लखनऊ
किसी को कानों-कान भनक न लगी और तीन दशक बाद कांग्रेस का हाथ झटक कर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल समाजवादी पार्टी के पाले में आ खड़े हुए। बुधवार को उत्तर प्रदेश के विधानभवन पहुंचे सिब्बल ने यहां बड़ा रहस्योद्घाटन किया कि वह 16 मई को कांग्रेस की सदस्यता से त्याग-पत्र दे चुके हैं और उत्तर प्रदेश के कोटे से सपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा के लिए नामांकन कर दिया। अभी सपा प्रत्याशी के तौर पर जावेद अली ने ही नामांकन किया है। यदि अब इस दल से दो और प्रत्याशी नहीं उतारे जाते हैं तो सिब्बल का राज्यसभा पहुंचना तय है।
देश के जाने-माने वकील और कांग्रेस के जी-23 समूह के मुखर नेता कपिल सिब्बल बुधवार सुबह सबसे पहले सपा के प्रदेश कार्यालय पहुंचे। वहां से विधानभवन के सेंट्रल हाल पहुंचे। यहां सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की मौजूदगी में राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया।
इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में सिब्बल ने अखिलेश का आभार जताते हुए बताया कि उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है। कांग्रेस नेता होते हुए सपा के समर्थन से चुनाव लडऩे के प्रश्न पर राजफाश किया कि अब वह कांग्रेस के नेता नहीं हैं, क्योंकि 16 मई को पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। कांग्रेस पर कोई सीधी टिप्पणी करने की बजाए बोले कि 30-31 वर्ष तक मेरा कांग्रेस से गहरा रिश्ता रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की वजह से कांग्रेस से जुड़े थे। खुद ही प्रश्न छोड़ा कि यह सोचें कि कोई व्यक्ति 31 वर्ष बाद क्यों पार्टी छोड़ रहा है, कुछ तो होगा। कई बार कुछ निर्णय लेने पड़ते हैं। साथ ही स्पष्ट किया कि कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े रहेंगे, भावनात्मक रूप से भी जुड़ाव बना रहेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री का कहना था कि वह चाहते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी दल एक मंच पर आएं और मोदी सरकार से लड़ें।
सरकार की कमियों को जनता के सामने उजागर करें। वह इसी प्रयास में जुटे हैं। कपिल सिब्बल को सपा के समर्थन के प्रश्न पर अखिलेश यादव ने कहा कि सिब्बल वरिष्ठ नेता और जाने-माने अधिवक्ता हैं। आशा है कि वह राज्यसभा में पहुंचकर बेरोजगारी, मुद्रा स्फीति और असुरक्षित सीमा जैसे बड़े मुद्दों को मजबूती से उठाएंगे। थोड़ी देर बाद ही प्रो. रामगोपाल यादव के साथ पूर्व सांसद जावेद अली भी सेंट्रल हाल पहुंचे और उन्होंने सपा प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया।
जावेद ने दूसरी बार राज्यसभा का मौका देने के लिए अखिलेश यादव के प्रति आभार व्यक्त किया। वोटों के गणित के अनुसार सपा के तीन प्रत्याशियों का राज्यसभा पहुंचना तय है, जबकि भाजपा के पास सात प्रत्याशी जिताने लायक वोट हैं। 11वीं सीट के लिए दोनों दलों के पास 14-14 वोट हैं। ऐसे में एक सीट के लिए दोनों दलों को दूसरे दलों से वोटों का जुगाड़ करना होगा। इस तरह यदि सिब्बल निर्दलीय प्रत्याशी रहते हैं और सपा इनके बाद सिर्फ दो ही प्रत्याशी उतारती है तो सिब्बल का राज्यसभा जाना तय हो जाएगा।
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश कोटे से कुल 31 सदस्य चुने जाते हैं। इनमें से 11 सीटें चार जुलाई को रिक्त हो रही हैं। विधानसभा में 403 विधायकों में भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक हैं। मुख्य विपक्षी दल सपा गठबंधन के विधायकों की कुल संख्या 125 है। राज्यसभा की प्रत्येक सीट के लिए कम से कम 37 विधायकों के वोट जरूरी हैं। इस हिसाब से भाजपा गठबंधन सात सीटों पर आसानी से जीत दर्ज कर लेगा। इसके बाद भाजपा गठबंधन के 14 वोट बच जाएंगे। वहीं, दूसरी वरीयता के मत से भाजपा आठवां प्रत्याशी भी आसानी से जिता लेगी। तीन सीटों पर सपा गठबंधन की जीत पक्की है।