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पहाड़ ब्लास्टिंग के दौरान दो मजदूरों की मौत

परिजनों और ग्रामीणों का आरोप होल व ब्लास्टिंग कार्यों में नहीं किया जाता मानकों का पालन, सुरक्षा उपायों की भी अनदेखी 

by City Headline
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कबरई (महोबा) । कबरई थाना क्षेत्र के गंज गांव में पत्थर पहाड़ में काम करते समय दो मजदूर हादसे का शिकार हो गए। जिनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना से सभी मजदूर दहशत में आ गये।
जानकारी के अनुसार महोबा जिले का मुख्य व्यवसाय पत्थर उद्योग है, जिसमें सैकड़ों मजदूर दिन-रात काम कर अपनी जान जोखिम में रखते हुए जीवन यापन करते हैं। कबरई में सीतापुर क्रेशर को पट्टे पर लिए हुए विवेक वर्मा, भगवान सिंह, कोमल सिंह आदि के सीतापुर क्रेशर में हैवी ब्लास्टिंग के दौरान घटित हादसे से दो लोगों की सुबह 6:30 बजे पहाड़ पर काम करते वक्त भारी पत्थर गिरने से दबकर मौत हो गई।
सुबह घटित हुई घटना की जानकारी के बावजूद 3 घंटे तक संबंधित थाना क्षेत्र पुलिस मौके पर नहीं पहुंच सकी। मामले को लेकर परिजनों के साथ ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद डीएम मनोज कुमार, एसपी सुधा सिंह, एडीएम, एसडीएम जितेंद्र कुमार, खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह, सी ओ रामप्रवेश राय एवं कबरई थाना प्रभारी विनोद कुमार प्रजापति के द्वारा मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों और परिजनों को समझा बुझाकर शव का पंचनामा भरकर पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया गया।
जिलाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि हादसे से संबंधित जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व को सौंप दी गई है। जांच के आधार पर घटना की वजहों और घटना की पुनरावृत्ति रोकने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा परिजनों की तहरीर के आधार पर यथासंभव और योजनानुसार मदद करते हुए मामले में कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
वहीं मृतकों के परिजनों की मानें तो क्रेशर संचालकों की लापरवाही के चलते बिना मानकों के होल और ब्लास्टिंग कार्यों में आए दिन क्रेशर मंडी के पहाड़ों पर लोगों की जान चली जाती है। इसके बावजूद न तो क्रेशर मालिकों और न ही जिला प्रशासन के द्वारा मानकों के विपरीत सुरक्षा उपकरणों के बिना ही कार्य कराए जाते हैं। जिससे लोगों की जानें चली जाती हैं। ऐसी ही घटना का शिकार गंज निवासी मधु पुत्र गया अनुरागी जिसकी पत्नी सुनीता 2 लड़के और 1 लड़की है। दूसरे मृतक छंगा पुत्र महेंद्र अहिरवार पत्नी कुसमा 1 बेटी है। जिनका पालन पोषण का जरिया केवल पहाड़ पर मजदूरी करना था। फिलहाल एक बार फिर पत्थर मंडी मजदूरों की कब्रगाह साबित हुई है।
इन मजदूरों की सुरक्षा, बेहतर भविष्य के लिये न तो कोई सरकारी नियमावली न कोई योजना मूर्त रूप में काम करती हुई दिखायी देती है। जब भी कोई हादसा होता है, मैनेजमेंट माफियाओं के द्वारा मजदूरों की जान की क़ीमत लगाकर मामलों को रफा-दफा करने की कोशिशें शुरू कर दी जाती हैं।