City Headlines

Home Career भर्तियों के मामले में सटीक योग्यता का विवरण दे यूपीपीएससी : इलाहाबाद हाईकोर्ट

भर्तियों के मामले में सटीक योग्यता का विवरण दे यूपीपीएससी : इलाहाबाद हाईकोर्ट

by City Headline
Recruitments, Exact Qualification, UPPSC, Allahabad High Court, Prayagraj, Uttar Pradesh Public Service Commission

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्तियों के मामले में गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि भर्तियों के मामले में आयोग को विशिष्ट होना चाहिए और इस संबंध में आवश्यक सटीक योग्यता का स्पष्ट विवरण देना चाहिए। कोर्ट ने अपने आदेश में इस संबंध में उचित कार्रवाई करने को भी कहा है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने विरेंद्र कुमार शुक्ला की याचिका को खारिज करते हुए की।

मामले में आयोग ने प्रवक्ता पद पर भर्ती के लिए जून 2021 में विज्ञापन निकाला था। याची ने रसायन विज्ञान विषय से प्रवक्ता पद के लिए आवेदन किया और वह प्रारंभिक परीक्षा में क्वालिफाई कर गया। इसके बाद मुख्य परीक्षा में शामिल हुआ लेकिन उसका परिणाम नहीं आया। इस पर याची ने पत्र व्यवहार कर जानकारी मांगी। इसके बावजूद परिणाम सामने नहीं आया। इस पर याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने आयोग को चयनित न होने वाले याची सहित अन्य 11 अभ्यर्थियों को नए सिरे जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया।

इस पर आयोग की ओर से जानकारी दी गई कि वह चयन योग्य नहीं है। याची ने आयोग के परिणाम को चुनौती दी। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया है कि याची का चयन न करना सही नहीं है। आयोग ने गलती की है। उसका यह निर्णय गलत धारणा पर है। याची फार्मास्युटिकल रसायन से परास्नातक है। जबकि, आयोग के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। कहा कि चयन के लिए शैक्षिक योग्यता एक आवश्यक प्रावधान है। अभ्यर्थी के पास रसायन विज्ञान प्रवक्ता पद के लिए इस विषय में प्रासंगिक डिग्री होनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि यह प्रश्न कि क्या याची का स्ट्रीम मुख्य विषय से संबंधित है या नहीं। यह आयोग द्वारा ही निर्धारित किया जाना है। हालांकि, याची के वकीलों का कहना है कि याची फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री में परास्नातक है, जो रसायन विज्ञान विषय का हिस्सा है लेकिन रसायन विज्ञान विषय की विभिन्न उपधाराओं को देखते हुए यह न्यायालय याचिका में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। शैक्षिक योग्यता तय करने का अधिकार विशेषज्ञों के पास है। अगर किसी तरह की दुर्भावना का आरोप न हो तो अदालतों को शैक्षणिक मामलों में हस्तक्षेप करने में अपनी अनिच्छा दिखानी चाहिए। अदालतें सुपर विशेषज्ञों की कुर्सी को सुशोभित नहीं कर सकतीं। इस मामले को विशेषज्ञों के लिए छोड़ देना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने अधिवक्ताओं के तर्कों को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की है कि आयोग को अपनी भर्तियों के लिए विशिष्ट होना चाहिए और आवश्यक सटीक योग्यता का स्पष्ट विवरण देना चाहिए, जिससे कि अभ्यर्थियों में किसी तरह की दुविधा की स्थिति न बने।