अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के ऐलान के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, “ब्लैक मंडे” का डर व्याप्त था, और सोमवार की सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स में करीब 3300 अंकों की गिरावट देखी गई, जो लगभग 4.70 प्रतिशत के नुकसान के बराबर है। वहीं, निफ्टी में भी लगभग 1000 अंकों की गिरावट आई। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों की मार्केट कैप 19.39 लाख करोड़ रुपये घट गई, जिससे निवेशकों की संपत्ति में भारी नुकसान हुआ।
भारतीय बाजारों की स्थिति:
- सेंसेक्स: 3379.19 अंक यानी 4.48 प्रतिशत की गिरावट के साथ 72,623 पर।
- निफ्टी-50: 1056.05 अंक यानी 4.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 21,848.40 पर।
इसके अलावा, एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई। हांगकांग के बाजार 10 प्रतिशत टूट गए, जबकि चीन, जापान, और अन्य एशियाई बाजारों में 6 प्रतिशत तक गिरावट आई। अमेरिका में भी स्थिति गंभीर रही, जहां एसएंडपी और नैस्डैक के शेयरों में 3 प्रतिशत की गिरावट आई, और डाओ फ्यूचर्स 900 प्वाइंट्स नीचे आ गए। जापान के निक्केई में भी मार्केट ओपन होते ही 225 प्वाइंट्स की गिरावट हुई।

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भारत के प्रमुख शेयरों में गिरावट:
- टाटा मोटर्स और टाटा स्टील में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट।
- एचसीएल टेक: 7% की गिरावट।
- टेक महिंद्रा: 6% की गिरावट।
- इंफोसिस: 6% की गिरावट।
- एलएंडटी: 6% की गिरावट।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज: 5% की गिरावट।
- टीसीएस: 5% की गिरावट।
ग्लोबल बाजारों का हाल:
- ऑस्ट्रेलिया का एस एंड पी 200: 6.5% गिरकर 7184.70 पर।
- दक्षिण कोरिया का कोस्पी: 5.5% गिरकर 2328.52 पर।
- अमेरिका का नैस्डैक: शुक्रवार को 7% गिरकर बंद हुआ।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह गिरावट तो कुछ भी नहीं है, और अगर हालात नहीं संभले तो अमेरिकी शेयर बाजारों का हाल 1987 के शेयर बाजार क्रैश जैसा हो सकता है।
वैश्विक मंदी की आशंका:
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया ने कहा कि यह सप्ताह भारतीय और वैश्विक बाजारों के लिए उतार-चढ़ाव से भरा रहने वाला है। ट्रंप के टैरिफ के चलते व्यापार युद्ध और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और भी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि मार्च के लिए चीन का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और ब्रिटेन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आंकड़ा इस सप्ताह जारी होगा, जो बाजारों पर और दबाव डाल सकते हैं।
क्या आपको लगता है कि इस स्थिति से वैश्विक बाजार जल्द उबर पाएंगे, या यह एक लंबा संकट बन सकता है?