ज्ञानवापी को लेकर समाज में जिज्ञाषा तेज हो गई है और राजनीति में बयानबाजी गर्म है। मामला तो कोर्ट में है लेकिन मोदी सरकार के विरोधी इसे सीधे तौर पर सरकार से जोड़ रहे हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी जहां ऐसे आरोपों को नकारते हुए यह दावा करते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण के लिए सबसे ज्यादा काम मोदी सरकार में हुए हैं, वहीं यह कहने से हिचकते नहीं है कि जिन्हें औरंगजेब आदर्श लगता है वह हिंदुस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने का पाप कर रहे हैं। उनकी कई विषयों पर बात हुई।
पेश है एक अंश-
प्रश्न– मोदी सरकार के आठ साल की उपलब्धियां गिनाई जा रही हैं लेकिन गिनायी जा रही है, लेकिन एक पक्ष है जो यह आरोप लगाता है की समाज टूट रहा है। आप क्या कहेंगे?
उत्तर– पहली बात, यह आठ वर्ष कोई सामान्य समय नहीं रहा है। कोरोना का कहर, युद्ध का वैश्विक दुष्प्रभाव, देश ने तूफान भी झेला, भूकंप भी आया, टिड्डियों का प्रकोप और फिस्सड्डियों का पाखण्ड भी चला और चल रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना रुके-बिना थके संकटमोचक की अग्रणी भूमिका में रहे। देश टूट रहा है, समाज बिखर रहा है, असहिष्णुता हो गई है.. ऐसे तमाम झूठे-मनगढंत दुष्प्रचार 2014 से ही शुरू हो गए थे। सच्चाई उलट है। लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंच रहा है। हर वर्ग आगे बढ़ रहा है। एक युग था कि हर महीने देश का कोई ना कोई हिस्सा दंगों की आग में जल रहा होता था- भागलपुर का छह महीनों तक चला दंगा, हजारों की मौत; भिवंडी का महीनों चला कत्ले आम; मलियाना का नरसंहार; 1984 का सिख नरसंहार- जैसी सैंकड़ों दर्दनाक घटनाएं हुई, जो इंसानियत को झकझोर देती हैं। समाज वहां टूट रहा था। अब जुड़ा है।
प्रश्न- यह हमेशा कहा जाता है की भाजपा पर मुस्लिमों का विश्वास नहीं है, कोई वोट नहीं देता। पिछले आठ सालों में कोई बदलाव आया क्या और कैसे?
उत्तर– भाजपा राष्ट्रीय ही नहीं राष्ट्रवादी पार्टी है। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास सिर्फ नारा नहीं है। आज विरोधी भी यह नहीं कह पा रहे हैं कि मोदी सरकार ने विकास के मामलें में कहीं भेदभाव किया है। या किसने वोट दिया, किसने नहीं दिया, उसके आधार पर विकास की प्राथमिकता रखी है। अल्पसंख्यकों को आठ वर्षों में पांच करोड़ से ज्यादा स्कॉलरशिप, जिससे स्कूल ड्राप आउट रेट घटा और प्रवेश बढ़ा। अन्य योजनाएं जो गरीबों-कमजोर तबकों के लिए रही उसका भी बहुत ज्यादा लाभ गरीब अल्पसंख्यकों को हुआ। 2 करोड़ 38 लाख गरीबों को घर दिया तो उसमे 31 प्रतिशत अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय हैं।
12 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि के तहत लाभ दिया, तो उसमे भी 33 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब किसान हैं। 9 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत निशुल्क गैस कनेक्शन दिया तो उसमे 37 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवार लाभान्वित हुए। रोजगार एवं रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए 35 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना के तहत आसान ऋण दिए गए हैं जिनमे 35.6 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यकों को लाभ हुआ। देश भर में ÓÓस्वच्छ भारत अभियानÓÓ के तहत 11 करोड़ 22 लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है जिसमें लगभग 22 प्रतिशत अल्पसंख्यक लाभार्थी हैं। इसके अतिरिक्त जन धन योजना, आयुष्मान भारत योजना, हर घर जल योजना आदि योजनाओं में 22 से लेकर 37 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।और इन लाभार्थियों में 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं।
प्रश्न- ज्ञानवापी मामले को भी राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है?
उत्तर– मामला कोर्ट में है, हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। लेकिन क्या यह झूठ है कि ङ्क्षहदुस्तान कुछ आक्रमणकारियों के जुल्म-जुर्म के जख्म को आज भी नहीं भूल पाया है। मैं सभी मुस्लिम शासकों के बारे में नहीं कह रहा हूँ। दारा शिकोह, शेरशाह सूरी, बहादुरशाह ज$फर जैसे भी शासक रहे हैं। इनका सम्मान आज भी ङ्क्षहदुस्तान करता है। लेकिन औरंगजेब की क्रिमिनल-कम्युनल करतूत इतिहास की काली हकीकत है। जिन्हें औरंगजेब आदर्श लगता है वह ङ्क्षहदुस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने का पाप कर रहे हैं।
प्रश्न- हिजाब, हलाल का मसला भी हाल में खूब गरमाया था और कहा गया कि भाजपा फ़ायदा उठाना चाहती है?
उत्तर– इससे भाजपा को क्या फायदा? तीन तलाक कानूनी जुर्म बना तो मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा मिली, तीन तलाक की घटनाओं में कमी आई। हिजाब पर हॉरर हंगामा, मुस्लिम लड़कियों की तालीम-तरक्की पर तालिबानी ताला जडऩे की साजिश है। दुख तो तब होता है जब कांग्रेस, पाकिस्तान, तालिबान के सुर हिजाब हॉरर हंगामें पर एक जैसे होते हैं। यह धार्मिक मामला नहीं है, संस्थाओं के अनुशासन एवं ड्रेस से संबंधित है। इस मामले पर बहुत पहले ही मद्रास हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट, मुंबई हाईकोर्ट फैसला दे चुके हैं कि सभी को स्कूल-कॉलेज-संस्थाओं का अनुशासन एवं ड्रेस कोड मानना पड़ेगा।
प्रश्न- विपक्षी दलों पर भाजपा की ओर से हमेशा तुष्टिकरण का आरोप लगाया जाता है। क्या हाल के दिनो में कोई बदलाव दिखा क्योंकि कई दल अब चुप्पी साधने लगे हैं।
उत्तर– मोदी सरकार ने सियासी तुष्टिकरण के छल को समावेशी सशक्तिकरण के बल से परास्त किया है। जो लोग तुष्टिकरण की सियासत को अपनी विरासत समझते थे वो बेचैन हैं। वह यह तो नहीं कह पा रहे हैं कि अल्पसंख्यकों या मुसलमानों के साथ कोई भेदभाव हुआ है, विकास में कोई सौतेला व्यवहार हुआ है, तो अब हर एक महीने में भय, भ्रम का भौकाल खड़ा कर समाज के बड़े वर्ग को प्रगति की धारा से काटने की सियासी साजिश में लगे रहते हैं।
लेकिन खुशी है कि समाज के सभी वर्गों के साथ अल्पसंख्यकों का भी मोदी जी के प्रति यकीन पुख्ता हुआ है। हम मजबूत विपक्ष चाहते हैं, विरोधाभासों से भरा मजबूर विपक्ष नहीं। समस्या यह है कि बिना जमीन के जमींदारी, बिना जनाधार के जागीरदारी के जुगाड़ में भाजपा से लड़ते-लड़ते आपस में ही भिड़ रहे हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, वह तो ऐसी बेनामी संपत्ति बन गई है, जिसका ना अंदर कोई मोल है, ना बाहर कोई भाव रह गया है।