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Power Crisis: बिजली संकट पर वीरप्पा मोइली ने केंद्र सरकार को घेरा, कहा- सबसे निचले स्तर पर मंत्रालयों के बीच कॉर्डिनेशन

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देश के विभिन्न राज्यों में बिजली की कमी की खबरों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली (Veerappa Moily) ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि बिजली, कोयला और रेल मंत्रालयों के बीच समन्वय अपने सबसे निचले स्तर पर है तथा इसके चलते आम आदमी को परेशानी हो रही है. बिजली की कमी (Power Crisis) पिछले हफ्ते सोमवार को 5.24 गीगावॉट से तेजी से बढ़कर बृहस्पतिवार को 10.77 गीगावॉट हो गई. मोइली ने एक बयान में कहा कि कोयले की कमी (Coal Shortage) का सबसे बड़ा कारण पिछले कुछ सालों में बिजली की बढ़ती मांग है.

उन्होंने कहा कि राज्यों ने वैश्विक कोयले की कीमतों में तीव्र वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है, जो आयातित कोयले का उपयोग करने वाले संयंत्रों को प्रभावित कर रहा. साथ ही राज्यों ने रेलवे रेक की कमी को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि राज्यों ने एक ओर जहां बिजली संकट के लिए कोयले की कम आपूर्ति को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं दूसरी ओर केंद्र ने विपक्षी दलों के शासन वाले महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों को कोल इंडिया और भारतीय रेलवे को बकाया भुगतान करने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया है, जो खदानों से कोयले की बिजली स्टेशनों तक आपूर्ति के लिए रेक प्रदान करता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि बिजली कंपनियों ने मानसून आने से पहले कोयले का भंडारण नहीं किया तो सितंबर-अक्टूबर में स्थिति और खराब हो सकती है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा जैसे कोयला भंडार से समृद्ध राज्यों ने आरोप लगाया है कि उन्हें आर्थिक रूप से वंचित किया गया है क्योंकि राजग सरकार ने पुराने कानूनों में संशोधन किया है, जो राज्यों को कोयले पर रॉयल्टी का अधिकार देते हैं. उन्होंने कहा कि पैसा केंद्र को जाता है.

CIL ने बढ़ाई कोयले की आपूर्ति

सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कहा कि उसने पिछले महीने बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति 15.6 प्रतिशत बढ़ाकर 4.97 करोड़ टन कर दी. कंपनी ने कहा कि बिजली संयंत्रों में कोयले की बढ़ती मांग के कारण ऐसा किया गया और आगे आपूर्ति बढ़ाने के उपाए किए जा रहे हैं. सीआईएल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश के कई हिस्से बिजली संकट से जूझ रहे हैं. कंपनी ने कहा, ‘बिजली उत्पादन के लिए कोयले की लगातार बढ़ती मांग के बीच सीआईएल ने अप्रैल 2022 में देश के बिजली संयंत्रों को अपनी आपूर्ति को बढ़ाकर 4.97 करोड़ टन कर दी. यह आंकड़ा अप्रैल 2021 के मुकाबले 67 लाख टन अधिक है.’

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