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बुजुर्गों को परेशान कर सकता है फिकल इनकॉन्टिनेंस?

by Suyash

इला भटनागर
नयी दिल्ली। क्या आपके बूढ़े माता पिता को फिकल इनकॉन्टिनेंसया परेशान करता है? ज्यादातर बुजुर्ग र्आंत संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं। बुजुर्गों को असमय मल त्याग या कब्ज की समस्या बनी रहती है। बुढ़ापे में आंत संदेनशील हो जाती है और कुछ भी खाने से गैस या कब्ज की समस्या हो जाती है।
दीपिका पादुकोण और अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म पीकू (Piku) आपने देखी होगी तो आपको याद होगा कि फिल्म में यह दिखाया गया है कि माता-पिता की पॉटी संबंधी समस्याओं से निपटना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

क्या है फिकल इनकॉन्टिनेंस? जानिये कारण और उपचार

डॉक्टर अमित मित्तल, एचओडी एंड सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंट्रोलाजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स

फिकल इनकॉन्टिनेंसया मल असंयम एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का मल त्याग करने पर नियंत्रण खो जाता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति मल को अचानक या अनियंत्रित ढंग से त्याग देता है। फिकल इनकॉन्टिनेंस के कारण बहुत से हैं, लेकिन इसका इलाज संभव है यदि उचित समय पर डॉक्टर से परामर्श ले लिया जाए. आइये जानते हैं इस रोग के कारण, इलाज व गंभीरता के बारे में.
सबसे पहले जानें फिकल इनकॉन्टिनेंस सेसंबंधित कुछ तथ्य:
• डिलीवरी और महिलाओं के सन्दर्भ में अक्सर फिकल इनकॉन्टिनेंस के बारे में भी पूछा जाता है, ऐसे में हम कह सकते हैं कि फिकल इनकॉन्टिनेंस और डिलीवरी के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। दरअसल मल्टीप्ल सर्जरीज़ या पेल्विक सर्जरीज़, शारीरिक सक्रियता की कमी आदि जैसे जीवनशैली संबंधित कारणों से महिलाओं में फिकल इनकॉन्टिनेंस की समस्या देखी जा सकती है.
• इसके अलावा फिकल इनकॉन्टिनेंस और हॉर्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा (Hormone Replacement Therapy) के बीच भी कोई सीधा संबंध नहीं है। फिकल इनकॉन्टिनेंस एक शारीरिक समस्या है जहां व्यक्ति अपने मल को नियंत्रित नहीं कर पाता है, जबकि हॉर्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा महिलाओं में हार्मोन असंतुलन को सुधारने के लिए की जाती है। हालांकि हॉर्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा निर्धारित करने के लिए एक डॉक्टर से परामर्श लेना हमेशा सुसंगत होता है। और अगर किसी महिला को हॉर्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा के दौरान फिकल इनकॉन्टिनेंस की समस्या होती है, तो उन्हें डॉक्टर से उचित सलाह लेनी चाहिए.
• इसके अलावा 60 वर्ष से अधिक की आयु के लोगों में और लम्बे समय से डायबिटीज से जूझ रहे लोगों में इसे देखा जा सकता है.
• किसी तरह की शारीरिक अक्षमता के कारण भी यह स्थिति हो सकती है.
• डिमेंशिया के साथ फिकल इनकॉन्टिनेंस का सामना करने वाले व्यक्ति के लिए देखभाल की आवश्यकता होती है। नियंत्रित आहार, शौच के समय का प्रबंधन, पेल्विक व्यायाम, आदि की मदद से रोगी की सहायता की जा सकती है। इसके साथ ही संबंधित डॉक्टर से उचित परामर्श आवश्यक है.
• दरअसल इस बीमारी का अक्सर रोगी पर मानसिक प्रभाव भी होता है जिसके कारण तनाव या डिप्रेशन जैसी स्थिति हो सकती है. परिणामस्वरूप रोगी विचिलित रह सकता है और मनोभ्रंश भी हो सकता है. ऐसे में रोगी का मनोबल बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.
फिकल इनकॉन्टिनेंसकी रोकथाम के उपाय क्या हैं?
• नियमित समय पर मल त्याग करने की कोशिश करें। दिनभर में एक निश्चित समय चुनें और उसी समय पर मल त्याग करने का अभ्यास करें।
• आपके आसपास की वातावरण को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाए रखें।
• मौलिक साफ़ सफाई का ध्यान रखें. मलद्वार को साफ़ व शुष्क रखें.
• नियमित रूप से व्यायाम करें। योग और प्राणायाम आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं और मल निकलने के समय का ध्यान रखें।
• संतुलित आहार लें. फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। इस प्रकार पाचन शक्ति और बायोमैकेनिकल कार्यों में सुधार हो सकता है।
• विशेषज्ञ की सलाह लें। रोगी की नियमित देखभाल का ध्यान रखें.
मांसपेशियों में कमज़ोरी, पाचन ख़राब होना, बढ़ती उम्र, मल्टीप्ल सर्जरीज़, डायरिया, गूदा का बाहर आ जाना अदि के कारण फिकल इनकॉन्टिनेंसहो सकता है. गंभीर स्थिति में व्यक्ति की दैनिक जीवनशैली प्रभावित हो सकती है, क्योंकि अक्सर असमय व्यक्ति के कपड़े खराब हो सकते हैं, साथ ही रोग के लक्षणों को देखते हुए रोगी तनाव में रह सकता है, और रोगी में कभी ठीक न होने का डर भी बैठ सकता है जिसके कारण परिवार के अन्य सदस्य भी प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में रोगी का मनोबल बढाएं, उसकी मदद करें.
फिकल इनकॉन्टिनेंस का निदान:
संबंधित डॉक्टर आपको कुछ एक्सरसाइजेज़(कीगल) और दवाएं बता सकते हैं. इसके इलाज के अंर्तगत बॉवलट्रेनिंग यानि आंतो को मज़बूत करने की एक्सरसाइज भी बताई जा सकती है, और पैड व डिस्पोज़ेबल अंडरगारमेंट पहनने की सलाह दी जा सकती है, इसके अलावा हमेशा अपने साथ नए या धुले हुए कपड़ों का एक सेट रखें. किसी भी स्थान पर जाते समय वहाँ के शौचालयों के बारे में जानकारी रखें, ताकि ठीक समय पर उनका इस्तेमाल कर सकें, साथ ही घर से निकलने से पहले फ्रेश होकर निकलें. गंभीर स्थिति में बायो फीडबैक नामक इलाज और सर्जरी भी की जा सकती है.