अगर आप सोचते हैं कि सबसे ज्यादा हादसे उन सड़कों पर होते हैं, जहां गड्ढे हैं या जो घुमावदार होती हैं, तो सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट जरूर पढ़िए। इसके मुताबिक, साल 2020 में सीधी सड़कों पर 2.37 लाख एक्सीडेंट हुए, जो कुल हादसों का 65% है। वहीं, गड्ढों वाली सड़कों पर सबसे कम 3,564 एक्सीडेंट हुए, जो सिर्फ 1% है। लॉकडाउन की वजह से हादसों की संख्या तो घटी लेकिन मौतों का अनुपात बढ़ गया है। 2019 में कुल 4.49 लाख हादसों में 1.51 लाख मौतें हुई थीं, 2020 में 3.66 लाख एक्सीडेंट में ही 1.31 लाख जानें गईं। प्रति 100 हादसों में 36 मौतें हुईं, जो 20 साल में सबसे अधिक है।
साल 2020 में लंबे समय तक लॉकडाउन के कारण सड़कें खाली रहीं। इस दौरान कुल हादसे भले कम हो गए हों, पर ओवरस्पीड से हुई मौतों का अनुपात बढ़ गया। 2019 के दौरान हादसों में हुई कुल मौतों में 67.3% की वजह ओवरस्पीड थी, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 69.3% हो गया। चौंकाने वाली बात ये कि इस दौरान ड्रंकन ड्राइविंग, गलत लेन में चलने, रेड लाइट जंप करने और मोबाइल पर बात करते हुए होने वाले हादसों में मरने वालों का अनुपात 2019 के मुकाबले घट गया। 2020 में गलत लेन में ड्राइविंग मौत की दूसरी बड़ी वजह रही है। ऐसे 20,228 हादसों में 7,332 जानें गईं।
देश में 2020 के दौरान सर्वाधिक 32.7% दुर्घटनाएं और 31.5% मौतें उन वाहनों से हुईं, जो 5 साल से कम पुराने थे। वहीं, सबसे कम हादसे 12.6% और मौतें 13%, 15 साल या उससे ज्यादा पुराने वाहनों से हुए। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 50% से ज्यादा दुर्घटनाएं 10 साल से कम उम्र वाले वाहनों से हुईं। वहीं, 6.7% दुर्घटनाएं ओवरलोड वाहनों से, जबकि 60% उन गाड़ियों से हुईं, जो सामान्य लोड लेकर चल रही थीं। वहीं, 2019 के दौरान 7.9% दुर्घटनाओं के लिए ओवरलोड वाहन और 60.8% के लिए सामान्य लोड वाहन जिम्मेदार थे।