वाराणसी
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में एडवोकेट कमिश्नर की ओर से अदालत में दाखिल रिपोर्ट में शामिल फोटोग्राफ व वीडियो अभी तक पक्षकारों को नहीं मिल सके हैं। वादी यानी मंदिर पक्ष ने इसकी प्रति प्राप्त करने के लिए जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में प्रार्थनापत्र दिया है। मामले में प्रतिवादी पक्ष की ओर से शुक्रवार को एक और प्रार्थनापत्र दाखिल कर मांग की गई कि फोटोग्राफ व वीडियो सिर्फ पक्षकारों को दिया जाए और इसके सार्वजनिक करने पर रोक लगे।
प्रतिवादी पक्ष की ओर से वकील रईस अहमद अंसारी ने प्रार्थनापत्र दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि नकल लेने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने अदालत में प्रार्थनापत्र जमा किया है। इनमें अधिकांश का मुकदमे से कोई लेना-देना नहीं है। मुकदमे की संवेदनशीलता को देखते हुए फोटोग्राफ व वीडियो मुकदमे के पक्षकारों को ही दिया जाना चाहिए। साथ ही अदालत की ओर से ऐसा निर्देश पारित किया जाए कि जब तक कमीशन रिपोर्ट का निस्तारण न हो जाए, उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाए।
इस बारे में वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि विवादित परिसर में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के सदस्यों और नमाजियों का आना-जाना है। वहां कौन-कौन से साक्ष्य मौजूद है, इसकी जानकारी इन लोगों को है तो आखिर प्रतिवादी किससे सच छिपाना चाहते हैं।
उन्होंने कमिश्नर रिपोर्ट में शामिल फोटो व वीडियो सार्वजनिक नहीं करने की मांग की है, इसका हम विरोध करते हैं। विवाद समाप्त होने के लिए जरूरी है कि सच्चाई सबके सामने आनी चाहिए।
वहीं, विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख व वादी पक्ष के पैरोकार जितेन्द्र सिंह बिसेन ने जिलाधिकारी से मांग की है कि ज्ञानवापी कमीशन का फोटोग्राफ या वीडियो सार्वजनिक नहीं होना चाहिए। अदालत की संपत्ति अदालत तक सीमित रहे, नहीं तो राष्ट्रविरोधी ताकतें सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकती हैं। इसे सार्वजनिक करने वाले के खिलाफ रासुका सहित अन्य प्रविधानों में कार्यवाही होनी चाहिए।