इला भटनागर
नई दिल्ली/गुरुग्राम। पिछले लंबे समय से लगातार युवाओं और फिट सेलेब्रिटीज़ में हृदय रोग की ख़बरें व्यापक स्तर पर देखने को मिलीं हैं। इससे बहुत से लोगों में फिटनेस संबंधी दृष्टिकोण में बदलाव देखने को मिला। इसके बाद फिट होने की कोशिशों और जिम आदि जाने की आदतों को हतोत्साहित किया जा रहा है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है। हालाँकि युवाओं और प्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ दिखने वाले लोगों में हृदय रोग की ख़बरें निश्चित रूप से चिंताजनक हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि स्वस्थ जीवनशैली को ही ग़लत मान लिया जाए।
आज के दौर में स्वस्थ जीवनशैली की परिभाषा को दुरुस्त करने की ज़रूरत है, क्योंकि किसी फिट दिख रहे व्यक्ति को कोई गंभीर रोग हो जाए तो उसमें केवल नियमित व्यायाम ही नहीं बल्कि अनुवांशिक, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, नींद का चक्र आदि कारक भी शामिल हैं। इसके अलावा पहले से हृदय रोग से जूझ रहे लोगों पर अतिरिक्त सावधानियां लागू होतीं हैं। आइये, इस सन्दर्भ में
सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर एंड एचओडी डॉक्टर डीके झाम्ब से जानते हैं।
डॉक्टर डीके झांब बताते हैं कि नियमित व्यायाम हृदय के बेहतर स्वास्थ्य के लिए निश्चित रूप से ज़रूरी है, लेकिन पहले से हृदय रोग से जूझ रहे लोगों के लिए यह नियम पूरी तरह से लागू नहीं होता। क्योंकि जहां अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि से कुछ हृदय रोगियों के हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जो रोगी के लिए घातक हो सकता है।वहीं बहुत से हृदय रोगियों के लिए कुछ शारीरिक गतिविधियाँ ज़रूरी बताई जातीं हैं, जो हृदय के उचित संचालन में मदद करतीं हैं। ऐसे में रोग की गंभीरता के अनुसार मरीज़ को शारीरिक गतिविधियों की सलाह दी जाती है। इस संदर्भ निम्नलिखित बातें याद रखें।
• वे हृदय रोगी जिन्हें सांस से संबंधित समस्या भी हो, उन्हें ब्रीदिंग एक्सरसाइज या तेज़ दौड़ने और लगातार सीढ़ियाँ चढ़ने से परहेज़ करना चाहिए।
• यदि हाल ही में आपका हृदय का कोई प्रोसीजर या हृदय से संबंधित इलाज अस्पताल में हुआ है, तो प्रतिदिन 20 से 30 मिनट हल्की वॉक करनी चाहिए, यदि किसी किसी प्रकार की समस्या महसूस न हो तो इसकी गति व समय अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
• इसके अलावा व्यायाम करते वक़्त (220- रोगी की उम्र) का 75% से ऊपर रोगी का टीएचआर नहीं जाना चाहिये, यदि जा रहा है तो संबंधित डॉक्टर से सलाह लें।
• इसके अलावा हृदय रोगी दिन में 20 से 30 मिनट साइकिलिंग, जॉगिंग, स्ट्रेचिंग आदि कर सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह उनके संबंधित डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।