सरकारी पैसा पानी में कैसे बहता है और किस तरह से बंदरबाट होता है, इसका सबसे अच्छा उदाहरण मुजफ्फरपुर के कटरा के बसघट्टा में बागमती नदी पर बना पुल और उसका मलबा है। 8.50 करोड़ की लागत से तैयार पुल उद्घाटन के पहले ही ध्वस्त हो गया जिसके बाद ध्वस्त हुए पुल के समानांतर नए पुल का निर्माण करीब 14 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है।
हालांकि, पिछले साल इस पुल का अप्रोच रोड भी बह गया था। अब नए पुल को बचाने के नाम पर पुराने ध्वस्त पुल का मलबा हटाया जा रहा। मलबा हटाने पर 1.75 करोड़ रुपए खर्च होंगे। आरसीडी-2 के कार्यपालक अभियंता का तर्क है कि बसघट्टा में ध्वस्त पुल के समानांतर बने नए पुल को ध्वस्त पुल से नुकसान हो सकता है। बाढ़ से पहले मलबा हटाने को 4 मई को निविदा निकाली गई।
5 मई से ही जेसीबी और ट्रैक्टर दिन-रात मलबा हटाने में लगे हैं। यह बात दीगर है कि मलबा हटाने में खर्च हो रही सरकारी राशि और कार्य पूरा करने की तिथि आदि का बोर्ड तक यहां नहीं लगा है। वैसे पथ निर्माण विभाग आरसीडी-2 ने मलबा हटाने को विश्वनाथ शर्मा की एजेंसी को ढाई माह का समय दिया है जबकि, अब किसी वक्त बाढ़ भी आ सकती है। काम पूरा होना संभव नहीं दिख रहा है।