लखनऊ
प्रदेश में गरीब मत्स्य पट्टेधारकों व मछुआरों के लिए दो नई योजनाएं निषादराज बोट योजना व मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की जा रही है। सरकार ने वर्ष 2022-23 के वार्षिक बजट में प्रारंभिक स्तर पर चार करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है, ताकि गांवों के गरीब मछुआरों की आय में वृद्धि होगी व उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाए जाने में सहायता मिलेगी।
मत्स्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने बताया कि प्रदेश सरकार ने मत्स्य संपदा के रखरखाव व प्रबंधन के लिए ग्राम सभा के तालाबों के मत्स्य पट्टेधारकों व मछुआरों को नाव, जाल आदि उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू की है। इस योजना में प्रति वर्ष 1500 की दर से पांच वर्षों में 7500 मछुआरों व पट्टेधारकों को आर्थिक सहायता दी जा सकेगी।
परियोजना की अधिकतम इकाई लागत 67 हजार रखी गयी है जिस पर 40 प्रतिशत अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता मिलेगी। 2022-23 में योजना के प्रारंभिक स्तर पर 200 लाख का बजट स्वीकृत किया गया है। मछुआरों व पट्टेधारकों को मत्स्य पालन से संबंधित जलक्षेत्रों में अवैध शिकार की रोकथाम व उसके नियंत्रित करने, तालाबों, नदियों व अन्य जलस्रोतों में मत्स्य आखेट के मत्स्य प्रबंधन में योजना सहायक होगी। प्रदेश में उपलब्ध जलक्षेत्र की मत्स्य संपदा को सुरक्षित व संरक्षित रखने में मछुआ समुदाय के व्यक्तियों की सहभागिता बढ़ेगी व राजस्व की संभावित हानि से भी बचा जा सकेगा।
डा. दुबे ने बताया गया कि प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में स्थित ग्राम सभा के उथले व अव्यवस्थित पट्टे के तालाबों में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि व मछुआ समुदाय के पट्टेधारकों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से मनरेगा कनवर्जेंस के माध्यम से सुधारे गये ग्राम सभा के पट्टे के तालाबों पर वर्ष 2022-23 में 100 व पांच वर्षों में कुल 500 मत्स्य बीज बैंक स्थापित किए जाएंगे। मनरेगा कनवर्जेंस के माध्यम से ही ग्राम सभा के पट्टे के तालाबों के सुधार के बाद प्रथम वर्ष निवेश पर 40 प्रतिशत अनुदान सहायता से वर्ष 2022-23 में 500 हेक्टेयर पट्टे के तालाबों पर मत्स्य पालन का कार्य व पांच वर्षों में कुल 2500 हेक्टेयर के पट्टेधारकों को अनुदान सहायता उपलब्ध होगी।