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ऑगर मशीन ने पहाड़ के आगे टेके घुटने, सुरंग से श्रमिकों को निकलने में अभी लगेगा समय

मुख्यमंत्री धामी पहुंचे सिलक्यारा, ली हाई पावर कमेटी की बैठक

by City Headline
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उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग के रेस्क्यू को लेकर केंद्र और राज्य की विभिन्न एजेंसियां दिनरात काम कर रही हैं, लेकिन ये एजेंसियां 14 दिन बाद भी श्रमिकों को बाहर निकालने में सफलता नहीं पायी हैं। इसका कारण कभी ऑगर मशीन में ड्रिलिंग के दौरान टेक्निकल फाल्ट आना तो कभी मशीन के रास्ते में सुरंग के सरिया, रॉड और मलबा आने के कारण खराबी पैदा होना है। इसके कारण पिछले तीन दिन से श्रमिकों के बाहर निकालने में आज और कल हो रहा है।

अब यही सवाल है कि आखिर कब तक सभी श्रमिक सुरंग से सकुशल बाहर आ सकें? इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा आज फिर पहुंचे और वे सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग हादसे में रेस्क्यू कर रही सभी एजेंसियों के साथ हाई पावर कमेटी की बैठक कर रहे हैं। इसमें कई वरिष्ठ आला अधिकारी भी मौजूद हैं।
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में चल रहे टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने और टनल में फंसे उड़ीसा के श्रमिकों का हाल जानने कल रविवार को उड़ीसा के श्रम व रोजगार मंत्री शारदा प्रसाद नायक सिलक्यारा पहुंचेंगे। उनके कार्यक्रम को उड़ीसा के लेबर मिनिस्ट्री कार्यालय से जारी किया गया है।

दुनिया के चौथे सबसे बड़े उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू में बीते 14 दिनों से 41 श्रमिकों को निकालने का अभियान जारी है। अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिलिंग ही श्रमिकों को बाहर निकालने का एक बड़ा सहारा था, लेकिन मशीन के भीतर बार-बार लोहे के टुकड़े फंसने से ड्रिलिंग रोकनी पड़ रही है। बीते शुक्रवार करीब 2 मीटर की ड्रिलिंग के बाद फिर से तकनीकी परेशानी हो गई यानि कुछ वक्त और लगेगा। अब रेस्क्यू ऑपरेशन में एक रात और खिंच गयी। इसमें दुनिया भर की बेहतरीन मशीन लगाई गई फिर भी पहाड़ के आगे मशीनों घुटने टेक दिए, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीमों अपने ने घुटने नहीं टेके।
12 नवंबर को ढह गया गया था हिस्सा
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित से सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा बीते 12 नवंबर को ढह गया गया था। इसके बाद से रेस्क्यू टीमें मजदूरों को बाहर निकालने के लिए काम लगातार कार्य में युद्धस्तर पर जुटी हुई हैं।

सबसे पहले सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग के अंदर ऑक्सीजन का पाइप डाल गया। रेस्क्यू आपरेशन के शुरुआती दौर में इसमें सफलता नहीं मिली तो फिर अमेरिका की ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगवाई गई। कहने का मतलब यह कि पहाड़ में पहाड़ जैसी ही समस्या सामने आ रही है और इस पहाड़ के आगे ऑगर ड्रिलिंग मशीन अपने घुटने टेक दिए। सूत्रों का कहना है कि अब सुरंग के अंदर यानी जहां मजदूर फंसे हैं वहां से 9-10 मीटर मलबा को हटाने की भी तैयारी चल रही है। इसमें मुख्यमंत्री धामी, कई केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पूरा का पूरा अमला इसके रेस्क्यू ऑपरेशन को नजरे लगाए हुए है।
अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स बोले, ऑगर मशीन भूल जाइए?
सिलक्यारा सुरंग बचाव अभियान पर अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि देश में एक अमेरिकन ऑगर मशीन थी और यह ऑगर (मशीन) टूट गयी है। यह अपूर्णीय क्षति है, लेकिन श्रमिकों को बाहर निकालने के कई विकल्प हैं। यही सिर्फ एक रास्ता नहीं है…। फिलहाल, सब कुछ ठीक है…। यानी इस ऑगर मशीन से और कोई काम नहीं होगा। देश में और कोई नयी ऑगर मशीन भी नहीं है।
अब वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना पर किया जा रहा है कार्य
रेस्क्यू आपरेशन में नए घटनाक्रम के अनुसार शुक्रवार को ऑगर मशीन के ब्लेड टूट गए थे और अब ब्लेड बाहर निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। पहली कोशिश है कि ऑगर मशीन को फिर से तैयार कर शेष सुरंग में पाइप डाला जाए, लेकिन कई बार की कोशिशों के बाद भी रेस्क्यू आपरेशन में जुटी टीम को इसमें सफलता नहीं मिली है। एक बार फिर मशीन को तैयार करने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल ड्रिलिंग कल से ठप है और अब वर्टिकल ड्रिलिंग 88 मीटर नीचे तक करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। मशीन को शीर्ष पर ले जाने की तैयारी चल रही है। वर्टिकल खुदाई में भी सब कुछ ठीक रहा तो चार से पांच दिन का समय लग सकता है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हो रही हाई पावर कमेटी की बैठक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा सुरंग हादसे में रेस्क्यू कर रही सभी एजेंसियों के साथ हाई पावर कमेटी की बैठक कर रहे हैं। इसमें कई वरिष्ठ आला अधिकारी भी मौजूद हैं। इस बैठक के लिए देहरादून से मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू भी सिलक्यारा पहुंच गए हैं। इसमें रेस्क्यू प्लान को लेकर आगे की रणनीति की जाएगी। सूत्रों के हवाले यह भी पता चला है कि सरकार रेस्क्यू कार्य में आर्मी की मदद ले सकती है। वर्टिकल के साथ ही होरिजेंटल खुदाई का भी बैठक में निर्णय लिया जा सकता है। आरवीएनएल को होरिजेंटल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है और यह 172 मीटर लंबी टनल बनाएगी। बहरहाल अब देखना यह है कि बैठक में क्या निर्णय लिया जाता है। उधर श्रमिकों ने भीतर से संदेश दिया कि वे स्वयं खोद कर बाहर निकलेंगे। श्रमिकों के हौसले बुलंद हैं, लेकिन बाहर आने के लिए उनके मन में छटपटाहट लगातार बढ़ रही है।
सीएम धामी बोले, प्रधानमंत्री प्रतिदिन श्रमिकों का कुशलक्षेम और राहत कार्यों की ले रहे जानकारी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया के अपने एक्स ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। प्रधानमंत्री मोदी प्रतिदिन श्रमिकों का कुशलक्षेम और सुरंग में जारी राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तृत जानकारी ले रहे हैं।

केंद्रीय एजेंसियां, प्रदेश प्रशासन एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीमें सारे विकल्पों पर कार्य कर रही हैं, हम शीघ्र ही श्रमिक भाइयों को सकुशल बाहर निकालने में सफल होंगे।

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