प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 मई 2022 को जापान में 700 से अधिक प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया और उनके साथ बातचीत की। कार्यक्रम से पहले, प्रधानमंत्री ने जापानी इंडोलॉजिस्ट, खिलाड़ियों और सांस्कृतिक कलाकारों से मुलाकात की। जो भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक संबंधों और एक दूसरे के देश के लोगों की आवाजाही को बढ़ावा देने में योगदान दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने जापान में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार विजेताओं से भी मुलाकात की। जापान में 40,000 से अधिक प्रवासी भारतीय हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय के सदस्यों के कौशल, प्रतिभा और उद्यमशीलता और मातृभूमि के साथ उनके जुड़ाव की सराहना की। स्वामी विवेकानंद और रवीन्द्र नाथ टैगोर का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत और जापान के बीच मौजूद गहरे सांस्कृतिक संबंधों का भी विशेष तौर पर उल्लेख किया।
आपको बता दें कि उन्होंने हाल के वर्षों में भारत में विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, शासन, हरित विकास, डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास और सुधार की विभिन्न पहलों की भी चर्चा की । उन्होंने भारतीय समुदाय को ‘भारत चलो, भारत से जुड़ो’ अभियान में शामिल होने और आगे बढ़ने के लिए आमंत्रित किया।
पीएम मोदी ने कहा कि जब भी मैं जापान आता हूं तो मैं हर बार देखता हूं कि आपकी स्नेह वर्षा हर बार बढ़ती ही जाती है। आपमें से कई साथी ऐसे हैं जो अनेक वर्षों से यहां बसे हुए हैं। जापान की भाषा, यहां की वेशभूषा, कल्चर खानपान एक प्रकार से आपके जीवन का भी हिस्सा बन गया है, और हिस्सा बनने का एक कारण ये भी है कि भारतीय समुदाय के संस्कार समावेशक रहे हैं। लेकिन साथ साथ जापान में अपनी परंपरा, अपने मूल्य, अपनी जीवन पर धरती उसके प्रति जो कमिटमेंट है वो बहुत गहरा है। और इस दोनों का मिलन हुआ है। इसलिए स्वाभाविक रूप से एक अपनेपन के महसूस होना बहुत स्वाभाविक होता है।
आप यहां रहे हैं, काफी लोग आप लोग यहां बस गए हैं। मैं जानता हूं कईयों ने यहां शादी भी कर ली है। लेकिन ये भी सही है कितने सालों से यहां जुड़ने के बाद भी भारत के प्रति आपकी श्रद्धा भारत के संबंध में जब अच्छी खबरें आती हैं। तो आपकी खुशियों को पाव नहीं रहता है। होता है ना? और कभी कोई बुरी खबर आ जाये तो सबसे ज्यादा दुखी भी आप ही होते हैं। ये विशेषता हैं हम लोगों की, कि हम कर्मभूमि से तन मन से जुड़ जाते हैं, खप जाते हैं लेकिन मातृभूमि के जो जड़ों से जुड़ाव है उससे कभी दूरी नहीं बनने देते हैं और यही हमारा सबसे बड़ा सामर्थ्य है।
पीएम मोदी ने कहा कि जापान से हमारा रिश्ता बुद्ध का है, बोद्ध का है, ज्ञान का है। हमारे महाकाल है तो जापान में daikokuten है। हमारे ब्रह्मा हैं, तो जापान में bonten हैं, हमारी मां सरस्तवी है तो जापान में benzaiten हैं। हमारी महादेवी लक्ष्मी है तो जापान में kichijoten हैं। तो हमारे गणेश हैं तो जापान में kangiten हैं। जापान में अगर जैन की परंपरा है तो हम ध्यान को, meditation को आत्मा से साक्षात कार्य का माध्यम मानते हैं।
आज जब भारत आजादी के 75 साल मना रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। तो वो आने वाले 25 साल यानि आजादी के 100वें वर्ष तक हिन्दुस्तान को हमें कहां पहुंचाना है। किस ऊंचाई को प्राप्त करना है। विश्व में हमारे झंडा कहां-कहां कैसे-कैसे गाड़ना है, आज हिन्दुस्तान उस रोडमैप तैयार करने पर लगा हुआ है। आजादी का ये अमृतकाल भारत की समृद्धि का संपन्नता का एक बुलंद इतिहास लिखने वाला है।
मैं जानता हूं कि ये जो संकल्प हमने लिए हैं। ये संकल्प अपने आप में बहुत बड़े हैं। लेकिन साथियों, मेरा जो लालन पालन हुआ है, मुझे जो संस्कार मिले हैं, जिन-जिन लोगों ने मुझे गढ़ा है उसके कारण मेरी भी एक आदत बन गई है। मुझे मक्खन पर लकीर करने में मजा नहीं आता है मैं पत्थर पर लकीर करता हूं। लेकिन साथियों सवाल मोदी का नहीं है।
आज हिन्दुस्तान से 130 करोड़ लोग और मैं जापान में बैठे हुए लोगों की भी आंखों में वही देख रहा हूं आत्मविश्वास, 130 करोड़ देश्वासियों का आत्मविश्वास, 130 करोड़ संकल्प, 130 करोड़ सपने और इस 130 करोड़ सपनों को पूर्ण करने का ये विराट सामर्थ्य परिणाम निश्चित लेके रहेगा। पीएम ने कहा कि हमारे सपनों का भारत हम देख के रहेंगे।
आज भारत अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति, अपनी संस्थाओं के, अपने खोये हुए विश्वास को फिर से हासिल कर रहा है। दुनिया भर में कोई भी भारतीय आज सीना तानकर के, आंख में आंख मिलाकर के हिन्दुस्तान की बात बड़े गर्व से कर रहा है। ये परिवर्तन आया है। आज मुझे यहां आने से पहले भारत की महानताओं से प्रभावित कुछ लोग जो अपना जीवन खपा रहे हैं ऐसे लोगों के दर्शन करने का मुझे मौका मिला है।