नई दिल्ली। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटी के दौरान बलिदान हुए देश के पहले अग्निवीर गावटे अक्षय लक्ष्मण का अंतिम संस्कार सैन्य रीति-रिवाज के मुताबिक होगा। सेना ने उसकी मृत्यु को युद्ध हताहत के रूप में माना है, इसलिए उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान होगा, जिसमें अनुग्रह राशि, गैर-अंशदायी बीमा, शेष कार्यकाल का वेतन और सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से योगदान शामिल है।
सेना की नई भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ के तहत सशस्त्र बल में शामिल हुए गावटे अक्षय लक्ष्मण पहले अग्निवीर हैं, जिन्होंने ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति दी है। भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास स्थित सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई वाले युद्ध स्थल के रूप में जाना जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। गावटे अक्षय लक्ष्मण सेना में ऑपरेटर के पद पर तैनात थे। उनकी शहादत पर भारतीय सेना ने रविवार को श्रद्धांजलि दी।
सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और फायर एंड फ्यूरी कोर ने भारतीय सेना के सभी रैंक की ओर से सियाचिन की कठिन ऊंचाइयों पर कर्तव्य निभाते हुए अग्निवीर (ऑपरेटर) गावटे अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम किया है। सेना ने कहा कि दुख की इस घड़ी में भारतीय सेना शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है। उनके पार्थिव शरीर को पैतृक स्थान भेजे जाने से पहले फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने सेना के सभी रैंकों की ओर से पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी।
इसके बावजूद सवाल उठ रहे थे कि अग्निवीर गावटे अक्षय लक्ष्मण का अंतिम संस्कार सामान्य विधि से होगा या सैन्य परम्पराओं के मुताबिक, क्योंकि इससे पहले 11 अक्टूबर को पुंछ सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। सेना ने अमृतपाल को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया था, क्योंकि ऐसे मामलों में सैन्य अंत्येष्टि का अधिकार नहीं है। उस समय सेना ने एक बयान में बताया था कि हर साल करीब 140 जवान आत्महत्या या चोटों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं, ऐसी स्थिति में सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता है।
सैन्य सूत्रों ने रविवार शाम पुष्टि की है कि सेना ने अग्निवीर गावटे अक्षय लक्ष्मण की मृत्यु को युद्ध हताहत के रूप में माना है, इसलिए उनका अंतिम संस्कार सैन्य रीति-रिवाज के मुताबिक होगा और सलामी भी दी जाएगी। उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान होगा, जिसमें अनुग्रह राशि, गैर-अंशदायी बीमा, शेष कार्यकाल का वेतन और सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से योगदान शामिल है।
अग्निवीर के निकटतम परिजन को गैर-अंशदायी बीमा के रूप में 48 लाख रुपये, 44 लाख की अनुग्रह राशि, सेवा निधि में अग्निवीर (30%) का योगदान और सरकार के समान योगदान पर ब्याज के साथ राशि का भुगतान होगा। इसके अलावा परिजनों को अग्निवीर की मृत्यु तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल का 13 लाख रुपये से अधिक वेतन मिलेगा। परिजनों को सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष से 8 लाख रुपये का योगदान दिया जायेगा।