लखनऊ । लखनऊ के मशहूर रंगकर्मी जीतेंद्र मित्तल अब नहीं रहे। रविवार को देर रात उन्होंने अंतिम सांसें ली। सोमवार को शहर के भैसाकुंड में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर मौजूद रंगकर्मियों ने उन्हें अश्रुपूरित नेत्रों से अंतिम विदाई दी। अपनी संस्था यावावर रंगमण्डल से स्व. मित्तल ने कई प्रस्तुतियां दी हैं, जिसमें ‘सेन्चुरी बुड्ढा’ उनका बड़ा प्रसिद्ध नाटक था, जिसके वह सौ शो करना चाहते थे।
जीतेंद्र मित्तल के निधन की खबर से शहर के थियेटर कलाकारों में शोक की लहर है। वह काफी समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें कैंसर था। उनके अंतिम संस्कार के समय लखनऊ के वरिष्ठ रंगकर्मी सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, डॉ. अनिल रस्तोगी, मृदृला भारद्वाज, मो. हफीज, ललित सिंह पोखरिया सहित अन्य वरिष्ठ व युवा रंगकर्मी उपस्थित थे। सभी ने रंगमंच की दुनिया में योगदान को याद किया। उनके बाल रंगमंच के योगदान को भी याद किया गया। 80 के दशक से वह रंगमच की दुनिया में सक्रीय थे। उनके नाटकों के शो बराबर होते रहे।
युवा रंगकमी महेश चंद्र देवा ने बताया कि नाटक ‘सेंचुरी बुड्ढा’ के 89 शो हुए थे। अभी हाल ही में लखनऊ इप्टा की ओर से उन्हें आमंत्रित किया गया था। महेश ने बताया कि हमने रंगमंच की शुरूआत उन्हीं संस्था यायावर से कीप्ट बैंक की शुरूआत की थी। थी। बताया कि लोगों के पास नाटक की स्क्रिप्ट की कमी होती है, इसी के चलते स्व. मित्तल ने रवीन्द्रालय में स्क्रि
रंगकर्मी स्व. मित्तल के करीबी रहे और नाटकों में सहयोग प्रदान करने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी मो. हफीज ने बताया कि उन्हें कई नाटक लिखे भी और दूसरों के मंचित भी किए। श्री हफीज ने बताया कि उनके लिखे नाटक मंत्रीमंडल, दो ठग, कहानी नई पुरानी सहित अन्य प्रसिद्ध नाटक थे। इस शहर में बाल रंगमंच को शुरू करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
लखनऊ के मशहूर रंगकर्मी जीतेंद्र मित्तल का निधन
उनका शहर के बाल रंगमंच व स्क्रिप्ट बैंक को शुरू करने में था महत्वपूर्ण योगदान
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