अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को संकल्प से सिद्धि तक पहुंचने में तत्कालीन नारों ने महती भूमिका निभाई। आंदोलन के हर चरण में अलग-अलग नारे और अलग-अलग जयघोष थे। ”जय श्रीराम” राम मंदिर आंदोलन के हर चरण का नारा था।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री अंबरीश ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि ‘बच्चा-बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का’ नारे ने जन-जन को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ने का काम किया। आंदोलन के प्रारंभिक काल में ‘सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर भव्य बनाएंगे’ यह नारा खूब लोकप्रिय हुआ।
कुछ चर्चित नारे
समता ममता के उद्गाता, राम से है हम सबका नाता
राम ने उत्तर-दक्षिण जोड़ा, भेदभाव का बंधन तोड़ा
बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का
सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे
सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर भव्य बनाएंगे
जहां राम ने जन्म लिया है, मंदिर वहीं बनाएंगे
जन्मभूमि है रामलला की, बाबर की जागीर नहीं, तेल लगाओ डाबर का, नाम मिटाओ बाबर का
जिस हिन्दू का खून न खौला, खून नहीं वह पानी है, जन्मभूमि के काम न आवे, वह बेकार जवानी है
जिस हिन्दू की भुजा न फड़की, खून न खौला सीने का, भारत मां का लाल न होगा, होगा किसी कमीने का
हम हिन्दू हैं साठ करोड़, ताला देंगे तोड़-मरोड़
जो बाबर का नाम लिया तो, जीभ खींच ली जाएगी
आज ताले में बंद पड़े राम, अयोध्या सूनी पड़ी, हम सुविधा के बने हैं गुलाम, अयोध्या सूनी पड़ी
आगे बढ़ो जोर से बोलो, जन्मभूमि का ताला तोड़ो
जय श्रीराम।