लखनऊ। जनपद मथुरा में वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक निजी आईटीआई शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले की शिकायत प्राप्त होने पर निदेशालय स्तर से गठित जांच समिति ने जाच की।
जांच टीम ने शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रवृत्ति के मास्टर डाटाबेस में भरे गये डाटा को लिया एवं नेशनल काउन्सिल फाॅर वोकेशनल ट्रेनिंग, नई दिल्ली में जाकर मास्टर डाटा में दर्ज सभी 195 शिक्षण संस्थानों के मान्यता की प्रतियां प्राप्त कीं। सभी संस्थानों को पाठ्यक्रमवार स्वीकृत सीटों का भी परीक्षण किया गया।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि जांच में वित्तीय अनियमितता पायी गयी। जांच समिति ने डुप्लीकेट छात्रों, परीक्षा में न बैठने वाले छात्रों, स्वीकृत सीट से अधिक संख्या में छात्रों तथा मान्यता विहीन शिक्षण संस्थानों को चिन्हित करते हुये परीक्षण के उपरान्त 22.99 करोड़ रुपये की धनराशि के घोटाले को उजागर किया।
छात्रवृत्ति घोटाले में प्रथम दृष्टया दोषी पाये 71 निजी आईटीआई शिक्षण संस्थानों तथा विभाग के उत्तरदायी जिला समाज कल्याण अधिकारियों व कर्मचारियों को निलम्बित करके इनके विरुद्ध सदर थाना मथुरा में एफआईआर दर्ज करायी गयी है। वर्तमान में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा, कानपुर नगर द्वारा की जा रही है।
जनपद मथुरा के ही 13 अन्य शिक्षण संस्थानों ने निदेशालय के कूटरचित अभिलेख तैयार करके उच्च न्यायालय में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उददेश्य से रिट याचिका योजित की गयी थी। जांच में यह सभी 13 शिक्षण संस्थान दोषी पाये जाने पर इनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी है।
समाज कल्याण की अध्यक्षता में गठित समिति ने सुनवाई के उपरांत 30 मई 2023 को 45 निजी आईटीआई शिक्षण व 13 कूटरचित अभिलेख प्रयोग करने वाले शिक्षण संस्थानों कुल 58 शिक्षण संस्थाओं को काली सूची में दर्ज किया गया है। इसके अलावा सम्बन्धित संस्थाओं से धनराशि वसूली की कार्रवाई की जायेगी।