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सूर्य षष्ठी रविवार को

by City Headline
Panchang and horoscope of Sunday 04 December 2022

आरोग्य के देवता सूर्य की पूजा का प्रसिद्ध पर्व “सूर्य षष्ठी” 28 अक्टूबर,  शुक्रवार के नहाये खाये से शुरू होगा। चार दिनों तक चलने वाला यह कठिन व्रत 31 अक्टूबर, सोमवार को प्रातः सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूर्ण किया जायेगा।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्र और पृथ्वी के भ्रमण तलों की सम रेखा के दोनों छोरों पर से होती हुई सूर्य की किरणें विशेष प्रभाव धारण करके अमावस्या के छठे दिन पृथ्वी पर आती हैं, इसीलिए छठ को सूर्य की बहन कहा गया है। शास्त्रों में इनके सृष्टि के मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने का वर्णन है। छठ को उषा देवी की संज्ञा प्राप्त है।इनकी ही कृपा से श्री कृष्ण जी के पुत्र साम्ब कुष्ठ रोग से मुक्त हुये थे।
ऋग्वेद में भी सूर्य पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
इस वर्ष प्रकृति, जल, वायु और सूर्य के पूजन का यह पर्व इस प्रकार होगा –

28 अक्टूबर शुक्रवार (कार्तिक शुक्ल चतुर्थी) – नहाये खाये।

29 अक्टूबर शनिवार (पंचमी)- खरना (दिनभर निर्जला व्रत रहकर रात में मीठा भोजन करते हैं।)

30 अक्टूबर रविवार (षष्ठी) सायंकालीन अर्घ्य।

31 अक्टूबर सोमवार (सप्तमी) सूर्योदय कालीन अर्घ्य।

36 घण्टे का यह व्रत अपने आप में अनूठा है। इसके विधि विधान अपनी अलग विशेषता रखते हैं। जैसे –
1- प्रथम दिवस में मात्र एक बार लौकी और चावल का भोजन करते हैं।
2- व्रत की अवधि में भूमि पर सोते हैं।
3- खरना को पूरे दिन व्रत रहने के बाद रात्रि को चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद मात्र रसियाव ग्रहण करते हैं।
4- तीसरे दिन प्रातः से लेकर पूरी रात बिना अन्न जल के रहते हैं।
5- देशी घी में घर का बना ठेकुआ और कसार ही चढ़ाया जाता है।