मथुरा । गोवर्धन पूजा के लिए अंतरराष्ट्रीय गौड़ीय वेदांत समिति के तत्वावधान में बुधवार को गिरधारी गौड़ीय मठ से हर बार की तरह गोवर्धन पूजा शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में कई देशों से आये विदेशी भक्त अपना गुरू भक्ति में नाम बदलकर ब्रज के रंग में रंगे नजर आये। विशुद्ध भारतीय वेशभूषा में सभी कृष्ण भक्त एक ही रंग में रंगे नजर आए। गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा देरशाम तक जारी रही।
कान्हा की नगरी गोवर्धन में आज मृदंग, ढोल, मझीरा और थाप की धुन के बीच मुख से निकलते हरि बोल के स्वर, कोई विदेशी महिला राधा तो कोई विसाखा। लिबास भी भारतीय परिधान पहने, सिर पर दही की मटकी और भोग की छबरी। प्रभु की भक्ति में कदम भी रोके नहीं रुक रहे थे। ऐसा नजारा देख बस यही लग रहा था कि एक बार फिर से गोवर्धन में द्वापर युग अवतरित हो गया है। ब्रज की पारंपरिक गोवर्धन पूजा के भाव में गो-संवर्धन के प्रमुख केन्द्र गिरिराज महाराज की तलहटी में बुधवार जहां लाखों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर गोवर्धन की परिक्रमा लगाई। वहीं गिरिराज जी की पूजा का उद्गम स्थल गिरिराज पर्वत अनूठा नजर आया।
गिरधारी गौड़ीय मठ से निकाली गई शोभायात्रा हरिगोकुल मंदिर से परिक्रमा मार्ग के राजा जी के मंदिर के पीछे गिरिराज जी की तलहटी में पहुंची। जहां गिरिराज जी का कई मन दूध, दही, शहद आदि के साथ अभिषेक किया। तरह-तरह के व्यंजन गिरिराज जी को अर्पित किये। इस अवसर पर भक्ति वेदांत माधव महाराज, भक्ति वेदांत वन महाराज, स्वामी नारायण दास बाबा, भक्ति वेदांत नरसिंह महाराज, स्वामी श्रीधर महाराज, प्रद्युम्न महाराज, सिद्धांती महाराज, रामचंद्र प्रभु, परमहंस महाराज आदि के निर्देशन में पूजा की गई।
अभिषेक के बाद श्रीकृष्ण के रूप में दर्शन
गोवर्धन पूजा महोत्सव के बाद मंदिरों में विराजमान गिरिराज जी महाराज ने श्रीकृष्ण के रूप में दर्शन दिये। गिरिराज जी के फूल बंगला दर्शनों के साथ आरती उतारी गई। प्रभु के समक्ष छप्पन प्रकार के व्यंजन परोसे गये। गिरिराज प्रभु की अद्भुत झांकी देखने लायक थी