- कहा – उस समय इसी तरह के पत्र लिखने का चलन था
- महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरु पर लगाया देश के बंटवारे का आरोप
मुंबई । वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनके दादाजी पर बेबुनियाद और तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। रंजीत सावरकर ने कहा कि इसी तरह के पत्र उस समय महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरु ने भी लिखे थे। रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरु पर देश के बंटवारे का भी आरोप लगाया है।
रंजीत सावरकर ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि सावरकर की चिट्ठी की आखिरी पंक्तियों को राहुल गांधी दिखाया जबकि मूलरूप से उस समय लिखने का तरीका यही था। उनके दादा और महात्मा गांधी ने भी यही लिखा था, इसका क्या अर्थ है। इतना ही नहीं, जवाहरलाल नेहरू अपनी पत्नी एडविना माउंटबेटन के साथ तत्कालीन वायसराय माउंटबेटन के साथ शिमला गए और फिर देश की आजादी के सिलसिले में विभाजन को मंजूरी दी। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या यह देशद्रोह नहीं था। रंजीत सावरकर ने एडविना माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू के बीच संबंधों के बारे में माउंटबेटन की बेटी पामेला द्वारा लिखी गई एक पुस्तक का भी उल्लेख किया। सावरकर ने इस मौके पर यह भी कहा कि भारत को मांग करनी चाहिए कि एडविना माउंटबेटन के पत्राचार को सार्वजनिक किया जाए।
उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू हर रात एडविना माउंटबेटन को पत्र लिखकर दिन की घटनाओं और फैसलों के बारे में बताते थे कि क्या यह देशद्रोह नहीं है, राहुल गांधी को भी इसके बारे में पता होना चाहिए। इतना ही नहीं राहुल गांधी को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि नेहरू ने माउंटबेटन को पत्र के जरिए 1952 तक फैसले लेने के लिए कहा था। उन्होंने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को पेंशन दी जा रही थी, उन्होंने कहा कि यह निर्वाह भत्ता था और यह बहुत कम था, उन्होंने कुछ सरकारी आंकड़े भी प्रस्तुत किए। गांधी, नेहरू आदि को भी इस तरह का भत्ता बड़े पैमाने पर मिल रहा था।
रंजीत सावरकर ने यह भी बताया कि सावरकर द्वारा किया गया कार्य सैन्य भर्ती के संबंध में कितना महत्वपूर्ण था और उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिए गए बयान को भी प्रस्तुत किया कि सावरकर द्वारा किया गया कार्य आजाद हिंद सेना में कितना उपयोगी था।
रंजीत सावरकर ने सबूत के तौर पर राहुल गांधी के आरोपों के संबंध में अपने सभी उत्तरों के दस्तावेजी संदर्भ भी प्रस्तुत किए। उनके द्वारा दिए गए इन संदर्भों में गांधी का औपनिवेशिक सचिव को पत्र, अंडमान में दंड निपटान, जलियानवाला बाग के संबंध में गांधी का बयान, नाभा जेल में जवाहरलाल नेहरू, सावरकर का निर्वाह भत्ता शामिल हैं।