गाजियाबाद। सहकारी आवास समितियों ने उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद को चेतावनी दी है क़ि यदि समायोजन शुल्क जल्द वापस नहीं लिया गया तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जायेगा। 12 सहकारी आवास समितियों ने मिलकर गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आवास समितियों ने परिषद के सामने कुछ मांग रखी है। जिनमें समितियों पर रोपित समायोजन शुल्क निरस्त करने संबंधी कई मांगे रखी।
बेवजह जीएसटी के साथ समायोजन शुल्क अन्यायपूर्ण
आवास समिति के सचिव जगबीर चौधरी का कहना है कि समितियों पर बेवजह जीएसटी के साथ समायोजन शुल्क लगाया जा रहा है। यह किसी भी प्रकार न्याय संगत नहीं है। जगबीर चौधरी ने आगे बताया कि वर्ष 1998 के शासनादेश में 60 प्रतिशत विकास भूमि देने की व्यवस्था थी जो वर्ष 2002 के शासनादेश के अनुसार 2.3 से कम होकर 50 प्रतिशत विकसित भूमि रह गई। शासनादेश 2002 के अनुसार समिति को या तो 50 प्रतिशत विकसित भूमि अथवा 80 प्रतिशत अविकसित भूमि प्रस्तर 3.2 के अनुसार दी जानी चाहिए थी लेकिन परिषद द्वारा शासनादेश की पूर्ण अवहेलना करते हुए समितियों को 50 प्रतिशत अविकसित भूमि इस शर्त पर उपलब्ध कराई गई कि समिति से सिर्फ बाह्य विकास शुल्क वसूल किया जायेगा।
परिषद के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी
शताब्दी सहकारी समिति के सचिव प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि समिति को 50 प्रतिशत अविकसित भूमि पर 1.5 गुना विकास शुल्क तथा 10+2 लीज रेंट के भुगतान के पश्चात किसी तरह बहुमंजिले भवन का रास्ता बना था। लेकिन भूखंड पर समायोजन शुल्क तथा जीएसटी लगाकर परिषद ने समितियों का यह रास्ता भी बंद कर दिया है। ज्ञापन सौंपने के दौरान समायोजन शुल्क को लेकर सभी समिति सदस्य बहुत आक्रोश में थे। प्रदीप शर्मा ने बताया कि यदि दो सप्ताह के अंदर समायोजन शुल्क वापस नहीं लिया जाता है तो सभी समितियों के सदस्य उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के विरुद्ध आंदोलन करेंगे