भारत में फिर से ऊंची महंगाई का दौर वापस आ गया है। अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई की दर 7.79% पर पहुंच गई है। मई 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार का गठन हुआ था, यह खुदरा महंगाई का उसके बाद से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे पहले मार्च महीने में खुदरा महंगाई की दर 6.95% पर थी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने एक दिन पहले 12 मई को खुदरा महंगाई का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया है। आंकड़ों से पता चलता है कि एक महीने में खुदरा महंगाई 0.84% चढ़ गई है। हालांकि अप्रैल में महंगाई के तेजी से बढ़ने का अंदेशा पहले से ही था, लेकिन किसी ने 0.84% के उछाल का अनुमान नहीं दिया था।
आपको बता दें कि इस बार महंगाई के दौर से जुड़ी सबसे खराब बात ये है कि इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था के सामने स्टैगफ्लेशन का खतरा उपस्थित हो गया है। जब किसी भी इकोनॉमी में तेज महंगाई और सुस्त ग्रोथ की स्थिति एक साथ पैदा हो जाती है, तो उसे स्टैगफ्लेशन कहा जाता है।