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ज्ञानवापी सर्वे के लिए एएसआई टीम को 56 दिन का समय और मिला

35 वें दिन मसाजिद कमेटी ने एएसआईसर्वे का विरोध किया, सर्वे टीम को परिसर में जाने से रोका था

by Rashmi Singh

वाराणसी। जिला कोर्ट में ज्ञानवापी सर्वे को लेकर आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने एएसआई टीम को 56 दिन और सर्वे करने का आदेश दिया है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने 35वें दिन एएसआई टीम को परिसर में जाने से रोका था। अंजुमन कमेटी ने कोर्ट के आदेश के बाद ही टीम को सर्वे के लिए अंदर जाने की बात कही थी। वहीं, गुरुवार को भी सर्वे शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने विरोध जताया था, जिसके चलते सर्वे रोका गया था।
“कोर्ट के फैसले के बाद ही टीम को अंदर जाने देंगे”
कमेटी का कहना था कि कोर्ट के आदेश आने के बाद ही सर्वे की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। अधिकारियों ने एएसआई की टीम और मसाजिद कमेटी के पदाधिकारियों से बात की, लेकिन सहमति नहीं बन सकी थी।
मसाजिद कमेटी का कहना है कि जिला जज की अदालत ने सर्वे और उसकी रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 सितंबर तक की इजाजत दी थी। सर्वे रिपोर्ट नहीं जमा की गई और जिला जज की अदालत ने 8 सप्ताह का समय और मांगा गया। आज सुनवाई के बाद ही फैसले के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए टीम को प्रवेश करने देंगे। एएसआई की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में ही मौजूद है।
7 सितंबर को भी किया था विरोध
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी तीन सितंबर से लगातार अपना विरोध दर्ज करा रही है। एएसआई की टीम से चार तारीख पर सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष ने सर्वे नहीं करने की अपील की थी, लेकिन सर्वे जारी रहा। 7 सितंबर गुरुवार को मसाजिद कमेटी के विरोध के बीच एएसआई की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वे नहीं कर सकी।
समय बढ़ाने की याचिका पर हुई सुनवाई
जिलाधिकारी एस राजलिंगम और अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) ने एस चनप्पा मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने समझाने का प्रयास किया लेकिन दोनों पक्षों की सहमति नहीं बनी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 4 अगस्त से लगातार ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का साइंटिफिक सर्वे का काम चल रहा है। बेंगलुरु से आई टीम ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार सर्वे भी किया है। इस बीच परिसर में कई जगहों का चिह्नांकन किया गया है। अब तक एएसआई को सर्वे के दौरान कई अहम सुराग मिले हैं, जिसे हिंदू पक्ष अपने दावे की हकीकत बताता रहा है।
अब तक सर्वे में हुए इतने काम
ज्ञानवापी में 27 दिन के सर्वे में एएसआई टीम के 40 सदस्य शामिल रहे। दीवारों और गुंबद में मिली कलाकृतियों और कारीगरी का आंकलन हुआ। टीम ने ज्ञानवापी परिसर में वजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे किया। मस्जिद परिसर की पूरी पैमाइश के बाद केवलग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार सर्वे हुआ।
सदस्यों ने यूनिट के अनुसार, बाहरी दीवार, पश्चिमी दीवार, व्यासजी तहखाना समेत अन्य तहखाने, गुंबद और छतों का गहन अध्ययन किया। इन जगहों से सैंपल जुटाकर लैब में भेजे और प्राचीनता के लिए पुरातन दस्तावेजों से साक्ष्यों का मिलान किया गया है।
पिछले साल दिसंबर में लगाई थी याचिका
ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन देकर 7 मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी। इसमें 6 सिविल जज सीनियर और किरन सिंह विसेन का एक केस 712/2022 भगवान आदि विश्वेश्वर केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था। इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को रखा। इसके बाद एक साथ सभी केस की सुनवाई का आदेश जिला जज ने दिया।
सभी केस राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग से जुड़े हैं
जिन 7 मामलों को क्लब करने की सुनवाई हुई, उसमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की भी याचिका शामिल है। इसमें उन्होंने वुजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग बताया था। जिनके राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग की गई है। वहीं ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है।

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