City Headlines

Home » सनातन विद्या से संभव है ‘साइबर सुरक्षा’

सनातन विद्या से संभव है ‘साइबर सुरक्षा’

by City Headline
Sanatan Vidya, Cyber ​​Security, Government, Private, Personal, Police Administration, Ancient Indian Knowledge, Cyber ​​Thugs

लखनऊ। वर्तमान में साइबर सुरक्षा सरकारी, प्राइवेट, व्यक्तिगत तथा पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसका स्थायी समाधान ढूंढ़ना कठिन है लेकिन हजारों वर्ष पुरानी हमारी प्राचीन भारतीय विद्या में इसका समाधान है। जी हाँ, शास्त्रों में एक ऐसी भी विद्या है, जिससे आप अपने पिन नम्बर को सुरक्षित और गोपनीय रख सकते हैं। शास्त्रों में उस विद्या का नाम ‘कटपयादी संख्या विद्या’ है। उक्त दावा संस्कृत के जानकार गौरव नायक ने किया है।

उन्होंने बताया कि हम में से बहुत से लोग अपना पासवर्ड या एटीएम का पिन कोड भूल जाते हैं। इस कारण हम उसे कहीं पर लिख कर रखते हैं पर अगर वो कागज का टुकड़ा किसी के हाथ लग जाए या खो जाए तो परेशानी हो जाती, पर अपने पासवर्ड या पिन नम्बर को हम लोग ‘कटपयादि संख्या’ से आसानी से याद रख सकते हैं।

उन्होंने बताया कि हमारे यहां ‘कटपयादि'( क ट प य आदि) संख्याओं को शब्द या श्लोक के रूप में आसानी से याद रखने की प्राचीन भारतीय पद्धति है। चूंकि भारत में वैज्ञानिक, तकनीकी, खगोलीय ग्रंथ पद्य रूप में लिखे जाते थे। इसलिये संख्याओं को शब्दों के रूप में अभिव्यक्त करने हेतु भारतीय चिन्तकों ने इसका समाधान ‘कटपयादि’ के रूप में निकाला है। गौरव नायक ने बताया कि कटपयादि प्रणाली के उपयोग का सबसे पुराना उपलब्ध प्रमाण, 869 ई.पू. में ‘शंकरनारायण’ द्वारा लिखित ‘लघुभास्कर्य’ विवरण में मिलता है तथा ‘शंकरवर्मन’ द्वारा रचित ‘सद्रत्नमाला’ का निम्नलिखित श्लोक इस पद्धति को स्पष्ट करता है।
इसका शास्त्रीय प्रमाण
नज्ञावचश्च शून्यानि संख्या: कटपयादय:।
मिश्रे तूपान्त्यहल् संख्या न च चिन्त्यो हलस्वर:।।
इस श्लोक में न, ञ तथा अ शून्य को निरूपित करते हैं। (स्वरों का मान शून्य है) शेष नौ अंक क, ट, प और य से आरम्भ होने वाले व्यंजन वर्णों द्वारा निरूपित होते हैं। किसी संयुक्त व्यंजन में केवल बाद वाला व्यंजन ही लिया जायेगा। बिना स्वर का व्यंजन छोड़ दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि आधुनिक काल में इसकी उपयोगिता क्या है और कैसे की जाए ? कटपयादि – अक्षरों के द्वारा संख्या को बताकर संक्षेपीकरण करने का एक शास्त्रोक्त विधि है। हर संख्या का प्रतिनिधित्व कुछ अक्षर करते हैं जैसे-
1 – क, ट, प, य
2 – ख, ठ, फ, र
3 – ग, ड, ब, ल
4 – घ, ढ, भ, व
5 – ङ, ण, म, श
6 – च, त, ष
7 – छ, थ, स
8 – ज, द, ह
9 – झ, ध
0-ञ, न, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ
उन्होंने बताया कि हमारे आचार्यों ने संस्कृत के अर्थवत् वाक्यों में इनका प्रयोग किया है। जैसे गौः=3, श्रीः=2 इत्यादि। इसके लिए बीच में विद्यमान मात्रा को छोड़ देते हैं। स्वर अक्षर यदि शब्द के आदि शुरूआत में हो तो ग्राह्य (acceptable) है, अन्यथा अग्राह्य (unacceptable) होता है।
उन्होंने बताया कि जैसे मेरा एटीएम पिन नम्बर 0278 है, पर कभी-कभी संख्या को याद रखते हुए ए.टी.एम में जाकर हम कन्फयूज हो जाते हैं कि 0728 था कि 0278? यह भी अक्सर बहुत लोगों के साथ होता है, ये इनसे बचने के उपाय हैं।
उन्होंने बताया कि ए.टी.एम. पिन के लिए कोई भी चार अक्षर वाले संस्कृत शब्द को उस के कटपयादि में परिवर्तन करें। उस शब्द को सिर्फ अपने ही मन में रखें, किसी को न बताएं। जैसे- इभस्तुत्यः-0461, गणपतिः-3516, गजेशानः-3850, नरसिंहः-0278, जनार्दनः-8080, सुध्युपास्यः-7111, शकुन्तलार-5163, सीतारामः-7625 इत्यादि अपने से किसी भी शब्द को चुन लें। ऐसे किसी भी शब्द को याद रखें और तत्काल ‘कटपयादि संख्या’ में परिवर्तन करके अपना ए.टी.एम.आदि में प्रयोग करें।
उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम से बचने के लिए अगर इस सूत्र का उपयोग करें तो बड़े आसानी से साइबर ठगों से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि साइबर सुरक्षा कंप्यूटर, सर्वर, मोबाइल डिवाइस, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, नेटवर्क और डेटा को दुर्भावनापूर्ण हमलों से बचाने का अभ्यास है। इसे सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा या इलेक्ट्रॉनिक सूचना सुरक्षा के रूप में भी जाना जाता है।

Subscribe News Letter

Copyright © 2022 City Headlines.  All rights reserved.