविकांत के साथ अप्रिय घटना हो सकती थी। लूटा ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि इस प्रकार की घटना में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्यवाही की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी घटना की पुनरावृति न हो। संगठन ने डा. रविकांत के पत्रों के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन से जल्द आवश्यक कार्यवाही की मांग की है।
बता दें कि बीते शनिवार को शिक्षक डा. रविकांत ने एक चैनल पर डिबेट में लेखक पट्टाभि सीता रमैया की लिखित किताब का हवाला देकर काशी विश्वनाथ मंदिर पर बयान दिया था। इसको लेकर वह विवादों में आ गए थे। 10 मई को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर FIR दर्ज कराई थी। हाल ही में डा. रविकांत का भीम आर्मी और आम आदमी पार्टी ने समर्थन करते हुए विरोध करने वालों पर कार्यवाही की मांग की थी।