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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास दोपहर 2 बजे जारी करेंगे बयान, रेपो रेट में बढ़ोतरी के दे सकते हैं संकेत

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भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) बुधवार यानी 4 मई 2022 को दोपहर 2 बजे बयान जारी करेंगे. बयान के कंटेट पर कोई जानकारी नहीं है.रिजर्व बैंक ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है. आरबीआई गवर्नर का यह बयान ऐसे समय में आ रहा है जब मुद्रास्फीति बढ़ गई है और आरबीआई के लक्ष्य 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शक्तिकांत दास रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकते हैं. RBI बयान से पहले बॉन्ड कीमतों में तेजी आई है. 10 साल की बॉन्ड यील्ड 7.11 फीसदी से बढ़कर 7.2 फीसदी हो गई.

आपको बता दें कि पिछली बार मार्च 2020 में आरबीआई गवर्नर ने अचानक बयान जारी किया था. उस समय रेपो रेट में 90 बेसिस प्वाइंट की कटौती का ऐलान हुआ था.

गवर्नर का यह बयान अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के नतीजे से पहले आया है क्योंकि इससे देश में रिकॉर्ड मुद्रास्फीति को दूर करने के लिए दर में बढ़ोतरी की संभावना है.

रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार

RBI गवर्नर ने अप्रैल में मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. रेपो रेट फिलहाल 4 फीसदी पर रबकरार है.

आरबीआई ने पिछले महीने मॉनिटी पॉलिसी बैठक में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई का आउटलुक बढ़ाकर 5.7 फीसदी कर दिया था और इकोनॉमिक ग्रोथ 7.2 फीसदी तक सीमित कर दिया था.

डॉलर इंडेक्स के मजबूत होने से भी चिंता बढ़ी है क्योंकि कमजोर घरेलू मुद्रा ऐसे समय में उच्च आयातित मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ सकती है, वो भी ऐसे समय में जब आपूर्ति की कमी पहले से ही अर्थव्यवस्था पर दबाव बनी हुई है.

इकोनॉमिस्ट पहले ही अनुमान लगा चुके है कि आरबीआई जून पॉलिसी में अपने रूख को न्यूट्रल से अकोमोडेटिव में बदल सकता है. महंगाई को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर सकता है.

मार्च में 17 महीने के हाई पर महंगाई

खाने की चीजें और मैन्युक्चरिंग गुड्स की कीमतों में बढ़ोतरी से देश में खुदरा महंगाई मार्च में 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई. वहीं मार्च 2022 में थोक महंगाई दर बढ़कर 14.55 फीसदी रही है. महंगाई पिछले तीन महीने से बेलगाम है और तीसरी बार रिजर्व बैंक के लक्ष्मण रेखा को पार किया.

रूस और यूक्रेन में जंग की वजह से बढे़ जियोपॉलिटिकल टेंशन ने दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए इंफ्लेशन को आउटलुक को धूमिल कर दिया है. खाद्य पदार्थों और ईंधन की ऊंची कीमतों ने RBI को चालू वित्त वर्ष के लिए अपना मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 4.5 फीसदी बढ़ाकर 5.7 फीसदी करने के लिए मजबूर किया है.

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